Jammu : सीमावर्ती क्षेत्रों में जोश मार रहा देशभक्ति का जज्बा
शुक्रवार को सेना की अखनूर डिवीजन ने कचरियाल गांव में मेडिकल कैंप का आयोजन कर गांव वासियों को उनके घर के पास चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई है। सेना के मेडिकल कैंप में भी कचरियाल के निवासियों का जोश सिर चढ़कर बोला।
By Lokesh Chandra MishraEdited By: Updated: Fri, 13 Aug 2021 09:39 PM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो : दुश्मन की गोलाबारी के साए में जीने वाले सीमाववासियों में स्वतंत्रता दिवस को लेकर देशभक्ति का जज्बा जोश मार रहा है। सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्लांवाला के कचरियाल गांव के लोग भी दुश्मन को सामना करने के लिए हरदम तैयार हैं। वे अपने अनुभव से दुश्मन की हर साजिश को भांप लेते हैं। नियंत्रण रेखा पर जीरा लाइन पर बसे इस गांव के लोग आजादी के बाद पाकिस्तान द्वारा की पैदा की गई चुनौतियों का सामना करते हुए बहुत मजबूत हो चुके हैं।
यही कारण है कि पाकिस्तान की गोलाबारी भी उनके हौसले को कम नही कर पाई है। पाकिस्तानी की गाेलाबारी का सामना करते करते पले बड़े क्षेत्र के कई जवान इस समय भारतीय सेना में शामिल होकर देश के विभिन्न हिस्सों में डयूटी कर रहे हैं। उन्हें सेना में भर्ती होने के लिए रियायतें मिलती हैं। शुक्रवार को सेना की अखनूर डिवीजन ने कचरियाल गांव में मेडिकल कैंप का आयोजन कर गांव वासियों को उनके घर के पास चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई है। सेना के मेडिकल कैंप में भी कचरियाल के निवासियों का जोश सिर चढ़कर बोला।
कैंप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में किया गया था। इस मौके पर पहुंचे मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए सरपंच अनुराधा शर्मा ने बताया कि सीमा से सटे इलाकों में लोगों को भरतीय सेना का बहुत सहारा है। सेना पाकिस्तान की गोलीबारी को झेलने वाले इन लोगों की मुश्किलों को दूर करने में हर संभव सहयोग देती है। यह कारण है कि गांव के लोग सेना की मदद के लिए हर समय तैयार रहते हैं। अनुराधा शर्मा का घर फैंसिंग के पास है। पिछली बार हुई गोलाबारी में उनके घर पर पाकिस्तान के शैल गिरे थे। अनुराधा शमा के पति भारतीय सेना में हैं। फौजी परिवार होने के कारण उन्हें अच्छी तरह से अंदाजा है कि गोलाबारी के दौरान कैसे बचा जाता है।
वर्ष 1971 में पाकिस्तान की सेना ने छंब सेक्टर पर हमला कर इस गांव पर भी कब्जा कर लिया था। इस गांव को पाकिस्तान से वापस लेने वाली भारतीय सेना आज कई गुणा मजबूत होकर पाकिस्तान को कभी न भूलने वाला सबक सिखाने को तैयार है। सेना की मजबूत इन लोगों में भी देश के लिए मर मिटने का जज्बा पैदा करती है। कारगिल युद्ध के दौरान भी लोग माेर्चा संभालने वाले सेना के साथ मिलकर दुश्मन का सामना करने को तैयार हो गए थे। दुश्मन द्वारा मुश्किलें पैदा करने पर गांव वासियों के लिए बंकर में शरण लेना एक आम बात है।
अठाइस वर्षीय बाबा राम का कहना है कि गांव में उसे साथ पले बड़े खासे दोस्त इस समय सेना में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि सीमा पर जीना कठिन है। ऐसे हालात में गांव वासियों को भी बिना वर्दी के सैनिकों की तरह जीने की आदत हो गई है। दुश्मन की हरकत को अच्छी तरह से भांप लेने वाले ग्रामीण संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सेना को बताते हैं।
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