जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए', अब्दुल राथर बोले- PM और गृहमंत्री पूरा करें अपने वादा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने राज्य के दर्जे को बहाल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के वादे के अनुसार जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। राथर ने इसे संवैधानिक वादा और लोकतांत्रिक आवश्यकता बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इससे लोगों में विश्वास बढ़ेगा और भारतीय लोकतंत्र मजबूत होगा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने रविवार को दोहराया कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा बार-बार किए गए वादे के अनुसार जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लोग इस प्रतिबद्धता के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। नई दिल्ली में अखिल भारतीय स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए, राथर ने कहा कि भारत का लोकतांत्रिक चरित्र इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
उन्होंने कहा कि हमने हमेशा कहा है कि भारत लोकतंत्र की जननी है और हमें लोगों के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों को दिन-प्रतिदिन महत्व देना और मजबूत करना चाहिए। अध्यक्ष ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र सुचारू रूप से काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यहां लोकतंत्र को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए। चुनाव हुए, एक निर्वाचित सरकार है और सरकार लोगों के लिए काम कर रही है। राज्य का दर्जा बहाल करने को एक संवैधानिक वादा और एक लोकतांत्रिक आवश्यकता बताते हुए, राथर ने बताया कि देश के शीर्ष नेतृत्व ने बार-बार आश्वासन दिया है। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने स्वयं इसका आश्वासन दिया है और लोगों को उम्मीद है कि बहुत जल्द जम्मू-कश्मीर को अपना राज्य का दर्जा वापस मिल जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री और सर्वोच्च न्यायालय, दोनों ने इस आश्वासन को दोहराया है। राथर ने कहा कि गृहमंत्री संसद में पहले ही कह चुके हैं कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा और सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि यह जल्द से जल्द होना चाहिए।
अध्यक्ष ने कहा कि इस वादे को पूरा करना केवल शासन के बारे में नहीं है, बल्कि लोगों के बीच विश्वास का निर्माण करने के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना न केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की भावना को भी और मजबूत करेगा।
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