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Nag Panchami 2022: जम्मू संभाग के पत्नीटाप में है 800 वर्ष पुराना नाग मंदिर, महिलाओं का प्रवेश है निषेध

Nag Panchami 2022 Nag Temple Patnitop Jammu लोकप्रिय पर्यटन स्थल पत्नीटॉप में प्राचीन इच्छादारी नाग देवता का सदियों पुराना प्राचीन नाग मंदिर न केवल स्थानीय बल्कि राज्य भर के लोगों की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर आठ शताब्दी पुराना बताया जाता है।

By Vikas AbrolEdited By: Updated: Tue, 02 Aug 2022 03:50 PM (IST)
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Nag Temple Patnitop : मंदिर के चारों ओर लाल रिबन बांधने का रिवाज है।

ऊधमपुर, जागरण संवाददाता। लोकप्रिय पर्यटन स्थल पत्नीटॉप में प्राचीन इच्छादारी नाग देवता का सदियों पुराना प्राचीन नाग मंदिर न केवल स्थानीय बल्कि राज्य भर के लोगों की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर आठ शताब्दी पुराना बताया जाता है।

मंदिर के पुजारी राज कुमार शर्मा ने बताया कि मंदिर कब बना यह स्पष्ट तो नहीं है, मगर बताया जाता है यह 800 वर्ष से अधिक पुराना है। यहां पर इच्छाधारी नाग देवता ने ब्रह्मचारी रूप में 22 वर्ष तपस्या करने के बाद पिंडी स्वरूप धारण कर लिया। चूंकि यहां पर नाग देवता का ब्रह्मचारी स्वरूप है, इसलिए जहां पर नाग देवता का पिंडी स्वरूप मंदिर में विराजमान है वहां पर महिलाओं का प्रवेश निषेध है।

मंदिर के चारों ओर लाल रिबन बांधने का रिवाज है जिसे स्थानीय भाषा में मन्नत या सुखन कहते हैं। इसे बांध कर मन्नत मांगी जाती है। जिसके पूर्ण होने पर श्रद्धालु भंडारा आयोजित करते हैं। मंदिर में मीठी रोटी(रुट्ट) का विशेष प्रसाद बनाया जाता है। मंदिर में लगभग हर रविवार को भंडारा होता है, जो मन्नत पूरी करने वाले भक्तों द्वारा लगाया जाता है। मंदिर के अंदर की फोटोग्राफी वर्जित है। मंदिर कमेटी की ओर से पिछले 12 वर्षों से भव्य नाग मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। कुछ वर्षों तक काम बंद रहने की वजह से पिछले दो वर्षों से जारी है।

पत्नीटाप आने वाले प्रत्येक पर्यटक करते हैं नाग देवता के दर्शन

पत्नीटाप में हर वर्ष देश-विदेश से आने वाले पर्यटक सदियों पुराने इस नाग देवता मंदिर में दर्शन करने जरूर जाते हैं। मंदिर के प्रवेश के पहले दोनों ओर एक छोटी सी मार्किट बनाई गई है। इसमें 30 के करीब दुकानें है जहां पर पूजा सामग्री सहित स्थानीय उत्पाद मिलते हैं। मंदिर परिसर से सुद्धमहादेव का भी नजारा देखा जा सकता है। मंदिर के प्रति स्थानीय नागरिकों की भी काफी श्रद्धा है और हर दिन इस मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालु मत्था टेकने आते हैं।