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Jammu Kashmir News: इन चार पहाड़ी समुदाय को इस आधार पर अब मिलेगा आरक्षण, राज्‍य सरकार ने दिया आदेश

Jammu Kashmir News जम्‍मू कश्‍मीर में पहाड़ी समुदाय को आरक्षण के लिए जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासनिक परिषद ने परिभाषाएं तय की हैं। सरकार द्वारा ओबीसी के आरक्षण को चार से बढ़ाकर 8 प्रतिशत किए जाने से 41 उप-जातियों को लाभ मिलेगा जोकि ओबीसी में शामिल हैं। इसमें 15 उप-जातियां वो भी हैं जिसको हाल ही में सरकार ने ओबीसी में शामिल कराया है।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Updated: Mon, 18 Mar 2024 12:22 PM (IST)
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इन चार पहाड़ी समुदाय को इस आधार पर अब मिलेगा आरक्षण (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। पहाड़ी समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासनिक परिषद के फैसले के बाद सरकार ने रविवार को अनुसूचित जनजाति में शामिल की गईं चार जातियों की परिभाषाओं को तय करने का आदेश जारी कर दिया। चार जातियों में पहाड़ी एथेनिक जनजाति, पाडरी, कोली और गद्दा ब्राह्मण शामिल हैं।

जनजाति श्रेणी में आरक्षण का लाभ उठाने के लिए ऐसा होना जरूरी

पहाड़ी एथेनिक जनजाति श्रेणी में आरक्षण का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति को विशिष्ट संस्कृति, जातीय और भाषाई पहचान वाले पहाड़ी कबीले का समुदाय या जनजाति का सदस्य होना चाहिए और उसकी मातृभाषा पहाड़ी भाषा होनी चाहिए।

उक्त श्रेणी के व्यक्तियों के दावे को प्रमाणित करने का प्राधिकारी तहसीलदार होगा। पाडरी जनजाति के लिए व्यक्ति को राजस्व दस्तावेजों या किसी अन्य दस्तावेज के आधार पर अपने दावे की पुष्टि करनी चाहिए कि वह पैतृक रूप से किश्तवाड़ जिले के पाडर क्षेत्र से संबंधित है।

जांच रिपोर्ट के आधार पर होगा फाइनल

इस श्रेणी में भी व्यक्तियों के दावों को प्रमाणित करने का प्राधिकारी तहसीलदार होगा। गद्दा ब्राह्मण जनजाति के लिए प्रमाण पत्र जारी करने वाला प्राधिकारी आवेदक द्वारा प्रदान किए गए रिकॉर्ड और नंबरदार, चौकीदार आदि द्वारा स्थानीय जांच रिपोर्ट के आधार पर दावे की वास्तविकता के बारे में संतुष्ट करेगा। यहां भी तहसीलदार व्यक्तियों के दावों को प्रमाणित करेगा।

ओबीसी आरक्षण बढ़ाने का 41 उप-जातियों को लाभ मिलेगा

सरकार द्वारा ओबीसी के आरक्षण को चार से बढ़ाकर 8 प्रतिशत किए जाने से 41 उप-जातियों को लाभ मिलेगा जोकि ओबीसी में शामिल हैं। इसमें 15 उप-जातियां वो भी हैं जिसको हाल ही में सरकार ने ओबीसी में शामिल कराया है। अब सभी 41 उप-जातियों को पिछड़े जाति वर्ग की योजनाओं, आरक्षण का लाभ मिल पाएगा।

ये भी शामिल

इसमें बहाच हंजी, शिकारा वाला,भट्ट हंजी (इसमें हाऊस बोट के लोग शामिल नहीं), गड्डा हंज सहित मछुआरा, मरकबन जिनकी रोजीरोटी मरकबनी पर आधारित हो, कुम्हार, शाकसज, मोची, भंगी खारोबी, हाजम/ नाई, धोबी, भांड, बघट, मिरासी, मदारी/बाजीगर, कुल्फाकिर, दमबाली, फकीर, डूम (इसमें एससी नहीं), शुपरी वातल,सांसी, शिकलीगर, झीवर, घराटी (केवल ग्रामीण) जोकि पानी पर घराट चलाते हैं व बिजली से चलने वाली ग्राइंडिंग मशीन नहीं चलाते हैं, तेली, तेलगवानी, तेली (पहले के मौजूद मुस्लिम तेली के साथ हिंदू भी), लोहार, तरखान,नजर शामिल हैं।

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साथ ही गिलकर (मिस्त्री), लबनाना समुदाय, शीर-गोजरी, गोजरी, गोजर, योगी/जोगी/नाथ और बौरिया/बोरिया/बोवौरिया समुदाय, वाघे(शोपान), घिरथ/भटी/शांग समुदाय, जाट समुदाय, सैनी समुदाय, मरकवान/ ट्टू वाले, सोची समुदाय, क्रिश्चियन बिरादरी जो हिंदू वाल्मीकि से बने, सुनार /स्वर्णकार/जरगर/पेरना/काउंरो (काउंरव), बोजरू/डिकांउट/ढुबढुबी ब्राह्मण, गोरकन, गोरखा, पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी (एससी नही), आचार्य उप-जातिया शामिल हैं।

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