जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए EC सख्त, रैलियों में कुर्सियों से लेकर खाने तक की कराई जाएगी वीडियोग्राफी
Jammu Kashmir Vidhan Sabha Chunav जम्मू-कश्मीर में चुनाव को सुचारू रूप से कराने के लिए चुनाव आयोग सख्त है। आयोग की तरफ से प्रत्याशियों और चुनाव से जुड़े लोगों को आचार संहिता का पालन करने के निर्देश दिया गया है। वहीं बिना अनुमति के सरकारी या निजी संपत्ति पर पोस्टर-बैनर लगाया तो मामला दर्ज होगा। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहा है।
राहुल शर्मा, जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए एक ओर जहां राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के नाम को अंतिम रूप दे रहे हैं। 18 सितंबर को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन पत्र भी जमा करा दिए गए हैं, वहीं निर्वाचन विभाग भी आदर्श चुनाव आचार संहिता का पालन कराने के लिए सख्त है। राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए आचार संहिता का पालन करने के लिए हिदायत दी गई है।
आचार संहिता का सख्ती से पालन करने का आदेश
जम्मू के जिला निर्वाचन अधिकारी व डीसी सचिन कुमार वैश्य ने राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं सहित चुनावी प्रक्रिया से जुड़े लोगों को सख्त हिदायत दी है कि वे आदर्श आचार संहिता का सख्ती से पालन करें। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत चुनाव आयोग के आदेश की अवहेलना करने वाले नेताओं, कार्यकर्ताओं सहित अन्यों पर कार्रवाई की जाएगी।
हर गतिविधियों की होगी वीडियोग्राफी
जिला सूचना विज्ञान अधिकारी संजीव कपूर ने बताया कि निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की हर चुनावी गतिविधियों की वीडियोग्राफी होगी। इसके लिए वीडियोग्राफर की तैनाती सुनिश्चित कर दी गई है। यही नहीं इन वीडियो का बारीकी से अवलोकन करने के लिए टीमों का गठन भी किया गया है।रैलियों और रोड शो की देनी होगी जानकारी
प्रत्याशियों द्वारा चुनावी जनसभा-रैलियों व रोड शो आदि की जानकारी ऑनलाइन 48 घंटे पहले या फिर ऑफलाइन एक दिन पहले दिया जाना अनिवार्य है। चुनाव में किए जाने वाले प्रत्येक खर्च का हिसाब भी रखा जाएगा।वीडियोग्राफर भाषण से लेकर पंडाल व उसमें लगने वाली कुर्सी, मंच और वहां पर दिए जाने भोजन आदि की वीडियोग्राफी करेगा, जिससे खर्च का पता चल सके।
अनुमति के बिना नहीं छापें प्रचार सामग्री
जिला निर्वाचन अधिकारी ने जम्मू जिला के प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को निर्देश दिए हैं वे प्रशासनिक अनुमति के बिना कोई प्रचार सामग्री न छापें। और जो वे चुनावी प्रचार सामग्री छाप रहे हैं, उस पर उनका नाम व पता होना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर उन्हें जुर्माना या फिर छह महीने की सजा हो सकती है। या फिर दोनों का भी प्रविधान है।प्रचार सामग्री की एक-एक प्रति व उसका बिल संबंधित आरओ के पास भिजवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रत्याशी के समर्थक अपने तौर पर भी प्रचार के रूप में पोस्टर, पंफलेट, हैंडबिल-बैनर इत्यादि छपवाते हैं, तो यह भी चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा।
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