Ladakh News: खानाबदोशों के साथ झूमे पर्यटक, हानले में दो दिवसीय नोमेडिक मेला हुआ संपन्न
Ladakh लद्दाख में दो दिवसीय नोमेडिक मेले में चरागाहों में भेड़ बकरियां याक पालने वाले लद्दाखी खानाबदोशों के साथ पर्यटकों ने नाच गाकर मजा किया। पारंपरिक परिधानों में लद्दाखी खानाबदोश लोगों ने लद्दाख कलाकारों द्वारा तैयार किए गए साजोसामान को प्रदर्शित करने के साथ पारंपरिक भोजन के स्टाल भी लगाए गए थे। पशुपालन पर निर्भर लोगों के लिए आर्थिक रूप से सशक्त होने का एक जरिया साबित हो रहा है।
राज्य ब्यूराे, जम्मू: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट चरागाहों में भेड़, बकरियां, याक पालने वाले लद्दाखी खानाबदोशों के साथ पर्यटकों ने नाच, गाकर मजा किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच पूर्वी लद्दाख के हानले में दो दिवसीय नोमेडिक मेला संपन्न हो गया। मेले के दौरान पर्यटकों को खानाबदोश लोगों के जीवन के बारे में जानकारी देने के लिए टैंट भी लगाए गए थे। ऐसे में टैंट में ठहरे पर्यटकों ने महसूस किया कि खानाबदोश किस तरह का जीवन जीते हैं। देश के पर्यटकों के साथ पहली बार मेले में पहुंचे विदेशी पर्यटकों ने नोमेडिक मेले में उत्साह दिया।
शनिवार को शुरू हुए इस दो दिवसीय मेले के दौरान पर्यटकों ने खानाबदोश से उनके जीवन के अनुभवों के बारे में भी जानकारी हासिल की। पर्यटक हैरान थे कि सर्दियाें के महीने में खानाबदोश अपने साथ अपने मवेशियों को बर्फबारी व बर्फीले तूफानों से किस तरह बचाते हैं। पर्यटकों के साथ क्षेत्र के निवासियों ने भी इस मेले में भारी उत्साह दिखाया।
इस दौरान पारंपरिक परिधानों में लद्दाखी खानाबदोश लोगों ने लद्दाख कलाकारों द्वारा तैयार किए गए साजोसामान को प्रदर्शित करने के साथ पारंपरिक भोजन के स्टाल भी लगाए गए थे। रविवार को देश, विदेश के पर्यटक लद्दाख के दूरदराज इलाके में इसे नोमेडिक मेले की अच्छी यादाें को अपने कैमरों, मोबाईल फोन में सहेज कर लेह के लिए रवाना हो गए।
दो दिवसीय मेला शनिवार को शुरू हुआ था। पर्यटन विभाग ने हिल काउंसिल व संस्कृति अकादमी के साथ मिलकर मेले को कामयाब बनाने के लिए प्रबंध किए थे। पर्यटन विभाग नोमेडिक मेलों का आयोजन कर देश के विभिन्न हिस्सों से लद्दाख आने वाले पर्यटकों का ऐसे इलाकों तक पहुंचा रहा है यहां पर कठिन हालात में रह रहे खानाबदोश लोग अपनी संस्कृति को आज भी सहेजे हुए हैं। ऐसे मेले पिछले तीन सालों से हो रहे हैं। यह मेले पशुपालन पर निर्भर लोगों के लिए आर्थिक रूप से सशक्त होने का एक जरिया भी साबित हो रहे हैं।
चरागाहों में टैंटों व पत्थरों के मकानों में जीवन बसर करने वाले खानाबदेाश लोग सर्दियों के महीनों में शून्य से 30 डिग्री से भी कम तापमान में जीतें हैं। चांगपा कहलाने वाले लद्दाख खानाबदोश दुर्गम हालात का सामना कर पश्मीना ऊन बनाते हैं। अधिकतर खानाबदोश लेह के चांगथाग इलाके में रहते हैं।
हानले के साथ लेह से करीब 170 किलोमीटर की दूरी पर 15000 फीट की ऊंचाई पर खारनाक गांव के निवासी भी खानाबदोश जीवन बिताते हुए पश्मीना बकरी से ऊन तैयार करते हैं। सीमांत क्षेत्रों में तेज से विकास के साथ अब भेड़, बकरियों पाले लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में काम हो रहा है।
पर्यटन से लोगों के आर्थिक स्तर को बढ़ावा देने का प्रयास
लेह हिल डेवेलपमेंट काउंसिल के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर ताशी ग्यालसन का कहना है कि अब पर्यटकों को सीमांत क्षेत्रों तक ले जाया जा रहा है। दूरदराज इलाकों में पर्यटन से लोगों के आर्थिक स्तर को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। नोमेडिक मेले इसी दिशा में एक प्रयास हैं। दूरदराज इलाकों में बहुत खूबसूरती है, इन इलाकों का जन जीवन भी पर्यटकों का आकर्षित करता है। दूरदराज इलाकों में पर्यटन के बुनियादी ढांचे को भी बेहतर बनाया जा रहा है ताकि वहां पहुंचने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत पेश न आए।