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वैष्णो देवी के त्रिकुटा पर्वत को काटकर बनाई तीन KM लंबी सुरंग, आसान नहीं थी दिल्ली से कश्मीर तक की रेल परियोजना

Delhi to Train Rail Project कश्मीर तक रेल सेवा का सपना अब साकार होने जा रहा है। वैष्णो देवी के त्रिकुटा पर्वत के नीचे से होकर गुजरने वाली 3.2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनकर तैयार हो गई है। इस सुरंग के निर्माण में 20 साल लगे और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अब इस सुरंग से होकर कश्मीर तक ट्रेनें चलेंगी।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 22 Nov 2024 01:47 PM (IST)
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त्रिकुटा भवन से होकर जाएंगी कश्मीर तक के लिए रेलें (जागरण फोटो)
राकेश शर्मा, कटड़ा। रेलवे की 3.2 किलोमीटर लंबी एक ऐसी सुरंग, जिसे बनाने में 20 वर्ष लग गए। सुरंग के भीतर पानी का तेज रिसाव और उसके साथ निकलने वाला मलबा सबसे बड़ी चुनौती था।

इसके लिए एक-एक कर 10 अलग-अलग कंपनियों को बुलाया गया। तकनीक बदली गई, लेकिन सभी कंपनियां विफल रहीं। फिर विदेशी विशेषज्ञों की सहायता ली गई। अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हुआ और अब इस सुरंग का कार्य पूरा होने को है।

उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत कटड़ा के पास बन रही टी-1 सुरंग के भीतर मौजूदा समय में करीब 600 विशेषज्ञ, इंजीनियर तथा अन्य कर्मी दिन-रात कार्य में जुटे हैं, क्योंकि 31 दिसंबर तक सभी कार्य पूरे करने हैं। पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनवरी में नई दिल्ली से कश्मीर तक पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को झंडी दिखा सकते हैं।

100 साल तक नहीं होगी परेशानी

रेलवे कंपनी ने पानी के रिसाव को रोकने के लिए विदेशी विशेषज्ञों की सहायता से एनएटीएम (न्यू आस्ट्रिया टनलिंग मेथड) लागू किया। इस सुरंग की बनावट घोड़े के नाल के आकार की है। एनएटीएम तकनीक से पानी रोकने के बजाए उसे सुरंग के दोनों तरफ मोड़ा गया। पानी को बाहर निकालने के लिए सुरंग के दोनों ओर डेढ़ से दो फीट चौड़ी पाइपें लगाई गईं। अब रिसाव बंद हो गया है। दावा है कि 100 साल से भी ज्यादा समय तक अब कोई परेशानी नहीं आएगी।

त्रिकूटा पर्वत के नीचे से गुजरती है सुरंग देश को कश्मीर से जोड़ने वाली

272 किलोमीटर लंबी ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना अपने अंतिम पड़ाव पर है। अब केवल रियासी से कटड़ा तक 17 किलोमीटर हिस्से का काम अंतिम चरण में है।

माता वैष्णो देवी के त्रिकुटा पर्वत के नीचे से गुजरने वाली टी-1 सुरंग इसी परियोजना में 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा-बनिहाल रेल खंड का हिस्सा है। इसे कोंकण रेलवे की देखरेख में एबीसीआइ इंफ्रा प्राइवेट कंपनी पूरा करने में जुटी है।

वर्तमान में टी-1 सुरंग में पटरी बिछाने के साथ विद्युतीकरण, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल आदि कार्य जारी है। वर्ष 2005 में इसका निर्माण शुरू हुआ था।

डेढ़ किलोमीटर सुंरग बनने के बाद इसके आगे 300 मीटर के हिस्से में पानी के रिसाव के साथ मलबा निकलने लगा। जिसे रोकने के सभी प्रयास विफल होते गए। परियोजना में अन्य सुरंगें व पुल बनते गए, लेकिन टी-1 सुरंग कश्मीर तक ट्रेन ले जाने में अंतिम बाधा बन गई।

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