Police Commemoration Day 2022 : गुलशन ग्राउंड व पुलिस शहीदी स्मारक पर बलिदानियों को दी गई श्रद्धांजलि
पूरे देश में गत वर्ष 264 पुलिस व अन्य केंंद्रीय बलों के जवानों ने अपना सवोच्च बलिदान दिया है और उनका बलिदान कभी भूला नहीं जा सकता।उन्होंने कहा कि हम प्रण लेते हैं कि हम अपने बल के सिद्धांतों पर चलते हुए अपने कर्तव्य का पालन करते रहेंगे।
जम्मू, जागरण संवाददाता : कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ अपना सर्वोच्च बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटने वाले पुलिस जवानों को देश भर में याद किया गया। राष्ट्रीय पुलिस दिवस पर देश भर के साथ जम्मू में भी बलिदानी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई जिसमें पुलिस के अधिकारियों व जवानों ने अपने बलिदानी साथियों को याद किया।
जम्मू में गुलशन ग्राउंड और पुलिस शहीदी स्मारक रेलवे स्टेशन में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सबसे पहले पुलिस शहीदी स्मारक रेलवे स्टेशन में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें एडीजीपी मुकेश सिंह के साथ आइजी विवेक गुप्ता, एसएसपी जम्मू चंदन कोहली के साथ अन्य पुलिस अधिकारियों ने बलिदानी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पुलिस बैंड ने धुनें भी बजाई।इसके उपरांत गुलशन ग्राउंड के मैदान में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में भी बलिदानी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई जिसमें पुलिस के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारी, सांसद जुगल किशोर शर्मा, डीडीसी सदस्य, पुलिस विभाग से सेवानिवृत अधिकारी व गणमान्य लोग शामिल हुए।
जम्मू कश्मीर के 37 जवान बलिदानी हो चुके : सबसे पहले गुलशन ग्राउंड में बलिदानी पुलिसकर्मियों को याद किया गया जिसके बाद एडीजीपी मुकेश सिंह ने संबोधित किया। अपने संबोधन में सिंह ने बताया कि गत वर्ष जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था बनाते और आतंकियों के साथ लोहा लेते हुए जम्मू कश्मीर के 37 जवान बलिदानी हो चुके हैं।
264 पुलिस व अन्य केंंद्रीय बलों के जवानों ने अपना सवोच्च बलिदान दिया : पुलिसकर्मियों के अलावा सीआरपीएफ के तीन जबकि सीआइएसएफ का एक जवान भी जम्मू कश्मीर में बलिदानी हुआ है जिन्हें पूरा देश आज नमन कर रहा है।उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पूरे देश में गत वर्ष 264 पुलिस व अन्य केंंद्रीय बलों के जवानों ने अपना सवोच्च बलिदान दिया है और उनका बलिदान कभी भूला नहीं जा सकता।उन्होंने कहा कि हम प्रण लेते हैं कि हम अपने बल के सिद्धांतों पर चलते हुए अपने कर्तव्य का पालन करते रहेंगे।
राष्ट्रीय पुलिस शहीदी दिवस का इतिहास : 21 अक्टूबर 1959 में 10 पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया था। तब तिब्बत के साथ भारत की 2,500 मील लंबी सीमा की निगरानी की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी। इस घटना से एक दिन पहले 20 अक्टूबर, 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स में तैनात किया गया था। इस कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा सुरक्षा की बागडोर दी गई थी। लाइन ऑफ कंट्रोल में ये जवान गश्त के लिए निकले थे। आगे गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आए थे। लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे थे। उस टुकड़ी में दो पुलिस कांस्टेबल और एक पोर्टर शामिल थे।