Jammu : जीएमसी में डाक्टरों में खींचतान, वीडियो भी बन रहे; प्रशासनिक सचिव को करना पड़ा हस्तक्षेप-रिपोर्ट मांगी
कार्डियालोजी विभाग के एचओडी डा. सुशील शर्मा ने इसी के आधार पर उन्हें एनओसी नहीं दी। डा. ओवेस के इस व्यवहार के बारे में उन्होंने प्रिंसिपल जीएमसी और चिकित्सा अधीक्षक को भी पत्र लिखे लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Tue, 20 Sep 2022 08:34 AM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो : राजकीय मेडिकल कालेज (जीएमसी) जम्मू में इन दिनों सब कुछ सही नहीं चल रहा है। अधिकारियों और वरिष्ठ डाक्टरों में खींचतान और समय पर फैसले न होने का विपरीत असर संस्थान के बाहर लोगों पर भी पड़ने लगा है। यही कारण है कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रशासनिक सचिव को हस्तक्षेप करना पड़ा है। उन्होंने जीएमसी के प्रिंसिपल से इंटरनेट मीडिया पर चल रहे वीडियो पर रिपोर्ट मांगी है।
दो दिन पहले ही जम्मू के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कार्डियालोजी विभाग में विशेषज्ञ कोर्स डीएनबी कर रहे कश्मीर के डा. ओवेस का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर सामने आया था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। इसी कारण उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया है। इसके बाद पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। हालांकि, जीएमसी प्रशासन के सक्रिय होने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। सूत्रों का कहना है कि उक्त डाक्टर ने छह माह पूर्व भी इसी तरह का प्रयास किया था, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। डाक्टर पर कोर्स करने के दौरान गैरहाजिर रहने का आरोप है।
कार्डियालोजी विभाग के एचओडी डा. सुशील शर्मा ने इसी के आधार पर उन्हें एनओसी नहीं दी। डा. ओवेस के इस व्यवहार के बारे में उन्होंने प्रिंसिपल जीएमसी और चिकित्सा अधीक्षक को भी पत्र लिखे, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।
जीएमसी की प्रिंसिपल ने मामले को लेकर बाल रोग विभाग के एचओडी डा. घनश्याम सैनी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई है। उक्त समिति ने रिपोर्ट प्रिंसिपल को सौंप दी है। सोमवार को भी इस मुद्दे पर प्रिंसिपल कार्यालय में बैठक हुई और इसके बाद रिपोर्ट विभाग के प्रशासनिक सचिव भूपेंद्र कुमार को सौंप दी गई। इसकी पुष्टि प्रिंसिपल जीएमसी डा. शशि सूदन ने भी की, लेकिन यह मुद्दा अभी भी गर्माया हुआ है। अब इस पर जम्मू और कश्मीर की राजनीति भी होने लगी है।
विभागों में बने हैं गुट : जीएमसी जम्मू के कुछ विभाग ऐसे हैं, जहां पर इस समय वरिष्ठ डाक्टरों के गुट बने हुए हैं। यह डाक्टर मुद्दे को हल करने के स्थान पर उसे हवा दे रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि डा. ओवेस के गैरहाजिर रहने की जानकारी एचओडी डा. सुशील ने प्रिंसिपल को दी थी, लेकिन उक्त डाक्टर को समझाने के स्थान पर आरोप है कि जीएमसी के ही कुछ अन्य डाक्टरों ने उसे हवा दी। इसकी जानकारी विभाग के प्रशासनिक सचिव को भी दी गई। कार्डियालोजी विभाग की तरह ही जीएमसी के एक और विभाग में भी डीएनबी कर रहे एक डाक्टर के व्यवहार पर विभाग के एचओडी ने संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन उसके खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों का कहना है कि उक्त डाक्टर भी महिला डाक्टर को तंग करता था।
क्यों नहीं होती कार्रवाई : जीएमसी में डीएनबी कोर्स कर रहे दो डाक्टरों के व्यवहार के बाद सोमवार को भी इस मुद्दे पर चर्चा रही। हालांकि कोई भी इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कह रहा, लेकिन कुछ वरिष्ठ डाक्टरों का कहना था कि कोई आत्महत्या की धमकी देकर या फिर उसका प्रयास कर गलत काम करवाने के लिए दबाव डालता है तो यह गलत है। इसकी जांच होनी चाहिए।
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