Katra Banihal Rail Link: रियासी में रेलवे के पुल-43 के दोनों सिरे जुड़े तो लगे भारत माता के जयकारे
पुल का निर्माण कार्य दोनों छोर से शुरू किया था जिनमें 306 आरएमटी भाग का काम चिनाब छोर से शुरू हुआ था जबकि 471 आरएमटी भाग का काम कटड़ा छोर की तरफ से शुरू किया गया। पुल में 13 स्पैन और 12 पिलर हैं जिनकी अधिकतम ऊंचाई 50.15 मीटर है।
रियासी, संवाद सहयोगी : भारत सरकार की महत्वाकांक्षी कटड़ा-बारामुला-श्रीनगर रेलवे लिंक परियोजना में वीरवार को दो बड़ी उपलब्धि हासिल हुई। पहला रेलवे पुल नंबर 43 के दोनों छोर आपस में जोड़ दिए गए। वर्ष 2017-18 में शुरू हुए इस पुल के निर्माण कार्य में कई विपरीत परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा। दूसरा कटड़ा-बनिहाल सेक्शन पर ही निर्माणाधीन अंजी खड्ड केबल स्टेड पुल के 196.25 मीटर लंबे डेक स्लैब कास्टिंग के पहले चरण का कार्य पूरा कर लिया गया।
वीरवार को जब पुल नंबर 43 के दोनों छोर को जोड़ने का काम पूरा हुआ तो निर्माण कंपनी तथा अधिकारियों व कर्मचारियों में खुशी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वहां भारत माता के जय घोष के बीच मिठाइयां बंटीं गई। लोग एक-दूसरे को बधाई देने लगे। यह पुल बक्कल इलाके में पड़ता है जो कि बक्कल और कौड़ी के बीच चिनाब दरिया पर बन रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे के आर्च पुल से लगभग 100 मीटर की दूरी पर बक्कल की तरफ है।
इस पुल के दोनों छोर जुड़ जाने से चिनाब बक्कल का संपर्क सलाल स्टेशन से जुड़ गया है। पहाड़ और खाई पर बने इस पुल की कुल लंबाई 777 आरएमटी और वक्रता 1.4 है। पुल का निर्माण कार्य दोनों छोर से शुरू किया था, जिनमें 306 आरएमटी भाग का काम चिनाब छोर से शुरू हुआ था, जबकि 471 आरएमटी भाग का काम कटड़ा छोर की तरफ से शुरू किया गया था। इस पुल में 13 स्पैन और 12 पिलर हैं, जिनकी अधिकतम ऊंचाई 50.15 मीटर है। इस पुल की संरचना में 8047 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। जबकि 35 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट इस्तेमाल की गई।
पुल निर्माण में इंक्रीमेंटल लांचेस तकनीक का इस्तेमाल: इस रेलवे पुल के निर्माण कार्य में इंक्रीमेंटल लांचेस तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसमें बारी-बारी से दो गार्डर र्वेंल्डग करने के बाद उन्हें जेक सिस्टम से आगे धकलते हुए इसकी संरचना तैयार की गई। इस दौरान ऊंचाई पर काम करने के दौरान कई बार तेज हवाओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन आखिरकार इस चुनौतीपूर्ण काम को पूरा कर दिखाया। अफकान कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर विश्वमूर्ति ने महत्वाकांक्षी परियोजना में इस पुल को बड़ी सफलता बताई।
96 केबलों के सहारे टिका होगा अंजी खड्ड केबल पुल : अंजी खड्ड केबल पुल के निर्माण के अंतर्गत 196.25 मीटर लंबे डेक स्लैब कास्टिंग के पहले चरण का कार्य पूरा होने के बाद अगले चरणों में सेगमेंट डेक बिछाने और उन्हें केबल का सहयोग देने का कार्य किया जाएगा। चिनाब पुल के दक्षिण-पूर्व में सुरंग टी-2 और टी-3 के बीच स्थित यह पुल धर्मनगरी कटड़ा को रेल द्वारा जिला मुख्यालय रियासी से जोड़ेगा। एक केंद्रीय तोरण की धुरी पर टिका अंजी खड्ड पुल केबल स्टेड पुल है। नींव के ऊपर से तोरण (पायलन) की ऊंचाई 193 मीटर है। पुल नदी तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी कुल लंबाई 726 मीटर है। इस पुल को 96 केबलों का सहारा होगा, जिनकी लंबाई 82 मीटर से 295 मीटर तक होगी। तोरण का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और डेक का निर्माण कार्य चल रहा है।
97 प्रतिशत रेलखंड पुलों व सुरंगों में : 111 किलोमीटर कटड़ा-बनिहाल रेलवे सेक्शन परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से 97 प्रतिशत ट्रैक सुरंगों में से या पुलों पर से होकर गुजर रहा है। इस, रेल खंड पर कुल नौ रेलवे स्टेशन हैं। तेज बहाव वाला चिनाब के अलावा अन्य नाले और गहरी घाटियां हैं, जहां पुलों का निर्माण भी आसान नहीं। इन चुनौतियों के विश्व का सबसे ऊंचा आर्च रेलवे पुल ‘चिनाब ब्रिज’ और ‘अंजी ब्रिज’ व देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग टी-49 इसी रेलखंड में है, जिसकी लंबाई 12.758 किलोमीटर है।
- श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के शेष बचे 111 किलोमीटर के हिस्से पर कार्य तेजी से चल रहा है। इस सेक्शन पर अनेक महत्वपूर्ण निर्माण हो रहे हैं। इन्हीं में से एक भारतीय रेलवे के पहले केबल स्टेड अंजी पुल का निर्माण भी शामिल है। इसका निर्माण अंजी खड्ड नाम की एक गहरी खाई के ऊपर किया जा रहा है। - आशुतोष गंगल, महाप्रबंधक, उत्तर रेलवे