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Ghulam Nabi Azad: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम आजाद ने छोटे से गांव से भरी थी सफलता की उड़ान, PM मोदी ने भी की प्रशंसा

Ghulam Nabi Azad 1973 में ब्लाक कांग्रेस ककमेटी भलेसा के सचिव नियुक्त हुए। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड कर नहीं देखा। कांग्रेस में तेजी के साथ वह युवा नेता के रूप में उभरे। दो वर्ष बाद ही आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश युवा कांग्रेस का प्रधान नियुक्त किया गया।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Tue, 09 Feb 2021 03:47 PM (IST)
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वर्ष 1982 में उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों का उपमंत्री बनाया गया।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। इस समय राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की सफलता की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। डोडा जिले के एक छोटे से गांव में रहने के बावजूद वह जिस मंजिल पर पहुंचे, वहां पर पहुंचना किसी के लिए भी आसान नहीं था। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल तक के सफर में उन्होंने अपने फैसलों से एक अमिट छाप छोड़ी और विवादों से दूर रहकर हर किसी के प्रिय बने। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गत दिवस राज्य सभा में अपने भाषण के दौरान उनकी जमकर तारिफ की।

डोडा जिले के रहने वाले गुलाम नबी आजाद: डोडा जिले के भलेसा क्षेत्र की गंदोह तहसील के गांव सोती के रहने वाले गुलाम नबी आजाद का जन्म रहमतउल्ला बट और बासा बेगम के घर में हुआ। उनकी शुरूआत की पढ़ाई भी गांव के स्कूल में ही हुई। लेकिन बाद में उच्च शिक्षा के लिए वह जम्मू आ गए और यहां गांधी मेमोरियल कालेज से सांइस विषय में डिग्री हासिल की। इसके बाद वर्ष 1972 में कश्मीर विश्वविद्यालय से जूलोजी में एमएससी की। मगर आजाद विश्वविद्यालय के समय से ही राजनीति में रूचि रखते थे।

ब्लाक कांग्रेस कमेटी भलेसा के सचिव हुए थे नियुक्त: वर्ष 1973 में ब्लाक कांग्रेस कमेटी भलेसा के सचिव नियुक्त हुए। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड कर नहीं देखा। कांग्रेस में तेजी के साथ वह युवा नेता के रूप में उभरे। दो वर्ष बाद ही आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश युवा कांग्रेस का प्रधान नियुक्त किया गया। वर्ष 1980 में वह युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रधान बन गए। इसी वर्ष आजाद ने सातवीं लोक सभा के चुनावों में महाराष्ट्र के वाशिम लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वह लोक सभा में पहुंच गए। वह इंदिरा गांधी सरकार में उपमंत्री बने। वर्ष 1982 में उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों का उपमंत्री बनाया गया।

आजाद 1984 में एक बार फिर से लोक सभा के लिए चुने गए। इसके बाद वर्ष 1990 से 1996 में वह महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए चुनकर आए। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में भी आजाद को कई अहम जिम्मेदारियां मिली। वह संसदीय मामलों और नागरिक उड्डयन मंत्रालयों के मंत्री रहे। इसके बाद तीस नवंबर 1996 से 29 नवंबर 2002 तथा तीस नवंबर 2002 से 29 नवंबर 2008 के लिए फिर से जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए। लेकिन बीच में ही उन्हें जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री पद सौंपे जाने के कारण उन्होंने 29 अप्रैल 2006 को राज्यसभा से त्यागपत्र दे दिया।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने: आजाद ने दो नवंबर 2005 को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री की पारी शुरू की। उनसे लोगों को बहुत अपेक्षाएं भी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर जम्मू-कश्मीर में आठ नए जिले बनाए। इनमें चार जम्मू संभाग और चार कश्मीर संभाग में थे। उन्होंने बाबा अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं के लिए भगवती नगर में यात्री निवास बनवाया। यही नहीं जम्मू-कश्मीर में डबल शिफ्ट में काम करने की प्रथा शुरू की। जम्मू मे टयूलिप गार्डन बनवाया। आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए काम किया। लेकिन बाबा अमरनाथ यात्रा के लिए भूमि विवाद होने के चलते पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने उनसे समर्थन वापिस ले लिया। आजाद ने सात जुलाई 2008 को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

देश के स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार भी संभाला: आजाद ने संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा सरकार के दूसरे कार्यकाल में फिर से केंद्र में वापिसी की। डा. मनमोहन की सरकार में वह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बने। इसमें उन्होंने कई यादगार फैसले किए। नेशनल रूरल हेल्थ मिशन का विस्तार करने के अलावा उन्होंने नेशनल अर्बन हेल्थ मिशन भी शुरू किया। इस कार्यकाल में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लिए कई यादगार काम किए। जम्मू और श्रीनगर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनवाए। हालांकि जम्मू में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को मंजूरी पूर्व स्वास्थ्यमंत्री सुषमा स्वराज कर गई थी लेकिन उसका काम आजाद ने शुरू करवाया और अपने कार्यकाल में इसका उदघाटन भी किया। उन्होंंने जम्मू और कश्मीर के लिए पांच नए मेडिकल कालेज डोडा, कठुआ, राजौरी, बारामुला और अनतंनाग मंजूर किए। दो कैंसर इंस्टीटयूट स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने अपने कार्यकाल में यह प्रयास किया कि जम्मू और कश्मीर दोनों ही जगहों पर बराबर का विकास हो।

विपक्ष के नेता की संभाली कमान: वर्ष 2014 में हुए लोक सभा के चुनावों में यूपीए कोे हार का सामना करना पड़ा। एनडीए की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आई। लेकिन आजाद की अहमियत कम नहीं हुई। कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। वर्ष 2015 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत न होने के बावजूद आजाद राज्यसभा के लिए चुने गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें वर्ष 2015 के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड दिया था। कार्यक्रम एक अगस्त 2018 को संसद भवन में हुआ था।

कश्मीर की विख्यात गायिका से की शादी: गुलाम नबी आजाद ने वर्ष 1980 में कश्मीर का विख्यात गायिका शमीम देव आजाद से शादी की। उनकी एक बेटी और एक बेटा भी है। बेटे का नाम सद्दाम नबी आजाद और बेटी का सोफिया नबी आजाद है। 

चार प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में रहे आजाद: गुलाम नबी आजाद ने चार प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में काम किया। वर्ष 1980 में इंदिरा गांधी सरकार में वह महत 31 साल की उम्र में पहले कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री रहे। इसके बाद सूचना और तकनीक मंत्रालय में उपमंत्री रहे। राजीव गांधी सरकार में वह पहले संसदीय मामलों के राज्यमंत्री, गृह राज्यमंत्री और खाद्य आपूर्ति राज्यमंत्री बने। नरसिम्हा राव सरकार में आजाद संसदीय मामलों, नागरिक उड्डयन और पर्यटन मंत्री रहे। मनमोहन सिंह सरकार में आजाद पहले संसदीय मामलों और शहरी विकास मामलों के मंत्री रहे। वहीं बाद में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री भी रहे। वाजपेयी सरकार के दौरान भी वह संसदीय कमेटियों के सदस्य रहे।ॉ

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