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Jammu Kashmir : जीवन की हर चुनौती में प्रेरणा बने बलिदानी पति लेखराज, वीरनारी शांति देवी ने सुनाई अपने चुनौतीपूर्ण जीवन की कहानी

Kargil Vijay Diwas जब भी उन्हें कोई चुनौती आती थी या परेशानी होती थी तो मन में होता था कि सैनिक की पत्नी कभी हारेगी नहीं। इसी विश्वास के साथ उन्होंने तीन बेटियों की परवरिश की। उनकी शादियां की।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Mon, 25 Jul 2022 09:44 AM (IST)
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वीरनारी शांति देवी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह बलिदानी की वीरनारी हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : हीरानगर शतूरा की वीरनारी 90 वर्षीय शांति देवी ने बताया कि उनके पति हवलदार लेखराज का बलिदान हुए 57 वर्ष हो गए हैं। वर्ष 1965 में अटारी बार्डर अमृतसर में उनका बलिदान हुआ।जब उनका बलिदान हुआ तो छोटी-छोटी तीन बेटियां रह गई थी।पूरा जीवन पड़ा था। हर दिन कोई चुनौती बनी रहती थी। लेकिन यह उन्हीं की प्रेरणा थी कि कभी हिम्मत नहीं हारी।

उनका हमारे बीच न रहना हमेशा याद आता है लेकिन समय-समय पर देश के हर नागरिक ने उन्हें जो सम्मान दिया है। उससे गर्व होता है कि उनका विवाह एक सैनिक से हुआ। जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम की ओर से कारगिल विजय दिवस पर गुलशन ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में हजारों की संख्या में बलिदानियों के परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया गया।वीरनारी शांति देवी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह बलिदानी की वीरनारी हैं।

सैनिक की पत्नी कभी हारेगी नहीं : जब भी उन्हें कोई चुनौती आती थी या परेशानी होती थी तो मन में होता था कि सैनिक की पत्नी कभी हारेगी नहीं। इसी विश्वास के साथ उन्होंने तीन बेटियों की परवरिश की। उनकी शादियां की। जब कभी भी हौंसला डगमगाने लगा तो इसी तरह कोई न कोई कार्यक्रम प्रेरित करता रहा। रविवार को आयोजित कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम होत रहें ताे समाज को याद रहता है कि उनकी रक्षा के लिए जो लोग खडे़ हैं उनका सम्मान कितना जरूरी है।

मुझे विश्वास नहीं होता मेरा बेटा बलिदान हो चुका है : चार वर्ष पहले बलिदान हुए रोशन लाल मंडाला के पिता रतन पाल ने कहा कि उन्हें विश्वास ही नहीं होता कि उनके बेटे का बलिदान हो चुका है। आज भी लगता है वह देश सेवा में जुटा हुआ है।आज के कार्यक्रम ने बेटे की हर याद ताजा कर दी है। बलिदानी खातम हुसैन के पिता इलमदीन ने बताया कि उनके बेटे का बलिदान दूसरे कई लोगों के लिए प्रेरणा है।

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