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Vijay Diwas के 54 साल: जब भारतीय जांबाजों ने पाक सैनिकों को चटाई थी धूल, घुटने टेकने पर किया था मजबूर

Vijay Diwas 2023 जम्मू-कश्मीर में विजय दिवस के कार्यक्रमों में देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। ठीक 53 साल पहले वर्ष 1971 के भारत-पाक में सेना ने दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया था। आज विजय दिवस पर सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी बलिदानियों को सलामी देंगे।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaPublished: Sat, 16 Dec 2023 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2023 06:30 AM (IST)
भारत-पाक में सेना ने दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया था।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू कश्मीर व लद्दाख में देश के दुश्मनों से लोहा लेने को हरदम तैयार सेना शनिवार को विजय दिवस पर 1971 की ऐतिहासिक जीत से प्रेरणा लेगी। प्रदेश में विजय दिवस के कार्यक्रमों में देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। ठीक 53 साल पहले वर्ष 1971 के भारत-पाक में सेना ने दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया था।

युद्ध स्मारकों में भी होंगे कई कार्यक्रम

आज भी सेना उच्च मनोबल के साथ पाक-चीन जैसे देशों द्वारा पैदा की जा रही सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। शनिवार को विजय दिवस पर सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी बलिदानियों को सलामी देंगे। कमान मुख्यालय के साथ सेना की चौदह, पंद्रह व सोलह कोर मुख्यालय के युद्ध स्मारकों में भी कार्यक्रम होंगे।

1971 के युद्ध नायकों को किया जाएगा सम्मानित

सेना की पश्चिमी कमान की रायजिंग स्टार कोर की टाइगर डिवीजन भी शनिवार को विजय दिवस पर जम्मू में बलिदानियों को श्रद्धांजलि देगी। इस दौरान जम्मू शहर के बलिदान स्तंभ में टाइगर डिव के जीओसी मेजर जनरल गौरव गौतम बलिदानियों को पुष्प चक्र अर्पित करेंगे। इस कार्यक्रम में वर्ष 1971 के युद्ध में हिस्सा लेने चुके जम्मू कश्मीर के कई पूर्व सैनिक भी हिस्सा लेंगे। प्रदेश में सेना ने वर्ष 1971 के युद्ध के नायकों को सम्मानित करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया था।

ये थे परमवीर चक्र विजेता

जम्मू के दोमाना के साथ राजौरी के सुंदरबनी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सेना ने क्षेत्र के ललयाली में लड़ी गई लड़ाई के नायकों व बलिदानियों के परिजनों को सम्मानित किया। इसी प्रकार के कार्यक्रम गत दिनों लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास में भी आयोजित किए गए। वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में जम्मू क्षेत्र के बसंतर व ललयाली इलाकों में भारतीय सेना ने दुश्मन काे करारी मात देते हुए उसके दर्जनों टैंक कर पाकिस्तान के काफी हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था। इस लड़ाई में हिस्सा लेने वाले जम्मू के वीरों में परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह, वीर चक्र विजेता कर्नल वीरेन्द्र साही व बलिदानी वीर चक्र विजेता लांस नायक मोहन लाल लखोत्रा शामिल थे।

देश के लिए दिया था सर्वोच्च बलिदान

कर्नल विरेन्द्र साही दुश्मन को खदेड़ते हुए गोलियां लगने से घायल हुए थे। वहीं वर्ष 1971 के युद्ध में जब पाकिस्तानी सेना ने कारगिल पर हमला किया था तो भारतीय सेना के वीर उस पर काल बनकर टूट पड़े थे। सेना की 18 पंजाब ने पाकिस्तान पर धावा बोलकर 36 घंटों के अंदर उसके कब्जे वाले 40 किलोमीटर इलाके व इसमें स्थित पाकिस्तान की 19 चौकियों को अपने कब्जे में ले लिया था। इस लड़ाई के दौरान सेना की 18 पंजाब के 29 बलिदानियों ने देश के लिए सर्वाेच्च बलिदान दिया था।

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