Water Crisis: 40 सालों से जल शक्ति विभाग नहीं बुझा पाया है इन गांवों की प्यास, खारा पानी पीने को मजबूर हैं लोग
करोल कृष्णाकरोल माथरियांकरोल विद्दो बोबिया पंचायत के ये तीनों गांव जीरो लाइन पर पड़ते हैं जो गोलीबारी से प्रभावित रहे हैं। हालात यह है कि कुछ लोगों ने घरों में शैलो हैंड पंप लगा रखे हैं। उन का पानी भी खारा हो चुका है जो पीने लायक नहीं है। योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी पानी की समस्या बनी हुई है।
जागरण संवाददाता, हीरानगर। गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही गांवों में पेयजल संकट भी गहराने लगा है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में नए ट्यूबवेल लगाने का कार्य जारी है इसके बावजूद भी लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है।
सीमावर्ती क्षेत्र के बोबिया पंचायत की बात करें तो करोल कृष्णा, करोल माथरियां, करोल विद्दो तीन गांव ऐसे हैं जिनमें विभिन्न पेयजल योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद जल शक्ति विभाग लोगों की प्यास नहीं बुझा पाया है।
40 साल से नहीं हो पाई है पानी की सप्लाई
करोल कृष्णा क्षेत्र के गांवों में पहली बार 1984 में चकडा ट्यूबवेल से कुछ माह पानी की सप्लाई हुई थी। उसके बाद से ट्यूबवेल का पानी पीने को नहीं मिला जबकि अभी विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं।साल 1999 में करोल कृष्णा में सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेल से पानी सप्लाई करने के लिए बीडीपी के तहत पंप हाउस और ओवर हेड टैंक बनाया गया लेकिन पानी की आपूर्ति नहीं हुई।
2014 में फिर एक ट्यूबवेल बोरवेल लगाया गया उसका पानी भी नहीं मिला और अब जल जीवन मिशन के तहत एक करोड़ खर्च कर 20 हजार लीटर का ओवर हेड टैंक और नया ट्यूबवेल लगे हुए भी एक साल हो गया है। पानी की सप्लाई फिर भी शुरू नहीं हुई।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।गोलीबारी से प्रभावित रहे हैं तीनों गांव
करोल कृष्णा,करोल माथरियां,करोल विद्दो बोबिया पंचायत के ये तीनों गांव जीरो लाइन पर पड़ते हैं जो गोलीबारी से प्रभावित रहे हैं। हालात यह है कि कुछ लोगों ने घरों में शैलो हैंड पंप लगा रखे हैं। उन का पानी भी खारा हो चुका है जो पीने लायक नहीं है और न ही उस से खाना पकता है।सीमावर्ती इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी पानी की समस्या बनी हुई है।