J&K News: केंद्र सरकार का सपना हुआ साकार... शाहपुर कंडी बांध के गेट हुए बंद, पाकिस्तान नहीं जाएगा रावी का पानी
रावी का पानी पाकिस्तान की ओर जाना बंद हो गया है और पानी रोकने के लिए बनाए गए पंजाब में शाहपुर कंडी बांध के गेट बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही बांध में जल भंडारण होना शुरू हो चुका है। बांध में करीब 400 फुट तक जलस्तर पहुंचने के बाद ही पानी सिंचाई के लिए छोड़ा जाएगा और इसके जरिए जम्मू-कश्मीर व पंजाब की भूमि संचित कि जाएगी।
राकेश शर्मा, कठुआ। आखिर रावी का पानी पाकिस्तान की ओर जाना बंद हो गया है। रावी का पानी रोकने के लिए बनाए गए पंजाब में शाहपुर कंडी बांध के गेट बंद कर दिए गए हैं और इसके साथ ही बांध में जल भंडारण आरंभ हो गया है। बांध में करीब 400 फुट तक जलस्तर पहुंचने के बाद ही पानी सिंचाई के लिए दिया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर व पंजाब को मिलेगा इतना पानी
इससे जम्मू-कश्मीर की 32 हजार हेक्टेयर और पंजाब की पांच हजार हेक्टेयर भूमि संचित होनी है। यह भूमि पर्याप्त पानी न मिलने के कारण बंजर हो रही थी। शाहपुर कंडी परियोजना से जम्मू-कश्मीर को 1150 क्यूसेक पानी मिलेगा और पंजाब को 200 क्यूसेक पानी मिलेगा। इसके साथ ही 200 मेगावाट बिजली उत्पादन का भी लक्ष्य रखा गया है।
हालांकि जम्मू-कश्मीर के किसानों को उनके हिस्से का पानी मिलने में कुछ समय लग सकता है क्योंकि बांध से पानी पहुंचाने के लिए बन रही 1378 मीटर लंबी नहर का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। यहां बता दें कि रावी नदी के पानी पर हमारा हक है पर इसका कुछ हिस्सा बहकर पाकिस्तान चला जाता था।
केंद्र सरकार का सपना होने जा रहा साकार
ऐसे में जम्मू-कश्मीर को उसके हिस्से का पानी दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने 2018 में शाहपुर-कंडी परियोजना का शिलान्यास किया था। इस परियोजना के लिए करीब 2793 करोड़ रुपये की लागत आई है। केंद्र सरकार के विशेष सहयोग और लगातार निगरानी से यह सपना साकार होने जा रहा है।
बता दें कि वर्ष 1979 में रणजीत सागर बांध के निर्माण के दौरान जम्मू-कश्मीर के किसानों को उनके हक का पानी दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन पंजाब वादे से पलट गया।
जम्मू-कश्मीर ने यह पानी लेने के लिए करीब 60 किलोमीटर लंबी रावी-तवी नहर का निर्माण भी वर्ष 1996 में कर लिया था। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मुद्दे को लगातार उठाया और केंद्र ने इस परियोजना के लिए केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई।
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