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Shraddha Karma 2021 : सोमवार से शुरू होंगे पितृपक्ष श्राद्ध, क्या है विधान, जानें किस तारीख को है कौन-सा श्राद्ध

Shraddha Karma 2021 जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Fri, 17 Sep 2021 12:48 PM (IST)
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जिनको पितरों के देहांत की तिथि याद नहीं है वे उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन कर सकते हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : इस वर्ष पितृपक्ष श्राद्ध 20 सितंबर, सोमवार से शुरू हो रहे हैं और 06 अक्टूबर बुधवार को समाप्त होंगे। पितरों के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। पितृपक्ष के दिनों में अपनी शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण, दान पुण्य अवश्य करना चाहिए।

पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। श्राद्धों में अपने पितरों मृत्यु तिथि के दिन पिण्डदान, तर्पण, ब्राह्मणों को भोजनएन, कपड़े, फल, मिठाई सहित दक्षिणा ब्राह्मणों को दान देने के बाद गरीबों को खाना खिलाना भी जरूरी है। जितना दान दोगे, वह उतना आपके पूर्वजों तक पहुंचता है। श्राद्ध करने से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है और पितरों को संतुष्ट करके स्वयं की मुक्ति के मार्ग पर बढ़ता है और पितर भी प्रसन्न होकर व्यक्ति को आरोग्य, धन, संपदा, मोक्ष आदि सुख प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

पितृपक्ष श्राद्ध के विषय मे श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते लोग एक दूसरे के घर जाने में परहेज कर रहे हैं। अगर पुरोहित जी का घर आने से परहेज हो तो आप श्राद्ध के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण एवं पूजन कर, पात्र में सबसे पहले देवता, पितरों, गाय माता, कौवे, कुत्ते, चींटी का भोजन का थोड़ा सा भाग निकालें। फिर यथा शक्ति सुखा राशन एवं दक्षिणा ब्राह्मणों एवं ज़रूरतमंद लोगो को दें।

किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य दिनों में भी ऐसा ही किया जाता है। जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।जिनको पितरों के देहांत की तिथि याद नहीं हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध कहा जाता है।

जानें श्राद्ध की तिथियां

पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध 20 सितंबर सोमवार।

प्रतिपदा, पहला, श्राद्ध 21 सितंबर मंगलवार।

द्वितीया, दूसरा श्राद्ध 22 सितंबर बुधवार।

तृतीया, तीसरा, श्राद्ध 23 सितंबर गुरुवार।

चतुर्थी, चौथा, श्राद्ध 24 सितंबर शुक्रवार।

पंचमी, पांचवा, श्राद्ध 25 सितंबर शनिवार। पंचमी तिथि शुरू सुबह 10.37 के बाद।

षष्ठी, छठा, श्राद्ध 27 सितंबर सोमवार।

सप्तमी, सांतवा, श्राद्ध 28 सितंबर मंगलवार।

अष्टमी, आंठवा, श्राद्ध 29 सितंबर बुधवार।

नवमी, नवां, श्राद्ध 30 सितंबर गुरुवार।

दशमी, दसवां, श्राद्ध 01 अक्टूबर शुक्रवार।

एकादशी, ग्यारहवां, श्राद्ध 02 अक्टूबर शनिवार।

द्वादशी, बारहवां, श्राद्ध 03 सितंबर रविवार।

त्रयोदशी, तेरहवां, श्राद्ध 04 अक्टूबर सोमवार।

चतुर्दशी, चौदहवां, श्राद्ध 05 अक्टूबर मंगलवार।

अमावस्या तिथि का श्राद्ध 06 अक्टूबर बुधवार, सर्वपितृश्राद्ध एवं पितृ विसर्जन एवं श्राद्ध समाप्त। 

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