World Rabies Day: दिल्ली के बाद जम्मू में भी कुत्तों का आतंक, 12 हजार लोगों को बनाया शिकार; कई की हो गई मौत
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में पहले आठ महीनों में अस्पतालों में कुत्तों के काटने के 7068 मामले आए थे लेकिन इस वर्ष अभी तक 12551 मामले आ चुके हैं। यह आंकड़े जम्मू नगर निगम अन्य जिलों की नगर निकायों के उन दावों की भी झूठलाते हैं जो कहते हैं कि लावारिस पशुओं को नियंत्रण में करने के लिए उन्होंने अभियान चलाया हुआ है।
रोहित जंडियाल, जम्मू : जम्मू कश्मीर में लावारिस कुत्तों के आतंक से लोग खौफ में हैं। चौक-चौराहे हो या गलियां लावारिस कुत्ते झुड़ों में राहगीरों व दोपहिया वाहन चालकों पर हमला कर देते हैं। यही कारण है कि कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस वर्ष जम्मू संभाग में अभी तक साढ़े 12 हजार लोगों को कुत्ते काट चुके हैं। इनमें तीन लोगों की रैबीज के कारण मौत भी हो चुकी है। सबसे अधिक जम्मू जिला प्रभावित है जहां हर महीने एक हजार से अधिक मामले आते हैं।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में पहले आठ महीनों में अस्पतालों में कुत्तों के काटने के 7068 मामले आए थे, लेकिन इस वर्ष अभी तक 12551 मामले आ चुके हैं। यह आंकड़े जम्मू नगर निगम, अन्य जिलों की नगर निकायों के उन दावों की भी झूठलाते हैं जो कहते हैं कि लावारिस पशुओं को नियंत्रण में करने के लिए उन्होंने अभियान चलाया हुआ है।
कुत्ते के काटने के मामले इस समय आते हैं
अब तक 40 हजार से अधिक कुत्तों की बध्याकरण कर दी गई है। हकीकत यह है कि सुबह और देर शाम को जब सड़कों पर कुत्तों का कहर होता है तो किसी भी संबंधित विभाग का कोई कर्मचारी नजर नहीं आता। वे सुबह 10 बजे से लेकर शात को चार बजे तक की ड्यूटी देकर घरों में होते हैं। अस्पतालों का रिकॉर्ड कहता है कि 80 प्रतिशत कुत्तों के काटने के मामले सुबह व शाम के समय आते हैं।
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रैबीज के कारण जिन तीन लोगों की मौत
आंकड़ों के अनुसार जम्मू जिले के शहरी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है। पुराने शहर के अतिरिक्त छन्नी हिम्मत, गांधीनगर जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक मामले आते है। रियासी जिला सबसे अधिक शांत है जहां अभी न के बराबर ही मामल आ रहे हैं। हालांकि इस वर्ष रैबीज के कारण जिन तीन लोगों की मौत हुई, उनमें एक-एक रियासी, ऊधमपुर और एक रामबन। डाक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज न करवाने के कारण ही इनकी मौत हुई है।
झाड़-फूंक न करवाएं
जीएमसी जम्मू में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी डा. राजीव कुमार का कहना है कि जानवरों के काटने के झाड़-फूंक न करवाएं और तुरंत अस्पताल में जाकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगावाएं। समय पर इलाज करवाने से ठीक हो सकते हैं। जीएमसी में जानवरों के काटने के जितने मामले आते हैं, उनमें अधिकांश कुत्तों के काटने के ही होते हैं।
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एपीडेमालोजिस्ट डा. हरजीत राय का कहना है कि पहले कुत्तों के काटने के सभी मामले रिकार्ड में दर्ज नहीं होते थे, लेकिन अब जिला स्तर पर सह व्यवस्था है और कहीं पर भी कोई मामला हो , वह सामने आ जाता है। अगर किसी को कुत्ता काटता है और वह 24 घंटे के भीतर वैक्सीन और सीरम न ले तो उसमें रैबीज की आशंका हो जाती है। रैबीज उन्हीं को होता है जो अपना इलाज नहीं करवाते। अगर रैबीज हो जाए तो मरीज के बचने की संभावना न बराबर रहती है। जानवर के काटने के 10 दिन से लेकर छह महीने तक सबसे अधिक खतरा रहता है।
कुत्ता काटे तो क्या करें
डॉक्टरों के अनुसार अगर कुत्ता काटता है तो जख्म को उसी समय बहते हुए पानी में साबुन से दस मिनट तक साफ करें। इससे 80 प्रतिशत संक्रमण दूर हो जाएगा। 24 घंटों के भीतर अस्पताल में जाएं और डाक्टर की सलाह के अनुसार सीरम या वैक्सीन लें। जख्म वाली जगह पर मिर्च या फिर काजल न लगाएं। इससे संक्रमण का खतरा रहता है।
इस वर्ष जम्मू संभाग के विभिन्न जिलों में अभी तक आए कुत्तों के काटने के मामले
जिला जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त
जम्मू 1008 1151 1246 1179 1175 1079 1145 993
डोडा 15 10 28 19 18 08 20 26
कठुआ 23 17 38 37 102 128 158 206
किश्तवाड़ 00 44 43 57 54 38 00 00
पुंछ 10 06 17 50 30 49 37 32
राजौरी 11 58 75 53 150 140 131 124
रामबन 22 15 42 43 66 43 62 75
रियासी 02 02 03 06 02 01 04 04
सांबा 41 32 29 35 65 66 57 97
ऊधमपुर 72 62 103 92 106 84 120 163
कुल मामले-1204 1395 1624 1571 1768 1636 1734 1619