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LOC पर बने शारदा पीठ में 76 साल बाद हुई पूजा, खंडन से लेकर पुनर्निर्माण का बना गवाह; जानिए कितना खास है ये मंदिर

गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने अधिकृत कश्मीर में बने शारदा मंदिर (Sharada temple) में 76 साल बाद नवरात्र पूजा की। इस मंदिर को विभाजन के बाद खंडित कर दिया गया था जिसके बाद साल 2021 में दोबारा जीर्णोद्धार की शुरूआत हुई। शाह ने कहा कि मैं भाग्यशाली था कि 23 मार्च 2023 को मंदिर को फिर से खोला गया। यह घाटी में शांति की वापसी का प्रतीक है।

By Deepak SaxenaEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Mon, 16 Oct 2023 06:17 PM (IST)
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LOC पर बने शारदा पीठ में 76 साल बाद हुई पूजा, अमित शाह भी हुए शामिल।

जम्मू, जागरण डिजिटल डेस्क। गृहमंत्री अमित शाह ने 76 साल बाद पाक अधिकृत कश्मीर के शारदा मंदिर में पहली बार पूजा की। इस मंदिर का जीर्णोद्धार आजादी के बाद से 23 मार्च 2023 को किया गया। ऐसा माना जाता है कि यह शक्ति कश्मीरी पंडितों के लिए सबसे पवित्र स्थानों में एक है। तो आइए जानते हैं कि इस मंदिर का निर्माण कैसे हुआ और इस मंदिर को लेकर क्या रोचक तथ्य हैं।

शारदा मंदिर मुजफ्फराबाद से लगभग 140 किलोमीटर और कुपवाड़ा से लगभग 30 किमी की दूरी पर पीओके में नियंत्रण रेखा के पास नीलम नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर के निर्माण को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

स्थापना को लेकर प्रचलित कई मान्यताएं

कहा जाता है कि सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान शारदा पीठ की स्थापना 237 ईसा पूर्व में हुई थी। वहीं, कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पहली शताब्दी के प्रारंभ में कुषाणों के शासन के दौरान हुआ था। जबकि फैज उर रहमान केस स्टडी में कहा गया है कि राजा ललितादित्य ने बौद्ध धर्म के धार्मिक और राजनीतिक प्रभाव को बरकरार रखने के लिए शारदा पीठ का निर्माण किया था।

मां सरस्वती को समर्पित है शारदा मंदिर

शारदा पीठ का अर्थ शारदा की भूमि या जगह, जो हिंदू देवी सरस्वती का एक कश्मीरी नाम भी है। वहीं, बताया जाता है कि शारदा पीठ विद्या का एक प्राचीन केंद्र भी रहा है, यहां पर पाणिनी और अन्य व्याकरणियों ने ग्रंथ संग्रहीत किए थे। इसमें पहले 5000 विद्वान रहते थे और यहां पर उस समय का सबसे बड़ा पुस्तकालय भी मौजूद था।

विभाजन के बाद मंदिर को कर दिया गया खंडित

लेकिन, मंदिर अपने बुरे दौर से उस वक्त गुजरा जब भारत और पाकिस्तान के विभाजन की स्थिति उत्पन्न हुई। साल 1947 को भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो गया। जिसके बाद ये मंदिर पूरी तरह से निर्जन हो गया। पाक अधिकृत क्षेत्र में आने के कारण यहां भक्तों का आना जाना प्रतिबंधित कर दिया गया। यहां बता दें कि शारदा देवी का सनातन मंदिर पाक अधिकृत कश्मीर में शारदा कस्बे के पास पहाड़ी पर स्थित है और विभाजन के बाद इसे खंडित कर दिया गया है।

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आदि शंकराचार्य भी आ चुके शारदा पीठ

आदि शंकराचार्य भी कश्मीर भ्रमण के दौरान मां शारदा देवी के दर्शन के लिए शारदा पीठ आए थे और उन्होंने चार पीठों के साथ ही कश्मीर स्थित सर्वज्ञपीठ में भगवती श्रीशारदा देवी की पूजा की थी। अब नियंत्रण रेखा के किनारे किशनगंगा नदी के तट पर नए मंदिर की स्थापना की गई है। 1947 से पूर्व यहां यज्ञशाला हुआ करती थी। शारदा पीठ जाने वाले श्रद्धालु यहां विश्म के बाद किशनगंगा नदी में स्नान के बाद यात्रा आरंभ करते थे।

साल 2021 में शुरू हुआ था मंदिर निर्माण

वहीं, एक बार फिर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया दिसंबर 2021 में शुरू हुई। उस समय नींव का पत्थर रखा गया और मंदिर मार्च 2023 में बनकर तैयार हो गया। भारत-पाक विभाजन के समय टीटवाल में प्रस्तावित मंदिर निर्माण स्थल से ही पवित्र छड़ी मुबारक शारदा पीठ के लिए प्रस्थान करती थी। टीटवाल में निर्माणाधीन मंत्री के वास्तुशिल्प और योजना को शृंगेरी पीठ द्वारा अनुमोदित किया। मंदिर में ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया।

ग्रेनाइट के पत्थरों से बनाया गया मंदिर

मंदिर में इस्तेमाल किए जाने वाले ग्रेनाइट के पत्थरों पर मूर्तियां बनाने, नक्काशी करने का काम दक्षिण भारत के कर्नाटक में किया गया। इसके साथ ही एसएससी के अध्यक्ष रविंद्र पंडिता ने कहा कि पाकिस्तान सरकार से संपर्क कर शारदापीठ कॉरिडोर स्थापित कराया जाए। अगर यह कॉरिडोर बनता है तो इसका फायदा जम्मू कश्मीर को ही नहीं गुलाम कश्मीर को भी होगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु शारदा पीठ की तीर्थयात्रा करने आएंगे।

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