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    देश के लिए पदक जीतने वालों ने खेल दिवस को मनाना काला दिवस, बोले- नौकरियों के लिए पिछले 12 वर्ष से कर रहे संघर्ष

    Updated: Sat, 30 Aug 2025 03:43 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय खेल दिवस पर खिलाड़ियों ने काला दिवस मनाया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ी 12 सालों से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रोविजनल लिस्ट जारी होने के बाद भी मेरिट लिस्ट में देरी से उनका भविष्य अधर में है। खिलाड़ियों ने सरकार से तुरंत मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग की है।

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    खिलाड़ियों ने चेतावनी दी है कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। राष्ट्रीय खेल दिवस, जो आमतौर पर खिलाड़ियों के सम्मान और प्रेरणा का दिन होता है, इस बार जम्मू-कश्मीर के खिलाड़ियों के लिए विरोध का प्रतीक बन गया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन करने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों ने आज इस दिन को ’काला दिवस’ के रूप में मनाया।

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    राज्य और देश के लिए खून पसीना एक कर विभिन्न खेलों में पदक जीतने वाले इन खिलाड़ियों को पिछले 12 वर्षो से नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।खिलाड़ियों ने हाथों में काले झंडे लेकर सरकार के खिलाफ विरोध जताया और कहा कि उन्होंने देश के लिए पसीना बहाया, पदक जीते, लेकिन अपने हक की नौकरी पाने के लिए सालों से भटक रहे हैं।

    आपको बता दें कि 19 जुलाई 2024 को नॉन-गजेटेड पदों के लिए प्रोविजनल लिस्ट प्रकाशित की गई थी, लेकिन लगभग 11 महीने बीत जाने के बाद भी मेरिट लिस्ट जारी नहीं हुई। इस देरी से खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटक गया है।

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    12 वर्षों से भर्ती किया पड़ी है ठप

    खिलाड़ियों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि पिछले 12 वर्षों से भर्ती प्रक्रिया ठप है। खेलों में परचम लहराने वाले हम खिलाड़ी अब फाइलों की धूल में दब गए हैं।हमारी मेहनत, हमारे पदक, सब बेकार साबित हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि तुरंत मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्तियां की जाएं।अन्यथा उनका आंदोलन और तेज किया जाएगा। खिलाड़ियों ने चेतावनी दी कि अगर अब भी उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई तो आने वाले दिनों में खेल गतिविधियों का बहिष्कार भी किया जा सकता है।

    संघर्ष को जनांदोलन बनाने की चेतावनी

    विरोध कर रहे खिलाड़ियों ने कहा कि वह लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें कभी कहा जाता है कि उनका मामला उपराज्यपाल देखेंगे तो कभी कहा जाता है कि मुख्यमंत्री तो कभी कहा जाता हैक् कि खेल मंत्री ही उनका मसला हल करेंगे।अब तो उपराज्यपाल जनता में आकर स्पष्ट कह चुके हैं कि खिलाड़ियों का यह मामला उनके हाथ में नहीं है। ऐसे में नेका सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए। प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों ने कहा कि जल्द उनका प्रतिनिधिमंडल खेल मंत्री से फिर से मिलेगा अगर अब भी फैसला नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन अपने संघर्ष को जन आंदोलन बनाना पड़ेगा।

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    काला दिवस मनाने को सरकार ने किया मजबूर

    अजय खतरोल, साहिल संब्याल, अभिषेक जम्वाल, सुरमीत कौर सोनी, रोहित सिंह, अचिनत कौर आदि न कहा कि उन्हें अच्छा नहीं लग रहा कि वह राष्ट्रीय खेल दिवस को काला दिवस मना रहे हैं। उनका का यह विरोध न सिर्फ खिलाड़ियों की बेबसी को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि जब पदक जीतकर लौटे नायकों को ही न्याय नहीं मिल पा रहा, तो आने वाली पीढ़ियां खेलों की ओर कैसे प्रेरित होंगी।वहीं प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों के समर्थन में कुछ राजनीतिक दलों के सदस्य भी पहुंचे और खिलाड़ियों को आश्वासन दिया कि वह उनके साथ हैं। 

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