सुविधाओं के अभाव में पर्यटकों को निराश कर रहा अटल सेतु
संवाद सहयोगी बसोहली देश में चौथे नंबर के केबल पुल अटल सेतु पर एक ओर जहां पर्यटकों की भरम
By JagranEdited By: Updated: Sat, 26 Dec 2020 05:30 AM (IST)
संवाद सहयोगी, बसोहली : देश में चौथे नंबर के केबल पुल अटल सेतु पर एक ओर जहां पर्यटकों की भरमार रहती है, वहीं यहा पर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए आज तक सुध नहीं ली गई। रात में अंधेरा होता है, तो इस पुल की खूबसूरती ओझल हो जाती है। स्थानीय निवासी इस पुल पर सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने के लिए राजनेताओं तक दौड़ लगा चुके, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। एडीसी बसोहली तिलक राज थापा ने स्ट्रीट लाइट की सुविधा प्रदान करवाने के लिए कई बार पत्राचार किया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। रंजीत सागर झील पर 592 मीटर लंबा पुल
592 मीटर लंबे इस पुल पर बीच में कोई पिलर नहीं है। रंजीत सागर झील के ऊपर यह पुल 145 करोड़ रुपये की लागत से बना है। इस का सारा भार केबल पर है। केबल भी खास प्रकार की है, जिसे जापान से केवल इस पुल के लिए आयात किया गया। इसे बनाने में चार साल का समय लगा और सिंगला कंपनी द्वारा बनाया गया। वर्ष 2015 में इसका उद्घाटन पूर्व रक्षा मंत्री स्व. मनोहर पर्रिकर द्वारा किया गया था। इसके बनने से बसोहली हिमाचल, पंजाब की दूरी उप जिला बसोहली से कम हुई। वहीं, लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, खरीदारी करने के लिए यह सेतु एक वरदान साबित हुआ। फल-सब्जी बसोहली में सस्ते दामों पर मिलने लगी। मकान बनाने का सामान भी पंजाब में सस्ता होने के कारण लोग इस का लाभ ले रहे हैं। लंबे संघर्ष के बाद बना पुल आजादी के साथ रावी पर पुल बनाने की माग शुरू हुई, लेकिन जैसे ही रंजीत सागर झील में जल भराव 1999 में शुरू हुआ, इसके बाद माग को लेकर अनशन होना शुरू हो गए। इसको लेकर पूर्व रक्षा राज्यमंत्री चमन लाल गुप्ता ने दिलचस्पी दिखाई। इसकी फाइल खुद रक्षा मंत्रालय तक पहुंचाई। इसको लेकर लोग पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हीरानगर में और दिल्ली में उनके निवास पर मिले। इसके बाद फाइल आगे बढ़ी। इसके बाद काग्रेस की सरकार पर इसका नींव पत्थर सोनिया गाधी द्वारा रखा गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इस पुल के लिए काफी प्रयास करने के कारण ही इसका नामकरण अटल सेतु हुआ। उद्घाटन के बाद से नहीं जली स्ट्रीट लाइट
अटल सेतु जो अपने प्रकार का भारत का चौथा पुल होने के बावजूद इस पर वह सब सुविधाएं नहीं मिल पाईं, जो मिलनी थी। उद्घाटन के दिन से आज तक इसकी सारी स्ट्रीट लाइट नहीं जली। कचरा फेंकने के लिए सेतु पर कोई प्रबंध नहीं हैं। समाज सेवी एवं स्थानीय सफाई कर्मचारी साफ-सफाई करते हैं। ग्रेफ विभाग की ओर से यहा पर सफाई के प्रबंध नहीं किए गए हैं। रात के अंधेरे में केवल पिलर पर एलईडी बल्ब जलते हैं, जिसकी रोशनी सेतु तक आती ही नहीं। कोट्स---
इस सेतु को देखने पर्यटक आते हैं, लेकिन यहा पर न तो सफाई के प्रबंध हैं और न ही रात को रोशनी की सुविधा। ऐसे में सरकार को इसकी लाइटों को ठीक करवाने के लिए टेंडर आदि लगाने चाहिए, ताकि लोगों को रात में भी इसे निहारने की सुविधा मिल पाए। -सुनील सोनी, पूर्व प्रधान, म्यूनिसिपल कमेटी दिन भर यहा पर पर्यटक आते हैं। सेतु पर परिवार संग सेल्फी खिंचवाते हैं। इस सेतु के बनने से रोजगार मिला, मगर बिना टूरिस्ट हट, पैसेंजर शेड और रात को स्ट्रीट लाइट की सुविधा के पर्यटक निराश होता हैं। किसे सुनाएं अपनी समस्या। अटल सेतु पर कोई ग्रेफ अधिकारी नहीं है और न ही यहा पर ग्रेफ का कोई विभाग। अनिल पाधा, पूर्व प्रधान, व्यापार मंडल, बसोहली
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