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Jammu Kashmir News: घने कोहरे में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ की आशंका, बॉर्डर पुलिस हुई मुस्तैद

पिछले कुछ दिनों से मैदानी क्षेत्र में पड़ रही गहरी धुंध व कोहरे के बावजूद भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जम्मू कश्मीर पुलिस की बार्डर चौकियों पर तैनात कर्मी बुलंद हौसले के साथ दिन रात नाके लगाकर सुरक्षा कर रहे हैं। कोहरे के दौरान पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की आशंका बनी रहती है। हालांकि सीमा पर तारबंदी की वजह से घुसपैठ की संभावना बहुत कम है।

By rajinder mathur Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Tue, 09 Jan 2024 03:05 AM (IST)
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सांबा कठुआ मार्ग पर वाहनों की जांच करते पुलिस कर्मी
संवाद सहयोगी, हीरानगर। पिछले कुछ दिनों से मैदानी क्षेत्र में पड़ रही गहरी धुंध व कोहरे के बावजूद भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जम्मू कश्मीर पुलिस की बॉर्डर चौकियों पर तैनात कर्मी बुलंद हौसले के साथ दिन रात नाके लगाकर सुरक्षा कर रहे हैं। कोहरे के दौरान पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की आशंका बनी रहती है।

हालांकि, सीमा पर तारबंदी की वजह से घुसपैठ की संभावना बहुत कम है। फिर भी बीएसएफ के साथ ही सीमा पर दूसरी पंक्ति में बनाई गई बॉर्डर चौकियों पर तैनात पुलिस कर्मियों, एसपीओ की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी मुस्तैदी से निभा रहे हैं।

हीरानगर सांबा सेक्टर काफी रहा है संवेदनशील

घुसपैठ रोकने के लिए दिन-रात नाकेबंदी, पशु तस्करी, आपराधिक घटनाओं को रोकने, यातायात व्यवस्था को कायम रखने, संदिग्ध ड्रोन आदि देखे जाने पर बॉर्डर पुलिस को तलाशी अभियान भी चलाना पड़ता हैं। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा हीरानगर सांबा सेक्टर काफी संवेदनशील रहा है।

सीमा पर बहने वाले पहाड़पुर का भाग नाला, छाप नाला, पानसर की चोरगली, मनियारी नर्सरी, करोल कृष्णा, बोबिया लोंडी के बीच तरनाह नाला, बोइनाला, राजपुरा का बबरनाला आदि आतंकी घुसपैठ के रूट रहे हैं और 2002 के पहले इस क्षेत्र से कई आतंकियों से असलाह व बारूद भी पकडा गया था।

बॉर्डर पर पुलिस की चौकियां स्थापित

घुसपैठ की रोकथाम के लिए हीरानगर सेक्टर में कोटपून्नू, हरिया चक, बनियाडी, मढीन, लच्छीपुर,चकडा, सन्याल, शेरपुर और राजपुरा, बबरनाला, मावा में जम्मू कश्मीर पुलिस की बॉर्डर पर पुलिस चौकियां स्थापित की गई थी। इससे घुसपैठ रोकने में काफी हद तक सफलता भी मिली थी।

सीमावर्ती क्षेत्र में गोलीबारी के दौरान भी बॉर्डर पुलिस चौकियों पर तैनात पुलिस कर्मियों को बड़ी अहम भूमिका निभानी पड़ती है। गोलीबारी के दौरान लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना, गांवों में हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करना। यदि कोई घायल हो जाए तो उसे भी अस्पताल पहुंचाने के लिए सीमावर्ती लोगों को पुलिस की मदद लेनी पड़ती है।

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पुलिस ने चलाया है अभियान

एक साल में पुलिस ने पशुओं की तस्करी, नशा तस्करी की रोकथाम के लिए अभियान चलाया हुआ। घने कोहरे का लाभ उठाकर तस्कर अक्सर प्रयास करते रहते हैं, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी की वजह से वह सफल नहीं हो पाते।बॉर्डर पुलिस चौकियों के अंतर्गत विभिन्न जगहों पर रात को अतिरिक्त नाके लगाए जाते हैं और दिन में सीमा क्षेत्र में आने जाने वाले वाहनों की भी जांच की जाती है।

उपमंडल चडवाल के अंतर्गत पशु तस्करी के 116 मामले दर्ज किए गए और 1400 पशुओं को मुक्त कराया गया। 129 पशु तस्करों से 129 वाहन जब्त किए गए, जबकि एनडीपीएस के तहत 27 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने 50 के करीब संदिग्धों से पूछताछ की।

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