Move to Jagran APP

नहरों की सफाई के नाम पर हर साल बहाए जाते हैं लाखों रुपये, लेकिन सफाई के नाम पर होती है लीपापोती

जगजाहिर है कि नहरों की सफाई दशकों से मात्र औपचारिकता भर होती है। कुछ ऐसा ही हाल हाईवे स्थित छन्न अरोड़ियां कस्बे से होकर बहने वाली पुरानी उज्ज कनाल का है। इसे देखकर लगता नहीं है कि उसकी कभी सफाई हुई हो।

By rakesh sharmaEdited By: Lokesh Chandra MishraUpdated: Fri, 11 Nov 2022 05:57 PM (IST)
Hero Image
नहर के बीच में कई फुट गाद जमा है और दूसरा झाड़ियां भी नहर के अस्तित्व को मिटा रही हैं।
कठुआ, जागरण संवाददाता : सरकारी काम भी निराले ही होते हैं। सफाई के नाम पर हर साल नहरों की लीपापोती किसी से छिपी नहीं है। यह जगजाहिर है कि नहरों की सफाई दशकों से मात्र औपचारिकता भर होती है। कुछ ऐसा ही हाल हाईवे स्थित छन्न अरोड़ियां कस्बे से होकर बहने वाली पुरानी उज्ज कनाल का है। इसे देखकर लगता नहीं है कि उसकी कभी सफाई हुई हो। एक तो बीच में जमी कई फुट गाद, दूसरा बीच में उगी झाड़ियां नहर के अस्तित्व को मिटा रही हैं। सफाई के अभाव में इस पुरानी नहर में 50 क्यूसिक पानी भी फ्लो नहीं हो पाता है।

बाहर से नहर अब नाली की तरह दिखती है, जबकि उज्ज राजबाग से शुरू हुई नहर की लंबाई हीरानगर तक है, जो करीब 15 किलोमीटर लंबी है। समय के साथ महाराजा हरि सिंह के समय की बनी सिंचाई के लिए नहर अब सिंचाई विभाग की अनदेखी के कारण अपना अस्तित्व खो रही है। अभी भी इस नहर के जरिए सैकड़ों किसान उज्ज राजबाग से लेकर चड़वाल तक सिंचाई करते हैं।

दो दशक पहले नहर से हीरानगर तक सिंचाई होती थी, लेकिन बीच-बीच में नहर की ब्रेकेज होने के बाद सिंचाई विभाग ने उसकी रिपेयर करना भी उचित नहीं समझा। इसके चलते महाराजा के समय की नहर अब अपनी पहचान विभाग की अनदेखी से खो रही है। स्थानीय किसानों में विभाग की नहर के प्रति अनदेखी को लेकर रोष है और वे बार-बार सफाई कराने की मांग करते हैं। हालांकि, हर साल सफाई भी होती है, लेकिन सिर्फ लीपापोती।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

छन्न अरोड़ियां पंचायत के पंच प्रदीप शर्मा ने कहा कि रावी तवी सिंचाई विभाग पुरानी उज्ज कनाल की सुध तक नहीं ले रहा है। उचित सफाई न होने से एक तो किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, दूसरा कचरे का डस्टबिन बन चुकी नहर के कारण डेंगू फैल रहा है। विभाग जल्द ही इसकी सफाई कराए, ताकि नहर का लाभ मिले। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने कहा कि रावी तवी विभाग के अधीन आने वाली उज्ज कनाल आज भी सैकड़ों किसानों के लिए कृषि की लाइफ लाइन है, जिससे उनकी कृषि में सिंचाई का मकसद पूरा होता है, लेकिन विभाग द्वारा इसकी सफाई ऐसे कराई जाती है, जैसे इसकी कोई जरूरत नहीं है। इसकी उचित सफाई हो।

स्थानीय निवासी कांत कुमार शर्मा ने कहा कि छन्न अरोड़ियां पंचायत के कस्बे के बीचोबीच से गुजरने वाली उज्ज कनाल यहां की विशेष पहचान है जो पूरी पंचायत के लिए बड़ा जलस्रोत का भी साधन है, जिसमें सिर्फ कृषि मकसद ही नहीं, बल्कि पशुओं के लिए पीने के पानी सहित आसपास के क्षेत्र में जलस्तर बनाए रखने में अहम है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।