Jammu Weather: हल्की बारिश ने दिलाई राहत, प्रचंड गर्मी का प्रकोप अभी भी जारी; जानें मौसम के सभी अपडेट्स
पूरे देश इन दिनों भीषण गर्मी में झुलस रहा है। घाटी का तापमान 47 डिग्री के पार पहुंच गया है। मौसम विशेषज्ञ भी इस सीजन में तापमान बढ़ने से हैरान है। सोमवार की शाम को हल्की बारिश ने गर्मी से थोड़ी राहत दिलाई। गर्मी से लोगों के कारोबार पर असर पड़ रहा है। बाजारों में लोगों आवाजाही काफी कम हो गई है।
जागरण संवाददाता, कठुआ। जिलावासी करीब एक माह से गर्मी से बेहाल नजर आ रहे थे। हालांकि सोमवार को दिन में जहां 47 डिग्री तापमान ने लोगों को झुलसाया, वहीं शाम को अचानक हल्की बारिश और तेज हवा चलने से लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली।
रविवार रात को भी कठुआ का न्यूनतम तापमान 27 डिग्री तक पहुंच गया जो अब तक सामान्य से कहीं अधिक है। इसी तरह सोमवार को दिन का तापमान 47.1 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ, जिसने लोगों को रुला दिया है।
सड़कों पर कर्फ्यू जैसे हालात
ईद की छुट्टी के चलते स्कूल-कालेज बंद होने के बावजूद कालेज रोड पर कर्फ्यू जैसे हालात दिखे। दिन में दो बजे के बाद कालेज रोड, जहां सुबह से रात तक व्यस्त यातायात रहता है, वहां दूर-दूर तक कोई आवाजाही नहीं दिखी।
दरअसल, आसमान से बरस रही आग से बचने के लिए लोग घरों में ही दुबके रहे। इक्का दुक्का ही सड़क पर बीच में आते-जाते दिखे। गर्मी के चलते शहर में सामान्य गतिविधियों पर भी असर पड़ा।
गर्मी से कारोबार भी हो रहे प्रभावित
लू के प्रकोप से हर कोई सामान्य दिनों की तरह सड़कों पर आवाजाही करते नहीं दिख रहा। सिर्फ जरूरी कार्य वाले लोग ही आवाजाही करते दिख रहे हैं। दुकानदारों का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। यात्री वाहनों में भी दिन में यात्रियों की संख्या नहीं के बराबर रहती है।
इस बीच शादी विवाह का सीजन नहीं होने से वैसे भी दुकानों में मंदी चल रही है। रही सही कसर गर्मी ने पूरी कर दी है। कुल मिलाकर कठुआ में पहली बार पड़ रही प्रचंड गर्मी ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। लोग अब की बार इतनी ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण हैरान है।
पारा 48 डिग्री पहुंचने से मौसम विशेषज्ञ भी हैरान
उधर, मौसम विशेषज्ञ भी इस सीजन में 48 डिग्री के आसपास तापमान पहुंचनने से हैरान है। साथ ही इसके लिए जिले में कुछ सालों से अंधाधुंध कंक्रीट निर्माण, चारों तरफ औद्योगिकीकरण, भारी अवैध खनन को जिम्मेवार मान रहे है। कंक्रीट निर्माण के चलते जिले में लाखों की संख्या में हरे भरे पेड़ काटे जा रहे हैं।
इसमें पहाड़ी क्षेत्र हो या कंडी या मैदानी। गर्मी के दिनों में भी जमीन से नीचे प्राकृतिक जलस्रोत चलते रहता था, लेकिन वहां भी 50 फीट निचे गहराई में कंक्रीट भर गया है।
इसके अलावा गोविंदसर में औधगिक क्षेत्र बनने के अलावा मरोली, घाटी, भागथली और लगेट भी औद्योगिक क्षेत्र बनना भी प्रमुख कारण है। वहां पहले सिर्फ हरियाली थी।
रावी नदी में अवैध खनन भी है प्रमुख कारण
इसी तरह रावी दरिया में भी अवैध खनन प्रमुख कारण बन रहा है। दस साल पूर्व पर्यावरण निदेशक रवि केसर ने चेताया भी था कि अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
उनकी रिपोर्ट के बाद ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रावी में पूरी तरह से खनन पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रतिबंध के बावजूद बड़े पैमाने पर अवैध खनन जारी है। अब तो उत्तर भारत को यहां से मैटेरियल जा रहा है। निर्माण के चलते काटे गए पेड़ों को आज तक नहीं लगाया गया है।
अगर मौजूदा हाईवे की बात करें तो दो दशक पहले एक लाख पेड़ काटे गए थे, जो आज तक नहीं लगाए गए हैं जो भी तापमान बढ़ने का कारण माना जा रहा है।
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