Lok Sabha Election 2024: लाल सिंह के लिए चुनाव प्रचार करने कठुआ नहीं आएंगी महबूबा, जानें किस वजह ने रोकी मुफ्ती की राह
Lok Sabha Election 2024 ऊधमपुर संसदीय कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह (Chaudhary Lal Singh) के चुनाव प्रचार के लिए महबूबा मुफ्ती कठुआ नहीं आएंगी। इससे पहले जितने भी चुनाव हुए हैमहबूबा मुफ्ती खुद कठुआ में कई चुनावी रैलियों को संबोधित करती रही है। लाल सिंह की अब सीधे तौर पर जितेंद्र सिंह के कट्टर राजनीतिक शत्रु माने जा रहे है।
जागरण संवाददाता, कठुआ। Lok Sabha Election 2024: जैसा कि पीडीपी और नेकां ने ऊधमपुर संसदीय कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह का समर्थन करने की घोषणा कर रखी है, इसलिए दोनों पार्टियों ने इस बार इस क्षेत्र से अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतारा है। पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने जिला कठुआ में अपनी पार्टी की टीम को लाल सिंह के समर्थन में चुनाव प्रचार करने को कह दिया है।
लाल सिंह का पीडीपी की ओर समर्थन
इसका खुलासा पीडीपी के जिला कोऑर्डिनेटर गुरप्रसाद वर्मा ने गत दिवस कठुआ में लाल सिंह के आवास में जाकर एक पत्रकारवार्ता में किया था। उसके बाद लाल सिंह की रामलीला मैदान में आयोजित रैली में शामिल होकर उन्होंने मंच पर भी लाल सिंह का पीडीपी की ओर समर्थन करने की घोषणा की,लेकिन पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती का खुद कठुआ में सीधे चुनावी सभाओं में आकर चुनाव प्रचार करने का फिलहाल कार्यक्रम नहीं है। ये जानकारी गुरप्रसाद वर्मा ने गुरुवार दैनिक जागरण को दी।
कठुआ में कई रैलियां संबोधित कर चुकी हैं महबूबा
बता दें कि इससे पहले जितने भी चुनाव हुए है,महबूबा मुफ्ती खुद कठुआ में कई चुनावी रैलियों को संबोधित करती रही है। उनके कठुआ में अभी सीधे तौर पर चुनावी प्रचार से पीछे रहने का मुख्य कारण लाल सिंह का कठुआ दुष्कर्म मामले में उनको सीधे निशाना बनाना भी माना सकता है। शायद इसलिए वो अपने कश्मीर के एक विशेष वर्ग के कटटरपंथी लोगों को खासकर इस चुनावी माहौल में लाल सिंह के लिए प्रचार करने जहां आकर उनको नाराज नहीं करना चाहती है।यह भी पढ़ें: Jammu Kashmir News: 'उमर अब्दुल्ला तय नहीं करेगा कि कौन...', पूर्व सीएम पर आखिर क्यों भड़के कॉन्फ्रेंस के नेता अंसारी
जितेंद्र सिंह के कट्टर लाल सिंह
हालांकि अभी क्या पता आगे क्या फैसला लेती है, क्योंकि राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है,उनकी दुश्मनी सिर्फ अलग-अलग विचारधारा के कारण हो सकती है, जैसे लाल सिंह की अब सीधे तौर पर जितेंद्र सिंह के कट्टर राजनीतिक शत्रु माने जा रहे है।कभी इसी लाल सिंह ने वर्ष 2014 में जितेंद्र सिंह के लिए गुलाम नबी आजाद को हराने में काम आए थे,उस समय को जितेंद्र सिंह गुलाम नबी आजाद से मात्र 62 हजार लीड से जीते थे,ऐसे में कौन कब किसके साथ आ जाए इसके लिए कुछ नहीं कहा जा सकता है।
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