इस सीट से जब जितेंद्र सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद को हरा कर बने थे PM मोदी की नजर में असली हीरो
आम चुनावों (Loksabha Election 2024 News) की घोषणा को अब कुछ दिन बाकी रह गए हैं। सभी दल चुनावी महासमर में कूदने को लगभग तैयार हैं। इन चुनावी तैयारियों में भाजपा सबसे आगे दिख रही है। जबकि कांग्रेस और आप पार्टी के समझौते से कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा जा रहा है। उम्मीदवार को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। ऊधमपुर सीट पिछले दो बार से लगातार हाई प्रोफाइल सीट बनी हुई है।
जागरण संवाददाता,कठुआ। आम चुनाव की घोषणा होने की घोषणा होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। इसके चलते चुनावी महासमर में कूदने के लिए कई दलों के नेताओं ने तैयारियां कर रखी हैं। इनमें भाजपा सबसे आगे हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं, नेताओं ने आए दिन मतदाताओं के साथ बैठकें करने के अलावा अभी से ही बूथ चुनाव प्रबंधन को पूरा कर लिया है। भाजपा इस मामले में ऊधमपुर संसदीय क्षेत्र से भावी उम्मीदवारों के नाम भी संगठन के बीच लगभग तय कर चुकी है। अब सिर्फ घोषणा होना बाकी है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद को जब मिली थी शिकस्त
दरअसल ऊधमपुर संसदीय सीट पिछले दो बार हुए चुनावों से लगातार हाई प्रोफाइल सीट बनी है, जिसका प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद मौजूदा समय में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पर लगातार दस साल से आसीन है। सांसद ने मोदी की लोकप्रियता का पूरा लाभ लेते हुए 2014 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) जैसे नेता को पछाड़ दिया था। हालांकि उस समय मतों का अंतर ज्यादा न होकर 60 हजार के करीब ही था। इसमें गुलाम नबी आजाद को कठुआ में भाजपा को मिली ऐतिहासिक बढ़त ने अपने ही प्रदेश से संसद में पहुंचने से रोक दिया था।
जितेंद्र सिंह को मिला जीत का इनाम
जब कि उस समय गुलाम नबी आजाद केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री भी थे। इसके चलते उन्होंने अपने कार्यकाल में कठुआ में मेडिकल कॉलेज को मंजूरी देने के बाद पहले सत्र की कक्षाएं लगाने के भी प्रबंध कर लिए थे। इसके बावजूद जिला कठुआ में भाजपा के गढ़ को तोड़ने में सफल नहीं हो पाए थे। इसी के चलते ऊधमपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के दिग्गज को हराने पर इनाम के तौर पर यहां के संसद को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में राज्यमंत्री बनाया।दो बार जीतने पर पीएम मोदी की नजरों में जितेंद्र सिंह की लोकप्रियता बढ़ी
उसके बाद वर्ष 2019 में हुए चुनाव में जितेंद्र सिंह ने जीत हासिल करते हुए जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के पोत्र विक्रमादित्य जैसे नेता को जो कांग्रेस की टिकट पर पहली बार संसदीय चुनाव लड़ने उतरे थे, को भारी अंतर से हर दिया था। दो बार जीतने पर पीएम मोदी (PM Modi) की नजरों में जितेंद्र सिंह की लोकप्रियता बढ़ी और उन्होंने दोबारा अपने कार्यालय में ही महत्वपूर्ण पर बैठा दिया, लेकिन अब जब तीसरी बार फिर चुनावों का शोर शुरू हो चुका है, तो फिर से जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) के लगातार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व उम्मीदवार बनाने के लिए चर्चाएं तेज हो चुकी हैं कि क्या उन्हें तीसरी बार पार्टी टिकट देगी।
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जितेंद्र सिंह की टिकट कटने पर कौन होगा उम्मीदवार
इस तरह के सवाल कार्यकर्ताओं में उठ रहे हैं। ये सवाल भी इसलिए उठना शुरू हुए हैं, क्योंकि मौजूदा 150 के करीब सांसदों का टिकट काटने के संकेत गत माह भाजपा के केंद्रीय हाईकमान ने दिए थे। उसी को आधार मानकर यहां के स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता अब तीसरी बार जितेंद्र सिंह को टिकट मिलेगी या नहीं पर चर्चा में जुटे हैं। अगर पार्टी कार्यकर्ताओं की चर्चाओं पर बात करें तो अगर उनकी टिकट इस बार कटती है तो फिर कौन भाजपा का उम्मीदवार होगा।
इसकी चर्चा भी पार्टी के कार्यकर्ताओं में पूर्व मंत्री राजीव जसरोटिया और सुनील शर्मा का नाम लिया जा रहा है। उधर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी चुनावी माहौल को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो चुके है और वो तीसरी बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी अपने स्तर पर कर चुके हैं। इसका संकेत उन्होंने खुद गत सप्ताह कठुआ में रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन के स्टापेज पर आयोजित समारोह में दिया था।
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