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Shahpur kandi Dam Project: 40 साल बाद जम्मू-कश्मीर को मिल सकेगा रावी से पानी

प्राइस इंडेक्स के अनुसार बैराज बांध के निर्माण के लिए बांध बनाने व अन्य कार्यों के लिए सोमा कंपनी को 687 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया है। इसी प्रकार पावर हाउस तक नहर पहुंचाने का 90 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य हो चुका है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 14 Apr 2021 11:07 AM (IST)
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जम्मू-कश्मीर को सालाना 14 करोड़ रुपये की बचत भी होगी।
कठुआ, राकेश शर्मा। रणजीत सागर बांध बनाने के एवज में 20 जनवरी, 1979 को शाहपुर कंडी बांध परियोजना को लेकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच समझौता हुआ था, लेकिन किसी न किसी कारण ये यह परियोजना परवान नहीं चढ़ सकी और करीब चार दशक तक जम्मू- कश्मीर रावी से पानी का इंतजार करता रहा। 2017 में पीएमओ के दखल के बाद दोनों राज्यों में बातचीत शुरू हुई और 2018 में इस पर सहमती बन गई। अब इस दिशा में कार्य तेज कर दिया गया है। बीते दिनों केंद्रीय राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने शाहपुर कंडी बैराज से नहर बनाने के कार्य का शुभारंभ किया। समझौते के तहत कठुआ के बसंतपुर तक डेढ़ किलोमीटर नहर बनेगी। इससे जम्मू और सांबा जिले के किसानों को सिंचाई के लिए रावी का पानी मिल सकेगा। इतना ही नहीं, इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को सालाना 14 करोड़ रुपये की बचत भी होगी।

केंद्र सरकार के प्रयास से रणजीत सागर बांध को लेकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर के साथ हुए समझौते पर तेजी से अमल शुरू हो गया है। पंजाब सरकार शाहपुर कंडी बैराज से कठुआ के बसंतपुर तक डेढ़ किलोमीटर नहर बनाकर देगी। बीते शनिवार को केंद्रीय राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने नहर के निर्माण कार्य का नींव पत्थर रखा। इससे चार दशक का इंतजार खत्म होगा और जम्मू व सांबा जिले के 80 हजार किसानों को सिंचाई के लिए रावी तवी नहर से लाभ मिलेगा। साथ ही जम्मू-कश्मीर को 20 फीसद बिजली भी शाहपुर बैराज से मिलेगी।

दरअसल, पंजाब सरकार नहर में शाहपुर कंडी बैराज परियोजना को लेकर हुए समझौते के तहत जम्मू-कश्मीर के हिस्से का 1150 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए देगी। जम्मू-कश्मीर सरकार ने शाहपुर कंडी बैराज बनने की उम्मीद से इसी समझौते के अनुसार 1150 क्यूसेक क्षमता वाली रावी तवी नहर का निर्माण करीब तीन दशक पहले पूरा कर लिया था, लेकिन जब नहर बनकर तैयार हुई तो पंजाब ने शाहपुर कंडी बांध का निर्माण ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब इस दिशा में आई तेजी से जम्मू- कश्मीर सरकार का भी तीन दशक से अधूरे पड़े रावी तर्वी सिंचाई परियोजना का मकसद पूरा हो जाएगा, क्योंकि बिना पानी के रावी तवी परियोजना आज तक अधूरी थी। रावी तवी नहर का डिजाइन 1150 क्यूसेक पानी उठाने की क्षमता का है, लेकिन शाहपुर कंडी बैराज से पानी नहीं मिलने पर अब तक बसंतपुर लिफ्ट इरीगेशन से लेकर काम चलाया जाता था, जो मात्र 300 से 400 क्यूसेक के बीच ही होता था।

जिले के कंडी क्षेत्र से गुजरने वाली 80 किलोमीटर लंबी विजयपुर तक जाने वाली नहर का निचला हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटरी से ही सिंचाई हो पाता था। डा. जितेंद्र्र ंसह ने करीब 40 साल से अनदेखी के चलते ठंडे बस्ते में पड़े समझौते पर दोबारा प्रयास शुरू कर दिए थे, जिस पर आठ दिसंबर, 2018 को समझौता करवाने में सफल रहे। इसमें केंद्र सरकार का पूरा हस्तक्षेप रहा। अब समझौते पर अमल को पूरी तरह से प्रभावी बनाने के लिए परियोजना की निगरानी केंद्र सरकार कर रही है। पंजाब अब समझौते में किसी तरह की कोई कोताही भी नहीं कर सकेगा। रावी दरिया के पानी को नहर से जोड़ने से जम्मू-कश्मीर सरकार को सालाना 14 करोड़ की बचत होगी। रावी दरिया से वर्तमान में तीन दशक से भी अधिक समय से पानी को नहरों तक पहुंचाने के लिए लिμट सिंचाई योजनाएं चलाई जा रही हैं। सालाना 14 करोड़ खर्च हो रहे हैं।

शाहपुर कंडी व बसंतपुर में रावी नहर के जुड़ जाने से जिले में 575 किलोमीटर लंबी नहरों और कूहलों के नेटवर्क में सीधा पानी पहुंचेगा। 2017 में शुरू हुए सुलह के प्रयास: शाहपुर कंडी बांध परियोजना को लेकर 20 जनवरी, 1979 को जम्मू-कश्मीर व पंजाब में समझौता हुआ था। चार दशक से परियोजना को लेकर दोनों राज्यों में आम सहमति नहीं बन पा रही थी। यही वजह रही कि राष्ट्रीय परियोजना घोषित हुई शाहपुर कंडी के पंजाब द्वारा शुरू करवाए गए काम को जम्मू-कश्मीर ने वर्ष 2014 में यह कहकर बंद करवा दिया कि काम जम्मू-कश्मीर के अधिकार क्षेत्र में चल रहा है।

जम्मू-कश्मीर सरकार जहां रंजीत सागर बांध के समय पर हुए समझौते में बिजली और पानी के नुकसान का मुआवजा चाहती थी, वहीं शाहपुर कंडी परियोजना में भी कुछ मतभेद उभरकर सामने आए। तीन मार्च, 2017 को पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों के सिंचाई सचिवों की द्विपक्षिय बैठक हुई, जिससे दोनों राज्यों के मतभेद काफी हद तक कम हो गए। आखिरकार राज्य कैबिनेट ने मुहर लगाकर शाहपुर कंडी परियोजना का कार्य फिर शुरू किए जाने को भी हरि झंडी दिखा दी।

‘समझौते का पुल’ बनेगी डेढ़ किमी लंबी नहर: डेढ़ किमी लंबी नहर का कठुआ में शुरू किया गया निर्माण जम्मू-कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण है। बांध से बसंतपुर तक बनने वाली डेढ़ किलोमीटर लंबी नहर सही मायने में दो प्रदेशों के बीच हुए चार दशक पहले समझौते के बीच पुल का काम करेगी। यहीं, डेढ़ किलोमीटर नहर में बैराज से 1150 क्यूसिक पानी लाकर करीब तीन दशक पहले से बन कर तैयार हुई विजयपुर से लेकर बसंतपुर तक 75 किलोमीटर लंबी नहर से जुड़ कर पानी देगी, जिससे कठुआ व सांबा जिले की कंडी की असिंचित बंजर भूमि तर होगी।

युद्ध स्तर पर चल रहा है काम: जुगीयाल: रणजीत सागर बांध परियोजना की दूसरी इकाई शाहपुर कंडी बैराज बांध का निर्माण कार्य सरकार की हिदायत के अनुसार युद्धस्तर पर चल रहा है। इसके लिए शाहपुर कंडी बैराज बांध को नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में घोषित किया गया है। रावी नदी के पानी की एक बूंद भी पाकिस्तान की तरफ न जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार और पंजाब सरकार ने भी कमर कस ली है। केंद्र सरकार ने चल रहे वित्तीय वर्ष के लिए एस्लरेटिड इरीगेशन वेनेफिट कार्यक्रम (एआइवीपी) के तहत बैराज बांध के निर्माण कार्य को 135 करोड़ रुपये दिए हैं। इनमें 21 करोड़ रुपये की राशि पंजाब सरकार ने भी दे दी है।

केंद्र सरकार ने एआइवीपी योजना के तहत मार्च 2021 तक 70 करोड़ की अतिरिक्त राशि भी स्वीकृत की है। यह जानकारी शाहपुरकंडी बैराज बांध के चीफ इंजीनियर संदीप कुमार सलुजा व उनके कार्यकारी इंजीनियरों ने शाहपुरकंडी बैराज बांध पर चल रहे निर्माण कार्यो का निरीक्षण करते हुए दी। उन्होंने कहा कि शाहपुर कंडी बैराज बांध को वर्ष 2023 तक पूरा करके राष्ट्र को समर्पित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए जल्द ही शाहपुर कंडी के समीप गांव कमुआल में तीन पावर हाऊस 637 करोड़ की लागत से बनाए जाएंगे और ग्लोवर टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अनुमानित लागत 2715 करोड़ रुपये होगी।

प्राइस इंडेक्स के अनुसार, इसकी लागत में वृद्धि भी हो सकती है। बैराज बांध के निर्माण के लिए बांध बनाने व अन्य कार्यों के लिए सोमा कंपनी को 687 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया है। इसी प्रकार पावर हाउस तक नहर पहुंचाने का 90 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य हो चुका है। इसके लिए पहले से ही 90 करोड़ की राशि व्यय हो चुकी है। फरवरी 2021 तक रावी नदी के पानी को पंजाब की तरफ रुख बदल कर जम्मू-कश्मीर की तरफ निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

पंजाब ने डाल दिया था ठंडे बस्ते में: गौरतलब है कि पंजाब ने रणजीत सागर डैम बनाने के एवज में चार दशक पहले किए समझौते पर अमल नहीं करके शाहपुर कंडी बैराज परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। जम्मू-कश्मीर की पूर्व सरकारों ने भी समझौते को लागू कराने के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस पर अमल शुरू होने से कंडी क्षेत्र में हरित क्रांति का सपना अब साकार हो सकेगा। सबसे अहम यह है कि इससे बागवानी को बढ़ावा मिलेगा। रावी नहर में 1150 क्यूसेक पानी मिलने से 32 हजार से ज्यादा हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। किसानों के लिए बंजर भूमितर होने पर नया युग शुरू  होगा। नई तकनीक की खेती को करने के मौके मिलेंगे। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

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