बंदरों के आतंक से दुखी ग्रामीण: हाथों में डंडे, स्कूल बैग सड़क पर रख बच्चों समेत सैकड़ों लोगों ने किया प्रदर्शन
ग्रामीण बंदरों के आतंक से त्रस्त हैं। सैकड़ों लोगों ने, जिनमें बच्चे भी शामिल थे, हाथों में डंडे लेकर और स्कूल बैग सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया। वे बंदरों के हमलों से परेशान हैं और प्रशासन से समाधान की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बंदरों ने जीना मुश्किल कर दिया है।

बंदरों का आतंक इस कदर है कि लोग अपने घरों से निकलने से कतराते हैं।
जागरण संवाददाता, कठुआ। बंदरों के आतंक से दुखी मुट्ठी जगीर पंचायत के आधा दर्जन गांव के लोग वीरवार सड़क पर उतर आए। स्कूल जाने वाले बच्चे, महिलाएं और अन्य लोगों ने हाथों में डंडे लेकरऔर स्कूल बैग सड़क पर रखकर प्रदर्शन। नगरी पल्ली रोड को करीब डेढ़ घंटे के लिए बंद कर दिया।
बताया कि हर रोज बंदर हमले करके स्कूल जाने वाले बच्चों और अन्य लोगों को घायल कर रहे हैं। इसकी तरफ ना तो वन्यजीव विभाग ध्यान दे रहा है। ना ही जिला प्रशासन। जहां तक की सुबह मंदिर जाने वाले लोग भी नहीं जा पा रहे। मंदिरों में भी बंदरों का आतंक है।
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार इसके बारे में विभाग और प्रशासन को बता चुके हैं। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हो रही। हर कोई मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहा है। लोगों की परेशानी को मजाक समझ जा रहा है। बंदरों का इस तरह खैफ हो चुका है कि कोई भी अपने घर से बाहर निकलने में कतरा रहा है। सुबह हो या शाम। हर वक्त बंदर कहीं भी आ जाते हैं। हमला कर देते हैं।
स्कूली बच्चियों ने सुनाई आपबीती
स्कूल जाने वाली छात्रा शिवांगी बजराल ने बताया कि मैं स्कूल जा रही थी । तभी दो से तीन बंदर आ गए । उसे पर झपट पड़े। उसके सर और बाजू को नोच लिया। मैं किसी तरह से बच बचाकर वहां से निकली। छात्रा रजनी का कहना है कि स्कूल जाते वक्त बंदर ने उसके चेहरे और बाजू को काट लिया। इससे वह बुरी तरह जख्मी हो गई। बड़ी मुश्किल से जान बचाकर घर भागी थी। यह सिर्फ एक दिन का नहीं। बीते कई दिनों से हो रहा है। अब तो स्कूल जाने से भी डर लगता है।
काटने पर 2300 का इंजेक्शन, अस्पताल वाले लगाते नहीं
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों में संजीव वर्मा ने बताया कि बंदर के काटने पर एक बार 2300 का इंजेक्शन लगता है। जब इंजेक्शन के लिए अस्पताल जाते हैं ,तो अस्पताल में इंजेक्शन यह कहकर नहीं लगाया जाता की यह मौजूद नहीं है। अभी 2 दिन पहले ही एक छोटी बच्ची को बंदर ने काट लिया। जिसके पिता भी नहीं है। अब यह बताएं कि एक गरीब बच्ची जिसकी बंदर ने लगभग आंख निकाली थी। वह कहां उपचार कर आएगी। जिला उपायुक्त और वन्यजीव विभाग सिर्फ तमाशा देख रहे हैं कोई कार्रवाई नहीं कर रहे ।
6 महीने में 115 हमले
मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जिला स्वास्थ्य विभाग एवं ग्रामीणों से बातचीत करने पर पता चला कि बीते 6 महीना में बंदरों ने कलयाणपुर, लोअर एवं अप्पर विगमा, मीरपुर, जग्गो तारना और जगीर में लगभग 115 हमले किए हैं। इन हमलों में 60 से 70 लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। जबकि बाकी किसी तरह से बच निकले। एक अनुमान के अनुसार करीब 80 से 90 बंदर जो हैं वह इन गांव में मौजूद हैं। जो लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुके हैं।
हम कार्रवाई कर रहे हैं। बंदरों को पकड़ने के लिए टीम बनाई गई है। इनको पकड़ने के लिए कई जगहों पर लोहे के पिंजरे लगाए गए हैं । उम्मीद है जल्द ही लोगों को इससे राहत देने देंगे। - विजय कुमार, डीएफओ कठुआ
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