Rajouri Encounter: बेटा बोला - 'मैं भी पापा की तरह करूंगा देश की सेवा', राजौरी मुठभेड़ में बलिदान हुए अब्दुल माजिद का देश सेवा का पुराना इतिहास
राजौरी मुठभेड़ में बलिदान हुए सेना की नौ पैरा के हवलदार अब्दुल माजिद के 15 वर्षीय बेटे साहिल मजीद ने कहा कि मैं भी पापा की तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता हूं।’ बलिदानी अब्दुल माजिद के परिवार का देश सेवा का पुराना इतिहास रहा है। अब्दुल मजीद बचपन से ही सेना में जाना चाहता था।
By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Fri, 24 Nov 2023 06:57 AM (IST)
जागरण संवाददाता, पुंछ। ‘पापा जब भी छुट्टी पर घर आते थे तो यही कहते थे कि जल्दी से बड़े होकर मेरी तरह देश सेवा के लिए तैयार हो जाओ। इसके लिए पढ़ाई के साथ हमेशा कसरत करो। एक फौजी का बेटा शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, तभी तुम देश की सेवा कर सकते हो।’
देश सेवा का पुराना इतिहास रहा है
राजौरी मुठभेड़ में बलिदान हुए सेना की नौ पैरा के हवलदार अब्दुल माजिद के 15 वर्षीय बेटे साहिल मजीद ने कहा कि मैं भी पापा की तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता हूं।’ बलिदानी अब्दुल माजिद के परिवार का देश सेवा का पुराना इतिहास रहा है। वर्ष 2017 में अब्दुल मजीद का मौसेरा भाई नसीर भी पुंछ के तरकुंडी सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब देते बलिदान हुआ था।
पत्नी सगीरा बी का रो-रोकर बुरा हाल
बलिदानी हवलदार अब्दुल माजिद वर्ष 2008 में सेना में भर्ती हुए थे। घर पर उनकी पत्नी सगीरा बी, आठ वर्ष की एक बेटी और 13 व 15 वर्ष के दो बेटे हैं। पिता मोहम्मद रशीद पेशे से किसान हैं और मेहनत मजदूरी कर बच्चों को पालन पोषण किया था। बलिदानी का एक छोटा भाई भी मेहनत मजदूरी करता है। घर के बड़े बेटे के चले जाने से पूरा परिवार सदमे में हैं। पत्नी सगीरा बी का रो-रोकर बुरा हाल है । सभी को अब बेटे के पार्थिव शरीर का घर आने का इंतजार है।अब्दुल मजीद बचपन से ही सेना में जाना चाहता था
घर पर सैन्य आपरेशन की नहीं करता था बात पिता मोहम्मद रशीद ने कहा कि अब्दुल मजीद बचपन से ही सेना में जाना चाहता था। इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की। वह जब भी छुट्टी घर आता था तो कभी अपने सैन्य आपरेशन की बात नहीं करता था, ताकि परिवार विचलित न हो।प्रथम पृष्ठ से आगे मुठभेड़ में मारा गया लश्कर कमांडर कारी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रशिक्षित होने के साथ आइईडी विशेषज्ञ व प्रशिक्षित स्नाइपर था। वह जंगल में गुफाओं से हमले संचालित करता था। पाकिस्तान ने कारी को राजौरी-पुंछ जिलों में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए पिछले वर्ष भेजा था। कारी का मारा जाना सेना व पुलिस की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। वहीं, मारे गए दूसरे आतंकी के भी पाकिस्तानी होने की आशंका है, फिलहाल उसकी पहचान नहीं हुई है।
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