Poonch History: पाक सीमा से लगा जम्मू-कश्मीर का वो जिला, जो मुगलों के इतिहास के साथ पर्यटन के लिहाज से बेहद खूबसूरत, एक बार जरुर जाएं
JK and Poonch जम्मू के पुंछ और राजौरी जिले से भारत-पाकिस्तान की करीब ढाई सौ किलोमीटर की सीमा लगती है। जिसे एलओसी कहा जाता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से पुंछ के इतिहास के बारे में बताएंगे। पुंछ को 1901 ई. में राजा बलदेव सिंह के शासनकाल में अंग्रेजों ने इसे एक राज्य का दर्जा दिया। पुंछ में घूमने के लिए कई खूबसूरत जगह भी हैं।
By Monu Kumar JhaEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Thu, 04 Jan 2024 05:11 PM (IST)
डिजिटल डेस्क, पुंछ। History of Poonch District जम्मू के पुंछ और राजौरी जिले से भारत-पाकिस्तान की करीब ढाई सौ किलोमीटर की सीमा जिसे एलओसी कहा जाता है वो लगती है। आज हम बात करेंगे पुंछ के इतिहास की। पुंछ ने कई ऐतिहासिक युग देखे हैं। लगभग 326 ईसा पूर्व जब सिकंदर महान ने पोरस से लड़ने के लिए निचली झेलम बेल्ट पर आक्रमण किया था तो इस क्षेत्र को द्रविभिसार के नाम से जाना जाता था।
छठी शताब्दी ई. में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग इस क्षेत्र से गुजरे थे। उनके मुताबिक यह क्षेत्र कश्मीर के भाग के रूप में जाना जाता था। करीब 850 ई. में पुंछ राजा नर द्वारा शासित एक संप्रभु राज्य बना। जो मूलत: एक घोड़ा व्यापारी था।
1596 से 1792 ई. तक मुगलों ने किया शासन
राजतरंगनी किताब के मुताबिक पुंछ के राजा त्रिलोचन पाल ने महमूद गजनवी को लड़ाई में कड़ी टक्कर दी थी। जिसने 1020 ई. में इस क्षेत्र पर आक्रमण किया था। यहां आपको बता दें कि 1596 में मुगल राजा जहांगीर ने सिराज-उद-दीन को पुंछ का शासक बनाया गया। सिराज-उद-दीन और उनके वंशज राजा शाहबाज खान, राजा अब्दुल रजाक, राजा रुस्तम खान और राजा खान बहादुर खान ने 1792 ई. तक यहां पर राज किया।1819 में इस क्षेत्र पर महाराजा रणजीत सिंह ने किया कब्जा
1819 में इस क्षेत्र पर महाराजा रणजीत सिंह ने कब्जा किया और यह 1850 तक लाहौर के खालसा दरबार के कब्जे में रहा। इसके ठीक बाद 1850 में राजा मोती सिंह, जो खालसा दरबार के प्रधान मंत्री (राजा ध्यान सिंह के पुत्र थे) ने अपनी अलग रियासत की स्थापना कर ली। जिसे पुंछ राज्य के तौर पर जाना जाता है। इस डोगरा राजवंश ने 1850 से 1947 तक पुंछ राज्य पर शासन किया।
राजा बलदेव सिंह के शासनकाल में अंग्रेजों ने दिया राज्य का दर्जा
पाकिस्तान की तरफ से हवेली की आधी तहसील यानि 173 में से 85 गांव, मेंढर तहसील का कुछ इलाका जिनमें 99 में से 14 गांव शामिल थे और पुंछ राज्य की पूरी बाघ तहसील। इसमें 113 गांव और साध्नुति की 101 गांव पर हमलावरों ने अपना कब्जा जमाया। कहा जाता है कि 1850 से 1947 तक का काल पुंछ के इतिहास के लिए एक स्वर्णिम काल रहा। पुंछ को 1901 ई. में राजा बलदेव सिंह के शासनकाल में अंग्रेजों ने इसे एक राज्य का दर्जा दिया।पुंछ में ये खास जगह जो घूमने के हिसाब से बेहद खूबसूरत
नूरी छंब(Noori Chammb)
मुगल रानी नूरजहाँ के नाम से जुड़ा नूरी छंब अपनी प्राकृतिक सुंदरता और झरने के लिए प्रसिद्ध है। यह सुरनकोट तहसील में बेहराम गल्ला के पास लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित है। धारा के गिरने से जलवाष्प के घने बादल उत्पन्न होते हैं जो पूरे क्षेत्र को घेर लेते हैं और चारों ओर फैल जाते हैं। बादशाह जहाँगीर को इस पतझड़ के प्रति इतनी रुचि हो गई थी कि उन्होंने अपनी प्रिय रानी नूरजहाँ के नाम पर इसका नाम नूरी छम्ब रख दिया था। मुगल रानी विश्राम के लिए यहीं रुकती थीं। उसने पहाड़ की दीवार पर गिरने के अलावा एक दर्पण भी लगवा लिया था जहाँ वह नहाने के बाद अपना श्रृंगार करती थी।
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