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J&K: अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक सकती हैं राजौरी व पूंछ की 25 झीलें, स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में हो सकेगा बदलाव

राजौरी व पुंछ के पहाड़ों पर 25 छोटी व बड़ी झीलें हैं जिनका पानी पीरपंजाल रेंज से निकलने वाली नदियों में बह रहा है। इन झीलों के बारे में दोनों जिलों के काफी कम लोगों को पता है। सरकार व पर्यटन विभाग के स्तर पर कभी इन झीलों में वाटर स्पोटर्स व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया गया है।

By gagan kohliEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Mon, 18 Dec 2023 03:54 PM (IST)
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक राजौरी व पूंछ की 25 झीलें की सुधरेगी हालत (फाइल फोटो)

गगन कोहली, राजौरी। राजौरी व पुंछ के पहाड़ों पर 25 छोटी व बड़ी झीलें हैं, जिनका पानी पीरपंजाल रेंज से निकलने वाली नदियों में बह रहा है। इन झीलों के बारे में दोनों जिलों के काफी कम लोगों को पता है।

सरकार व पर्यटन विभाग के स्तर पर कभी इन झीलों में वाटर स्पोटर्स व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया गया। जिससे यह क्षेत्र पर्यटन के मानचित्र पर पिछड़ गया है।

एवरेस्ट पर्वतारोही क्लब राजौरी के सदस्यों ने किया झीलों का भ्रमण

एवरेस्ट पर्वतारोही क्लब राजौरी के सदस्यों ने कई बार इन झीलों का भ्रमण किया। कुछ झीलों पर पहुंच कर वहां पर नौकायन भी किया। यह अब क्लब द्वारा उस समय लिए गए चित्रों में ही नजर आता है। इन झीलों तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है।

अगर झीलों तक सड़क संपर्क विकसित किया जाए तो दोनों जिलों में पर्यटन को प्रोत्साहित किया जा सकता है। पर्यटन को प्रोत्साहित कर स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में चमत्कारिक बदलाव लाया जा सकता है।

झीलों तक पहुंचना नहीं आसान

राजौरी व पुंछ दोनों जिलों में 25 के करीब छोटी व बड़ी झील हैं। इन झीलों तक पहुंचने के लिए पैदल ही सफर तय करना पड़ता है। यह आम पर्यटक के लिए संभव नहीं है। अगर सभी झीलों को देखना है तो कम से कम 20 दिन का समय लग जाता है।

तीन से चार झील देखने में ही लगभग एक सप्ताह का समय लग जाता है। इन झीलों तक पहुंचने के रास्ते खतरे से खाली नहीं है। दुर्गम पहाड़ों की चढ़ाई करने के बाद ही इन झीलों तक पहुंचना संभव है।

गर्मी में ही पहुंचना संभव

सर्दी के मौसम में इन झीलों तक पहुंचना नामुमकिन है। पहाड़ों पर काफी मोटी बर्फकी परत होती है। अधिकतर झीलें सर्दी में जम चुकी होती हैं। गर्मी में इन झीलों तक पहुंचा जा सकता है। ग्रुप बनाकर लोग इन झीलों तक पहुंच सकते हैं। साथ टेंट, खाने का सामान व गर्म कपड़े ले जाने पड़ते हैं।

यह हैं प्रमुख झील

नंदर सर, बाग सर, चंदन सर, काल डिचंगी, सूख सर, निल सर, कटोरा सर, चम्मी सर, कागलता सर, डग सर, ककड सर, कटचा सर, सिमार सर, छोटी कौसर नाग, कौसर नाग, गुम सर, चम्मच सर आदि।

गुज्जर व बक्करवाल का जमावड़ा

गर्मी के दिनों में गुज्जर व बक्करवाल समुदाय के लोग मवेशी लेकर पहाड़ों पर चले जाते हैं। यह इन झीलों के आसपास डेरा लगाते हैं। छह माह तक इन झीलों के आसपास ही रहते हैं।

लगाए जा सकते हैं अस्थायी टेंट

झीलों के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए झीलों के आसपास टेंट कालोनी बनाई जा सकती है। छह माह तक पर्यटक इन टेंटों में रहकर झीलों का नजारा ले सकते हैं।

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पर्यटन विभाग व सरकार ने नहीं ली सुध

झीलों को विकसित करने व पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बड़े बड़े दावे कई वर्ष से किए जा रहे हैं। इसके विपरित आज तक एक भी झील को विकसित करने का काम शुरू नहीं हुआ। जिस कारण से अधिकांश लोगों को इनके बारे में जानकारी नहीं है। अगर विभाग इन्हें विकसित करे, तो देशी व विदेशी पर्यटक इन झीलों के प्रति आकर्षित हो सकते हैं।

झीलों को विकसित करने की तैयार हो रही योजना

वर्ष 1991 में एवरेस्ट पर्वतारोही क्लब, राजौरी के सदस्यों ने इन झीलों का भ्रमण किया। सिमार सर झील में किश्ती भी चलाई। इसके बाद खुद कई बार इन झीलों का भ्रमण साथियों के साथ किया है। झीलों की खूबसूरती देखते ही बनती है। प्रचार न मिलने से यह झीलें पर्यटन के मानचित्र पर नहीं आ पायी हैं।

पर्यटन विभाग को चाहिए कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए व्यापक नीति तैयार करें। इन झीलों को विकसित करने की योजना तैयार की जा रही है। जल्द ही इनको विकसित करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। योजना के तहत झीलों के आसपास पर्यटकों के ठहरने का विशेष प्रबंध होगा।

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