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Rajouri News: दिवाली के दिन 30 हजार मौतों का गवाह बना ये बलिदान स्तंभ, पाकिस्तान ने दिखाई थी अपनी औकात

26 अक्टूबर 1947 के दिन दिवाली का त्योहार था इस दिन लोग अपने घरों में दिवाली को लेकर तैयारियां कर रहे थे। लेकिन आजादी के बाद बौखलाए पाकिस्तान को कश्मीर घाटी में लोगों की ये खुशियां नागवार गुजरी। जिसके बाद पाकिस्तान ने अपनी औकात दिखाते हुए राजौरी में कबायली भेजकर 30 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। जिसकी ये निशानी बलिदान स्तंभ है।

By gagan kohliEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Sat, 11 Nov 2023 08:16 PM (IST)
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बलिदान भवन के पास राजौरी के बलिदानियों की याद में बना बलिदान स्तंभ (जागरण)।
जागरण संवाददाता, राजौरी। आखिरकार स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी रंग लाई। पूरे देश में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, जो हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को रास नहीं आया। उसने कबायलियों को भेजकर जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने का असफल प्रयास किया। सेना ने कबायलियों को घाटी से खदेड़ा तो वे राजौरी में घुस आए और 30 हजार से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

दरअसल, 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का विलय भारत के साथ कर दिया। इसके ठीक एक दिन बाद 27 अक्टूबर 1947 को पाक ने कबायलियों को जम्मू कश्मीर में भेजकर कब्जा करने का प्रयास किया। कबायलियों ने राजौरी में आते ही लोगों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया। महिलाओं की अस्मत लूटी गई। 11 नवंबर 1947 को देश में दीपावली का पर्व मनाया जा रहा था। उस समय राजौरी कबायलियों के जुल्म से जल रहा था।

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बलिदानियों की याद में बनाया गया बलिदान स्तंभ

पूरा राजौरी आग की लपटों में घिरा हुआ नजर आ रहा था। इस दौरान 30 हजार से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। बड़ी संख्या में महिलाओं ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। कई महिलाओं ने अपनी बेटियों के साथ जहर खा लिया तो कुछ ने कुएं में छलांग लगा दी। उस स्थान पर अब बलिदान भवन बना दिया गया, जिसका पहला निर्माण नवंबर 1969 में हुआ।

विशेष दिनों में पाठ-पूजा के साथ शहीदों को याद किया जाता है। अब इन बलिदानियों की याद में बलिदान भवन के साथ ही बलिदान स्तंभ का भी निर्माण करवाया गया है, जिससे हर कोई बलिदानियों को नमन कर सके।

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