Jammu Kashmir Lok Sabha Election 2024: जम्मू कश्मीर में हुआ बंपर मतदान, पिछले 35 साल का टूटा रिकॉर्ड
Anantnag Lok Sabha Election 2024 अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र में 53 प्रतिशत मतदान के साथ ही जम्मू-कश्मीर की पांचों सीटों पर मतदान प्रक्रिया भी संपन्न हो गई। प्रदेश की पांचों संसदीय सीटों पर कुल 58 प्रतिशत मतदान हुआ है जो वर्ष 1989 के बाद बीते 35 वर्ष में अब तक का सबसे ज्यादा है। 996 में 47.99 प्रतिशत और वर्ष 2014 में 49.58 प्रतिशत हुआ था।
नवीन नवाज, श्रीनगर। अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र में शनिवार को रिकॉर्ड 53 प्रतिशत मतदान के साथ ही जम्मू-कश्मीर की पांचों सीटों पर मतदान प्रक्रिया भी संपन्न हो गई। चुनाव परिणाम चार जून को आएगा, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों ने अपना निर्णय सुना दिया है कि उनके पूर्वजों ने भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय जिस भारतीय लोकतंत्र में आस्था जताई थी, वह आज भी उसके प्रति समर्पित हैं।
1989 के बाद इस बार हुआ सबसे ज्यादा मतदान
प्रदेश की पांचों संसदीय सीटों पर कुल 58 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो वर्ष 1989 के बाद बीते 35 वर्ष में अब तक का सबसे ज्यादा है। मतदान में यह बढ़ोतरी कश्मीर में शांति, सुरक्षा, विकास और विश्वास के वातावरण की बहाली, केंद्र सरकार के अनुच्छेद-370 हटाने के निर्णय और मौजूदा नीतियों पर मुहर का प्रतीक है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में लोकसभ चुनाव में सबसे ज्यादा मतदान वर्ष 1996 में 47.99 प्रतिशत और वर्ष 2014 में 49.58 प्रतिशत हुआ था।
दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किए जाने के बाद पहला चुनाव
जम्मू-कश्मीर में शनिवार को संपन्न हुई मतदान प्रक्रिया बहुत मायने रखती है, क्योंकि पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किए जाने के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। हालांकि इस बीच, जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषदों के चुनाव हुए हैं।यह भी पढ़ें: Anantnag Lok Sabha Election 2024: दिव्यांग हो या बुजुर्ग सभी ने निभाई जिम्मेदारी, अनंतनाग सीट पर इतने लोगों ने किया मतदान
अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के विरोध में जिस तरह से कुछ वर्गों ने दुनियाभर में दुष्प्रचार फैलाने का प्रयास किया, उसे देखते हुए कहा जा रहा था कि अलगाववादी चुनाव बहिष्कार का एलान करें या न करें, कहीं न कहीं उसका असर देखने को मिल सकता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
इसका साफ संदेश यह है कि लोगों के दिल से उनका खौफ निकल चुका है। आजादी व अलगाववाद के नारे के पीछे खड़ी नजर आने वाली भीड़ खत्म हो चुकी है। कश्मीर में यह पहला चुनाव है जिसमें आजादी और अलगाववाद का कोई समर्थक नजर नहीं आया।
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