Poonch Terrorist Attack: कैसे निकले तोड़! आतंकियों के लिए कवच है पुंछ के घने जंगल; 25 सालों से बनी हुई है चुनौती
Poonch Terrorist Attack डेरा की गली के जंगल से सटा मार्ग वीरवार को फिर सुर्खियों में हैं। किसी भी वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी वापस इन्हीं जंगलों में छिप जाते हैं। हालांकि सेना का तलाशी अभियान यहां जारी रहता है लेकिन जंगल घना होने के कारण आतंकियों की तलाश करना मुश्किल हो जाता है। ढाई दशक से अधिक समय से इस क्षेत्र में कई आतंकी हमले हुए हैं।
जागरण संवाददाता, राजौरी। डेरा की गली का जंगल से सटा मार्ग वीरवार को फिर सुर्खियों में हैं। घात लगाकर किए हमले के बाद आतंकी इन्हीं जंगलों में छिप गए हैं। ये जंगल राजौरी व पुंछ दोनों जिलों में फैला है। दरअसल, यह जंगल हमेशा से आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाने की तरह रहा है।
जंगल में छिप जाते है आतंकी
किसी भी वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी वापस इन्हीं जंगलों में छिप जाते हैं। हालांकि सेना का तलाशी अभियान यहां जारी रहता है, लेकिन जंगल घना होने के कारण आतंकियों की तलाश करना मुश्किल हो जाता है। ढाई दशक से अधिक समय से इस क्षेत्र में कई आतंकी हमले हुए हैं। जानकारी के अनुसार पांच दिसंबर 2001 में राजौरी के जिला सेशन जज वीके फूल अपने एक मित्र व दो अंगरक्षकों के साथ राजौरी से पुंछ अपने घर डेरा की गली वाले मार्ग से जा रहे थे। जैसे ही वाहन टोपा पीर क्षेत्र पहुंचा तो आतंकियों ने सड़क को घेर रखा था। वे मार्ग से गुजरने वाले वाहनों की जांच कर रहे थे। नाके पर जज का वाहन भी रुक गया।
अप्रैल में आतंकियों ने किया था जवानों पर हमला
अंगरक्षक वाहन से उतरे और उन्होंने सेना की वर्दी में तलाशी लेने वालों से कहा कि जज साहब का वाहन है इन्हें जाने दो। आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। दोनों अंगरक्षकों के साथ जज व उनके मित्र को आतंकी मौत के घाट उतार जंगल में चले गए। इसके बाद जंगल में कई मुठभेड़ों हुई और कई आतंकी भी मारे गए। आतंकियों ने 10 अक्टूबर 2021 में रहे सेना के जवानों के ऊपर घात लगाकर हमला किया जिसमें पांच जवान बलिदान हो गए। इसके तीन दिन बाद इसी जंगल से सटे भाटाधुलियां के जंगल में भी आतंकियों ने सेना के जवानों के ऊपर हमला किया। 20 दिन से ऊपर यह मुठभेड़ चली। सेना के पांच जवान बलिदान हो गए। 15 अप्रैल 2023 को इसी क्षेत्र में संगेयोट में आतंकियों ने सेना के वाहन के ऊपर हमला कर दिया जिसमें पांच जवान बलिदान हो गए। इसके बाद इन जंगलों में तलाशी अभियान चलते हैं। कई बार हथियार भी बरामद किए गए। लेकिन आतंकियों का कोई भी सुराग सुरक्षा बलों को नहीं लगा।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।