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महोगला, त्रियाठ क्षेत्र में तेजी से पांव पसार रहा लंपी रोग

संवाद सहयोगी कालाकोट महोगला व त्रियाठ क्षेत्र में लंपी बीमारी तेजी से पांव पसार रही है। ग्रा

By JagranEdited By: Updated: Sun, 21 Aug 2022 06:27 AM (IST)
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महोगला, त्रियाठ क्षेत्र में तेजी से पांव पसार रहा लंपी रोग

संवाद सहयोगी, कालाकोट : महोगला व त्रियाठ क्षेत्र में लंपी बीमारी तेजी से पांव पसार रही है। ग्रामीणों के अनुसार महोगला क्षेत्र की पंचायत जुंगड़ियाल ईस्ट में 90 प्रतिशत मवेशी बीमार हैं और उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया है। पशुपालकों ने इस रोग के जल्द निदान की मांग की है।

महोगला क्षेत्र की पंचायत जुंगड़ियाल ईस्ट के सरपंच मास्टर केवल शर्मा व नायब सरपंच मंजूर हुसैन ने पंचायत के विभिन्न वार्डो का दौरा कर देखा कि ग्रामीण मवेशियों के बीमार पड़ने से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत के 9 वार्डो का दौरा कर देखा गया कि ग्रामीणों के पालतू मवेशी लंपी स्किन डिजीज की चपेट में हैं और मवेशियों ने खाना-पीना तक छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि मवेशियों को इस समय उपचार की जरूरत है, लेकिन पशुपालन विभाग की कोई भी टीम नहीं पहुंची है।

इसी तरह त्रियाठ की सरपंच सीमा देवी का कहना है कि त्रियाठ क्षेत्र में भी ग्रामीण मवेशियों के बीमार पड़ने और उनके उपचार को लेकर परेशान हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के बेशकीमती दुधारू पशु लंपी स्किन डिजीज की चपेट में आने शुरू हो गए हैं, जिससे ग्रामीणों की परेशानियां पालतू मवेशियों को लेकर बढ़ने लगी हैं। उन्होंने कहा कि हमारी डीसी राजौरी से मांग है कि जल्द पशु चिकित्सक डाक्टरों की टीमें भेजकर मवेशियों का वैक्सीनेशन कर उन्हें जानलेवा बीमारी से बचाएं।

भाजपा मंडल प्रधान महोगला विजय कुमार का कहना है कि महोगला क्षेत्र के हर गांव व हर घर में मवेशी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं और पशुपालन पर निर्भर किसान मवेशियों के उपचार को चितित हैं। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग में भी पर्याप्त स्टाफ न होने से मात्र एक ही कर्मचारी को कई गांव में भागदौड़ कर मवेशियों के स्वास्थ्य की जांच के साथ उपचार करना पड़ रहा है, जिससे बीमार मवेशियों का उचित उपचार नहीं हो पा रहा और ग्रामीण परेशान हैं।

वहीं, पंचायत पटेरा के सरपंच सुनील कुमार का कहना है कि पशुपालन विभाग को चाहिए कि वह इस समय जागरूकता शिविर लगाकर लोगों को मवेशियों में फैली इस जानलेवा लंपी बीमारी के बारे में जागरूक करे कि बीमार मवेशियों का किस तरह रखरखाव करना है और अन्य स्वस्थ मवेशियों को किस तरह बीमार मवेशियों से अलग रख उन्हें इस बीमारी से बचाना है।

वहीं, इस संबंध में कालाकोट पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी से संपर्क न होने पर सीनियर वेटरनरी फार्मासिस्ट कालाकोट शब्बीर अहमद का कहना है कि बीमार मवेशियों के पांच से दस मामले हर गांव में पेश आ रहे हैं और पिछले दो-चार दिनों में यह संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि बीमार मवेशियों को उपचार के तौर पर एंटीबायोटिक के साथ पेनिसिलिन इंजेक्शन दिया जा रहा है। इसके साथ ही मवेशियों को इटामास, ईटा सेप, मालेक्सीकम, ट्री बैक्टम एबल आदि दवाएं दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी गांव में आठ से दस की संख्या में मवेशी बीमार हैं तो उनमें से एक से दो मवेशियों की रिकवरी भी हो रही है, जबकि इस बीमारी से अब तक तीन मवेशियों की मौत हो चुकी है।

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