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सुंदरबनी क्षेत्र में दर्जभर से अधिक मवेशी लंपी बीमारी की चपेट में

संवाद सहयोगी सुंदरबनी देशभर में पशुओं में फैली लंपी बीमारी राज्य में भी दस्तक दे चुकी ह

By JagranEdited By: Updated: Sat, 13 Aug 2022 06:06 AM (IST)
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सुंदरबनी क्षेत्र में दर्जभर से अधिक मवेशी लंपी बीमारी की चपेट में

संवाद सहयोगी, सुंदरबनी : देशभर में पशुओं में फैली लंपी बीमारी राज्य में भी दस्तक दे चुकी है। राजौरी जिले के सुंदरबनी क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक पशु बीमारी की चपेट में हैं। क्षेत्र के कांगड़ी, हथल, देवक, मरचोला व बरनाड़ा गांव में पशुओं के बीमारी की चपेट में आने से पशुपालकों की चिता बढ़ गई है। दूरदराज ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रही इस बीमारी के चलते पशुपालक दहशत में हैं। पशुपालन विभाग जल्द वैक्सीनेसन शुरू करने की बात कह रहा है।

पशुपालन विभाग के अनुसार क्षेत्र में गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरी आदि कुल मिलाकर 31 हजार से अधिक पशु हैं। तला टांडा पंचायत के पंच सुनील कुमार ने बताया कि अचानक पशुओं के मुंह पर छाले, पैरों में खुजली, बुखार, शरीर पर छाले पड़ना सहित अलग-अलग बीमारी फैलने लगी है। पशुपालक इस बीमारी के इलाज को लेकर पशु डाक्टरों से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदि बीमारी पर जल्द रोकथाम नहीं लगाई गई तो हजारों पशुओं का जीवन संकट में पड़ सकता है।

मरचोला निवासी पशुपालक तिलक राज ने बताया कि दो दिन पहले ही गाय के शरीर पर फोड़े हुए हैं और उसने दूध देना कम कर दिया है। डाक्टरों से संपर्क कर उसका इलाज शुरू किया गया है। सरपंच मोहन सिंह, सरपंच अनिल कुमार, सरपंच जसपाल, सरपंच बोधराज, पूर्व सरपंच कृष्ण लाल ने जिला प्रशासन व पशुपालन विभाग के उच्च अधिकारियों से मांग करते हुए कहा है कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए क्षेत्र में अलग-अलग टीमें गठित कर पशुपालकों में अधिक से अधिक जागरूकता अभियान चलाया जाए, जिससे पशुपालक जागरूक होकर इस बीमारी को फैलने से रोक सकें।

पशुपालन विभाग के तहसील अधिकारी डाक्टर आदिल लोन ने बताया कि लंपी बीमारी एक संक्रामक रोग है, जिसकी चपेट में आने वाले मवेशियों को बुखार, शरीर में गांठ, नरम छाले, मुंह से लार और आंख कान से पानी बहता है। दुग्ध उत्पादन में कमी आना, मवेशी का ठीक से भोजन नहीं कर पाना भी इस बीमारी के लक्षण हैं। इस बीमारी की चपेट में आने पर मवेशी को लंगड़ापन, निमोनिया, गर्भपात और बांझपन का शिकार होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

उन्होंने बताया कि उपजिले में विभिन्न टीमों को गठित कर पशुपालकों को इस बीमारी के प्रति अधिक से अधिक जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अगर कोई मवेशी उपजिले में लावारिस है और उसमें इस बीमारी के लक्षण में पाए जाते हैं तो उस मवेशी का इलाज करना पशुपालन विभाग के लिए भी एक बड़ी चुनौती होगा। क्षेत्र के कुछ गांवों में इस बीमारी से ग्रस्त पशु पाए गए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। बहुत जल्द क्षेत्र के सभी पशुओं का वैक्सीनेशन शुरू किया जाएगा।

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