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Lok Sabha Election 2024: उमर अब्दुल्ला ने खेला दांव, अनंतनाग-राजौरी सीट से गुज्जर नेता लारवी को बनाया उम्मीदवार

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में आइएनडीआई एलांयस के खिलाफ जाते हुए अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट के लिए अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। जम्मू कश्मीर में सभी राजनीतिक दलों की नाक का सवाल बने इस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में नेकां ने गुज्जर नेता और पूर्व मंत्री मियां अल्ताफ अहमद लारवी उर्फ अल्ताफ को अपना उम्मीदवार बनाया है।

By naveen sharma Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Mon, 01 Apr 2024 09:02 PM (IST)
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नेकां ने राजौरी-अनंतनाग सीट से घोषित किया प्रत्याशी
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। नेकां द्वारा मियां अल्ताफ को उम्मीदवार घोषित कि जाने के साथ ही घाटी में आइएनडीआई एलांयस द्वारा संयुक्त उम्मीदवार उतारे जाने की संभावना भी खत्म हो गई। अब घाटी में आइएनडीआई एलांयस के घटकों के बीच तथाकथित दोस्ताना मुकाबला देखने को मिलेगा।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी सीट पर या फिर श्रीनगर संसदीय सीट पर चुनाव लड़ सकती हैं। कांग्रेस भी मैदान में उतर सकती है, जिससे नेकां का चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है। फिलहाल भाजपा समेत किसी भी अन्य राजनीतिक दल ने इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

2022 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया

अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र वर्ष 2022 में जम्मू कश्मीर में हुए परिसीमन के बाद ही अस्तित्व में आयी है। इस संसदीय सीट में कश्मीर प्रांत के जिला अनंतनाग के सभी सात और जिला कुलगाम के सभी तीन और जिला शोपियां का एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र जेनपोरा व जम्मू प्रांत मे जिला पुंछ सभी तीन व जिला राजौरी के चार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं।

इस सीट के लिए मतदान तीसरे चरण में सात मई को होगा जबकि इस सीट के लिए अधिसूचना 12 अप्रैल को जारी होगी जबकि नामांकन जमा कराने की अंतिम तिथि 19 अप्रैल 2024 है।

उमर अब्दुल्ला ने आज पार्टी मुख्यालय में नेकां महासचिव अली मोहम्मद सागर और नेकां प्रांतीय प्रधान नासिर असलम वानी की मौजूदगी में मियां अल्ताफ को अनंतनाग-राजौरी सीट पर उम्मीदवार बनाए जाने का एलान करते हुए कहा कि यह निर्णय पार्टी प्रमुख डा फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी के वरिष्ठजनों के साथ विचार विमर्श के बाद ही लिया है।

उन्होंने कहा कि मियां अल्ताफ अहमद एक अनुभवी नेता हैं और न सिर्फ कश्मीर घाटी में बल्कि राजौरी-पुंछ में भी वह लोगों में लोकप्रिय हैं। कश्मीर घाटी में जिला गांदरबल में कंगन के रहने वाले मियां अल्ताफ अहमद पांच बार विधायक चुने गए हैं। वह गुज्जर समुदाय के एक बड़े वर्ग के धर्मगुरू भी हैं। पहाड़ी समुदाय में भी उनका अच्छा खासा प्रभाव है। इसके अलावा जम्मू प्रांत के राजौरी-पुंछ के कई राजनीतिक गुज्जर परिवारों में उनके पारिवारिक संबंध भी हैं। उनका एक करीबी पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहा है।

लंबे समय से हो रही थी चर्चा

मियां अल्ताफ को नेकां द्वारा अनंतनाग-राजौरी सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा लंबे समय से चल रही थी। उमर अब्दुल्ला बार बार कहर रहे थे कि ईद के बाद ही वह अपने उम्मीदवारों का एलान करेंगे। इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि अनंतनाग-राजौरी सीट व कश्मीर प्रांत की अन्य दो सीटों को लेकर आइएनडीआई एलांयस में कोई समझौता हो जाएगा और गठबंधन धर्म केा निभाते हुए उमर अब्दुल्ला अनंतनाग राजौरी सीट पीडीपी के लिए छोड़ सकते हैं। उमर के इस कदम के बाद कश्मीर में सीटों पर तालमेल की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है।

राजनीतिक मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि हैरानी इस बात से नहीं है कि मियां अल्ताफ को नेकां ने उम्मीदवार बनाया है, बल्कि उनकी उम्मीदवारी के एलान के समय को लेकर है। इतवार को डा फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख दिल्ली में विपक्षी एकता का एलान कर रहे थे।

अकेले आगे बढ़ने को तैयार उमर अब्दुल्ला

इससे लगा था कि नेकां कश्मीर में पीडीपी के लिए राजनीतििक जमीन छोड़ेगी, लेकिन उमर अब्दुल्ला ने आज जो एलान किया है, उससे साफ हो गया है कि उमर अब्दुल्ला अकेले आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। अब कश्मीर में पीडीपी और कांग्रेस अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी और कहा जाएगा कि आइएनडीआइ एलांयस के घटकों के बीच दोस्ताना मुकाबला है। इससे नेकां को नुक्सान हो सकता है और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी या फिर पीपुल्स कान्फ्रेंस और भाजपा को लाभ हो सकता है। इसका लाभ पीडीपी को भी मिल सकता है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने कहा कि नेकां ने अपना फैसला सुना दिया है। हमारा प्रयास था कि हम सभी मिलकर चुनाव लड़ें। अब पीडीपी भी अकेले चुनाव लड़ने को तैयार है। पार्टीजन चाहते हैं कि महबूबा मुफ्ती अनंतनाग या फिर श्रीनगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ें। हम विपक्ष की एकता के लिए, कश्मीर के भले के लिए कोई भी सीट छोड़ने को तैयार थे, लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में होने वाली संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में ही लिया जाएगा।

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