Jammu Kashmir Terror Attack: आतंकियों ने बदला हमले का तरीका; सेना ने कहा, 'कुछ भी कर लें बचने वाले नहीं'
Jammu Kashmir Terror Attack जम्मू कश्मीर में आतंकी अब नए तरीके से हमले को अंजाम दे रहे हैं। आतंकी आत्मघाती की जगह हमला करो व भागो की चाल चल रहे हैं। आतंकी कई मोबाइल एप का भी इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि सुरक्षाबलों की रडार में आने से बचे रहें। सेना के सुरक्षा अधिकारी बोले-आतंकी कुछ भी कर लें बचेंगे नहीं।
गगन कोहली, राजौरी। जम्मू-कश्मीर में छिपे बैठे आतंकियों ने हमलों के लिए अपने तरीके, तकनीक और हथियारों में बदलाव लाया है। पहले आतंकी अधिकतर सैन्य शिविरों पर आत्मघाती हमले करते थे। इसमें सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के साथ आतंकी खुद भी मारे जाते थे। अब आतंकी ऐसा नहीं कर रहे।
आतंकी अब दूरदराज के क्षेत्रों में जंगल और पहाड़ों में छिपकर ताक में रहते हैं और मौका मिलते ही हमला कर फिर जंगल में भाग जाते हैं। दूरदराज का क्षेत्र होने के कारण अन्य सुरक्षाबलों को पहुंचने में समय लगता है और तब तक आतंकी अपने सुरक्षित ठिकानों में पहुंच जाते हैं।
इसी तरह अब आतंकी एक-दूसरे से बात करने व अपने आकाओं से संपर्क करने के लिए विभिन्न मोबाइल एप का इस्तेमाल करते हैं, ताकि सुरक्षाबलों की रडार में न आ पाएं।
हमले में पाकिस्तान और ISI का हाथ
यकीनन, इसके पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का ही हाथ है। वहीं, आतंकियों के इस नये षड्यंत्र को विफल बनाने के लिए सुरक्षाबल भी पूरी तरह सक्रिय व मुस्तैद हैं। राजौरी, पुंछ और और रियासी जिलों में जंगल व पहाड़ों के बीच सैन्य वाहनों पर हमलों के बाद अब आतंकियों ने कठुआ जिले के बदनोता में भी इसी तरह हमला किया और भाग निकले।
सूत्रों के अनुसार, गुलाम जम्मू-कश्मीर में चल रहे आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों में पहले आतंकियों को आत्मघाती हमले का प्रशिक्षण दिया जाता था, लेकिन अब उन्हें हमला करो और वहां से भागने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
रेकी करके साफ्ट टारगेट ढूंढते हैं आतंकी
आतंकी बदले तरीके के तहत पहले क्षेत्र की अच्छी तरह रेकी करते हैं और साफ्ट टारगेट ढूंढते हैं। आतंकी उस रूट की पहचान करते हैं जहां से हर रोज सुरक्षाबलों के वाहन गुजरते हैं और यह भी देखते हैं कि वाहन की गति कहां पर कम होगी। उसके बाद हमले को अंजाम देते हैं।
पहले आतंकी वायरलेस सेट, मोबाइल फोन और सेटेलाइट का उपयोग करते थे, लेकिन टावर की लोकेशन व अन्य तकनीक से हमारी सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के ठिकानों का पता लगा लेती थीं।अब आतंकी वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के सहारे कई मोबाइल एप का उपयोग करने लगे हैं, जिससे वह संदेश के साथ-साथ अपनी लोकेशन भी एक दूसरे को भेजते हैं, लेकिन इसकी जानकारी किसी को नहीं मिल पाती।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं आतंकी
यही नहीं, पहले आतंकी हमलों के लिए एके 47, एके 56 व एके 72 राइफल का अधिकतर उपयोग करते थे, लेकिन अब आतंकी अमेरिका निर्मित एम4 राइफल का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इस राइफल की गोलियां बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने में सक्षम हैं। इस संबंध में एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि आतंकी कुछ भी कर लें, अब वह ज्यादा देर बचने वाले नहीं हैं। यह भी पढ़ें- Jammu Kashmir News: बसंतगढ़ में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर की गोलीबारी, अंधेरे की आड़ में भागे; सेना ने शुरू की घेराबंदीराजौरी शहर में दिखे दो से तीन संदिग्ध
राजौरी शहर से पांच किमी दूर गुरदन बाला क्षेत्र में दो से तीन संदिग्ध देखे जाने के बाद सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया, लेकिन उनका कोई सुराग नहीं मिला।जानकारी के अनुसार देर शाम गांव के लोगों ने दो से तीन संदिग्ध देख उसी समय इसकी जानकारी पुलिस और सेना को दी। सेना व पुलिस के जवानों ने पूरे क्षेत्र को घेर कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया। सुरक्षाबलों के जवान कुछ घरों के साथ जंगलों की तलाशी भी ले रहे हैं।यह भी पढ़ें- Encounter In Udhampur: ऊधमपुर में सुरक्षाबल और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी, CRPF और सेना ने की इलाके में घेराबंदीहमारी सेना एक-एक आतंकी को चुन-चुनकर मारने में सक्षम है। हमारी सेना अपने क्षेत्र से ही गुलाम-कश्मीर में चल रहे आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों को भी ध्वस्त कर सकती है।
-जीडी बख्शी, पूर्व मेजर जनरल (राजौरी और पुंछ में अपनी सेवाएं दे चुके)