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Jammu Kashmir: घाटी पर जलवायु परिवर्तन का बड़ा असर, खूब हो रही एसी की बिक्री; गर्मी ने तोड़े रिकॉर्ड

जलवायु परिवर्तन का घाटी के मौसम पर कितना प्रभाव है इसका अहसास इस बार की गर्मी ने करा दिया। इस सीजन ने एक के बाद एक गर्मी के दशकों पुराने रिकार्ड तोड़ दिए। पहले घाटी में एसी की बिक्री कामर्शियल स्तर तक ही सीमित थी लेकिन अब घर में भी मांग बढ़ी है। यह प्राथमिक जरूरत की चीज बन गई है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Wed, 31 Jul 2024 05:30 AM (IST)
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घाटी पर जलवायु परिवर्तन का बड़ा असर, खूब हो रही एसी की बिक्री
 रजिया नूर, श्रीनगर। ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन का घाटी के मौसम पर कितना प्रभाव है, इसका अहसास इस बार की गर्मी ने करा दिया। इस सीजन ने एक के बाद एक गर्मी के दशकों पुराने रिकार्ड तोड़ दिए। अब लोग सोचने पर मजबूर हुए कि आखिर अब घाटी के मौसम में वो बात क्यों नहीं है? अब यहां न तो दिन में बिना पंखे के गुजारा होता है और न रात को रजाई ओढ़ने की जरूरत लगती है।

पहले घाटी में एसी की बिक्री कामर्शियल स्तर तक ही सीमित थी, लेकिन अब घर में भी मांग बढ़ी है। यह प्राथमिक जरूरत की चीज बन गई है। इस वर्ष मई से अभी तक लगातार झुलसाने वाली गर्मी पड़ी। जून और जुलाई महीने में शुष्क मौसम के बीच श्रीनगर समेत अधिकांश जिलों में तापमान लगातार 30 के पार बना रहा।

श्रीनगर का अधिकतम तापमान 36 डिग्री पार

बीते दिनों हीटवेव के बीच श्रीनगर का अधिकतम तापमान 36 डिग्री पार चला गया। इससे स्थानीय लोग ही नहीं, घाटी घूमने आने वाले पर्यटक भी त्राहि-त्राहि करने को मजबूर हुए। सूखे मौसम से झेलम समेत सभी नदी-नालों का जलस्तर चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया। खेत-खलिहान तथा फलों के बाग कुम्हला गए।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण घाटी का मौसम बदल गया है। पारंपरिक तरीके से गर्मी झेलना मुश्किल हो गया है। यहां भी लोग एसी लगाने को मजबूर हो गए हैं। पहले कश्मीर में एसी की बिल्कुल जरूरत नहीं पड़ती थी।

कुछ वर्षों में गर्मी के दिनों में बेतशहा गर्मी पड़ रही

मोहम्मद सुलतान डार नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि हमारे यहां तो गर्मी का मौसम भी सुहाना हुआ करता था। जून-जुलाई में पारा 25 से 27 डिग्री ही हुआ करता था। गर्मी इतनी हुआ करती थी कि हमें पंखा चलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी। गर्मी महसूस होने पर आंगन या किसी पार्क में चिनार के साए में बैठ ठंडक महसूस करते थे। रात को कम से कम हलकी रजाई ओढ़नी ही पड़ती थी, लेकिन कुछ वर्षों में गर्मी के दिनों में बेतशहा गर्मी पड़ रही।

डार ने कहा कि हमें ऐसी गर्मी की आदत नहीं रही, मजबूरन एसी खरीदना पड़ा। वहीं, मोहम्मद सलीम कावा ने कहा कि घाटी में अब वह बात नहीं है। इस बार तो तापमान 36 डिग्री पार चला गया।

घाटी में ताबड़तोड़ हो रही है एसी की बुकिंग

बिजली उपकरणों की होलसेल दुकान करने वाले फयाज अहमद बाबा ने कहा कि दो दशक पहले यहां न तो एसी की जरूरत पड़ती थी और न ही हम लोग अपनी दुकानों पर यह बेचते थे। बाद में होटलों व अस्पतालों में एसी लगवाया गया। हम कामर्शियल लेवल पर ही एसी बेचा करते थे। मगर एक-दो वर्ष में हम घरेलु उपयोग के लिए भी एसी बेच रहे हैं। इस वर्ष मांग बहुत बढ़ी है।

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