Lok Sabha Election 2024: आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में लिटमस टेस्ट साबित होगा लोकसभा चुनाव
ये लोकसभा चुनाव जम्मू कश्मीर में न सिर्फ क्षेत्रीय दलों के लिए अपितु भाजपा और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों के लिए भी लिटमस टेस्ट है। पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद जम्मू कश्मीर में यह पहला चुनाव है। इन चुनावों का परिणाम नेकां और पीडीपी जैसे दलों का एजेंडा व उनकी प्रासंगिकता तय करेगा तो वहीं भाजपा के फैसले पर सहमति-असहमति की मुहर माना जाएगा।
नवीन नवाज, श्रीनगर। बीते चार वर्ष में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के करीब तीन दर्जन वरिष्ठ नेताओं (जिनमें गुलाम नबी आजाद भी हैं) ने दल-बदल किया है या नया संगठन बनाया है, उनके लिए यह चुनाव खुद को साबित करने का अवसर है। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण ने जम्मू कश्मीर में राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है।
इससे सभी राजनीतिक दलों व उनके नेताओं को रणनीतियों और प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। दशकों से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को परिभाषित करने वाली पारंपरिक रेखाएं अभी भी धुंधली हैं और इसने राजनीतिक पुनर्गठन के एक नए युग को जन्म दिया है।
कुछ नेताओं ने अपने दल-बदल के कारणों में वैचारिक मतभेदों या अपनी पूर्व पार्टियों से मोहभंग का हवाला दिया, वहीं अन्य ने इसे क्षेत्र की बदलती गतिशीलता के अनुकूल होने के लिए व्यावहारिक कदम के रूप में देखा।
हालांकि, नेकां ने आईएनडीआई गठबंधन के साथ गठबंधन किया है। इसके बावजूद उसने पीडीपी के साथ किसी भी सीट-बंटवारे समझौते में शामिल होने से इनकार किया है, जिसने लोकसभा चुनावों से पहले जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अनिश्चितता को और बढ़ा दिया। बीते पांच वर्ष में जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मंच पर कई नए चेहरे सामने आए हैं जो परंपरागत राजनीतिक संगठनों से अलग रहे हैं और प्रदेश में परिवारवाद की राजनीति के लिए भी चुनौती बने हुए हैं।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) ने कश्मीर में नेकां, पीडीपी के राजनीतिक वर्चस्व को चुनौती देने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के लिए भी मुश्किल पैदा की है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस बेशक 46 वर्ष पुराना दल है, लेकिन उसमें भी बीते तीन वर्ष में पीडीपी के कई नेता शामिल हुए हैं। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी में पीडीपी-नेकां व कांग्रेस के कई पुराने दिग्गज हैं, जबकि डीपीएपी में पुराने कांग्रेसियों की अच्छी खासी तादाद है। वहीं, अंकुर शर्मा का एकम सनातन धर्म दल भी चुनाव मैदान में है।
ये भी पढ़ें: गिलानी की नातिन व शब्बीर की बेटी ने अखबारों में छपवाया 'मैं हूं देशभक्त...', खुद को अलगाववादी राजनीति से किया दूर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।चुनाव परिणाम से अपने एजेंडे को ऐसे सेट करेंगी पार्टियां
- इस लोकसभा चुनाव में नेकां और पीडीपी ने खुद को पूरी तरह से कश्मीर में केंद्रित कर रखा है। दोनों दल इन चुनावों में भाजपा को रोकने के लिए जनता से वोट मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि भाजपा ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जो नुकसान पहुंचाया, उसके लिए उसे सबक सिखाने व दुनिया को यह बताने के लिए कश्मीर को यह फैसला मंजूर नहीं है, यही मौका है।
- इन चुनावों में नेकां-पीडीपी-कांग्रेस को कश्मीर में जीत मिलती है तो वह इसे अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के लिए खिलाफ कश्मीरियों का मतदान बताएंगी। अगर हार जाती हैं तो भाजपा इसे पांच अगस्त, 2019 के केंद्र सरकार के फैसले पर कश्मीरियों की मुहर बताने के साथ ही नेकां-पीडीपी-कांग्रेस की परिवारवादी राजनीति के खिलाफ कश्मीरियों का फैसला बताएगी।
- कश्मीर की सीटों पर नेकां-पीडीपी-कांग्रेस के विरोधी राजनीतिक दलों पीपुल्स कान्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और डीपीएपी की जीत भी परोक्ष रूप से भाजपा के एजेंडे को सही साबित करेगी और नेकां-पीडीपी की कश्मीर में प्रासंगिकता को समाप्त करने का काम करेगी और इन तीन नए राजनीतिक दलों के जनाधार को साबित करेगी। कांग्रेस इस समय न सिर्फ कश्मीर में बल्कि जम्मू संभाग में भी अपने अस्तित्व के बचाने के लिए संघर्षरत है, उसके लिए भी यह चुनाव करो या मरो जैसी स्थिति में हैं।
- गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली डीपीएपी इस समय जम्मू कश्मीर की राजनीति में अपने लिए संभावनाएं तलाश रही है। वह जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कान्फ्रेंस के साथ गठजोड़ की संभावनाएं तलाश रही है। इन चुनावों का परिणाम उसके लिए जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव में संभावनाएं तय करेंगे।
- नेकां, कांग्रेस और पीडीपी छोड़कर पीपुल्स कान्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और डीपीएपी के अलावा भाजपा का हिस्सा बने पूर्व मंत्रियों और विधायकों के लिए भी यह चुनाव अपने जनाधार को साबित करने मौका है।