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लोकसभा-अमरनाथ यात्रा के बाद शांतिपूर्ण माहौल में विधानसभा चुनाव कराना बड़ी चुनौती, 60 वाहिनियां रहेंगी ड्यूटी पर तैनात

Jammu Kashmir Assembly Elections 2024 अप्रैल-जून के दौरान संपन्न हुई लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में जम्मू कश्मीर में बीते 35 वर्ष के दौरान अब तक के सबसे शांत और सुरक्षित मतदान हुआ है। अगर पहलगाम और शोपियां मे हुए दो आतंकी हमलों को नजर अंदाज कर दिया जाए तो कोई अन्य आतंकी वारदात नहीं हुई। कहीं पथराव भी नहीं हुआ है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 17 Aug 2024 02:14 PM (IST)
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Jammu Kashmir Election 2024: शांतिपूर्ण माहौल में विधानसभा चुनाव कराना बड़ी चुनौती।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। लोकसभा चुनाव के बाद अमरनाथ यात्रा और अब विधानसभा चुनाव में भी भयमुक्त वातावरण प्रदान करना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती है। बीते कुछ महीनों में जिस तरह से जम्मू में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर सनसनीखेज तरीके से हमले किए हैं, उससे संबधित क्षेत्र में मतदान प्रभावित होने की आशंका से यह चुनौती बढ़ जाती है।

केंद्र सरकार ने इसे निपटने के लिए और सुरक्षित एवं विश्वासपूर्ण में मतदान को सुनिश्चित बनाने के लिए सेना, पुलिस और केंद्रीय अर्धसैन्यबलों की 60 वाहिनियों को उपलब्ध कराने का यकीन दिलाया है। वर्ष 1990 के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और विश्वासपूर्ण वातावरण में संपन्न कराना हमेशा ही सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती रहा है।

आतंकी रचते हैं साजिश

चुनावों का एलान होने के साथ ही जम्मू कश्मीर में आतंकी भी राजनीतिक दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के अपने षड्यंत्र में जुट जाते रहे हैं। लोगों को चुनाव प्रक्रिया से दूर रहने का फरमान सुनाया जाता और चुनाव बहिष्कार का अभियान भी चलता।

मुस्ताक लोन को उतारा था मौत के घाट

उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला समेत विभिन्न नेता अपनी चुनावी रैलियों के दौरान आतंक हमलों में बाल-बाल बचे हैं। वर्ष 2002 में आतंकियों ने नेशनल कान्फ्रें के वरिष्ठनेता और तत्कालीन गृह राज्यमंत्री मुश्ताक लोन को उनके घर से कुछ ही दूरी पर एक चुनावी सभा में मौत के घाट उतारा था। अलबत्ता, बीते पांच वर्ष में जम्मू कश्मीर में हालात में व्यापक बदलाव आया है और आतंकी हिंसा अपने न्यूनतम स्तर पर जा पहुंची है।

सुरक्षा-विश्वास का वातावरा बनाए रखना बड़ी चुनौती

आतंकी संगठनों में स्थानीय भर्ती भी घटी है। अप्रैल-जून के दौरान संपन्न हुई लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में जम्मू कश्मीर में बीते 35 वर्ष के दौरान अब तक के सबसे शांत और सुरक्षित मतदान हुआ है। अगर पहलगाम और शोपियां मे हुए दो आतंकी हमलों को नजर अंदाज कर दिया जाए तो कोई अन्य आतंकी वारदात नहीं हुई।

कहीं पथराव भी नहीं हुआ है। कठुआ, डोडा और उधमपुर व रियास में आतंकी हमलों के साथ साथ कुपवाड़ा और बारामुला में बीते दो माह के दौरान हुई घुसपैठ की कोशिशों के बाद विधानसभा चुनावों में सुरक्षा एवं विश्वास का वातावरा बनाए रखना बड़ी चुनौति है।

5 अगस्त 2019 के बाद पहला विधानसभा चुनाव

आतंकी और उनकी सरगना पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी विस चुनावों में अफरा तफरी फैलाने का हर संभव षडयंत्र करेंगी। जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार सलीम रेशी ने कहा कि आप लोकसभा और विधानसभा चुनाव,दोनों को एक ही तराजू में नहीं तौल सकते।

यह जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 के बाद पहला विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। इसलिए इन चुनावों में खलल डालने के लिए आतंकी हर संभव प्रयास करेंगे। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या लोकसभा चुनाव की तुलना में कहीं ज्यादा होती है और स्थानीय लोग भी इन चुनावों में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं।

मतदान केंद्र पर 50 से 100 सुरक्षाकर्मी तैनात

प्रदेश में 90 विधानसभा क्षेत्रों में आधे से ज्यादा संवेदनशील और अति संवेदनशील श्रेणी में ही आते हैं लगभ 70 विधानसभा क्षेत्र आतंकियों के प्रभाव वाले हैं। अगर औसतन एक विधानसभा क्षेत्र में पांच उम्मीदवार भी हों तो 90 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी संख्या 450 होगी।

प्रत्येक की सुरक्षा में कम से कम दो सुरक्षाकर्मियों से लेकर 20 सुरक्षाकर्मी, आतंकी खतरे के आकलन के आधार परतैनात किए जाने की जरूरत पड़ेगी। यह संख्या इससे भी ज्यादा होगी। इसके अलावा प्रत्येक मतदान केंद्र की सुरक्षा के लिए भी 50 से 100 सुरक्षाकर्मियो को तैनात किया जाना है।

प्रदेश में भय का माहौल

इसके अलावा चुनाव प्रचार के समय भी प्रतयाशियों और उनसे जड़े कार्यकर्ताओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और किसी भी आतकी हमले से निपटने के लिए भी आपको सुरक्षा बंदोबस्त चाहिए। एक भी आतंकी हमला, चुनाव प्रक्रिया को भंग कर सकता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आतंकियों ने बीते कुछ महीनों में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं, उससे भय का माहौल बना है। इससे मतदान प्रभावित होने की तीव्र आशंका है।

प्रभावी रणनीति तैयार की

जम्मू कश्मीर पुलिस में एसएसपी रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि जिन आशंकाओं को जताया जा रहा है, उनका संज्ञान लिया जा चुका है। सभी विधानसभा क्षेत्रों में आतंकी खतरे का आकलन करते हुए ही वहां कब कैसे चुनाव कराना है, प्रभावी रणनीति तैयार की गई है।

लगभग 60 वाहिनियां चुनाव ड्यूटी पर तैनात रहेंगी। इनमें से अधिकांश को जम्मू कश्मीर में आतंकरोधीअभियानों में भाग लेने, कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने औा चुनाव कराने का पुराना अनुभव है। इसके साथ ही यहां श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा भी अगले चंद दिन संपन्न हो जाएगी और यात्रा ड्यूटी परतैनात सुरक्षाबलों में से अधिकाांश को ही चुनाव डयूटी में तैनात किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि आतंकियों के प्रभाव वाले इलाकों में लगातार घेराबंदी तलाशी अभियान शुरू किए जा रहे हैं। थाना और चौकीस्तर पर संबधित अधिकारियेां को अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सभी संदिग्ध और शरारती तत्वों की निगरानीका सख्त निर्देश दिया गया है।

घुसपैठरोधी तंत्र को और मजबूत बनाया गया है। आतंकियों के प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती और गश्त बढ़ाई जा रही है। सभी राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने के लिए एक एसओपी तय कर दी गई है। इसके बारे में राजनीतिक दलों को भी सचेत किया जा रहा है।

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