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'अफजल गुरु की फांसी को कभी मंजूरी नहीं देते', जम्मू-कश्मीर में चुनाव के बीच उमर अब्दुल्ला के बयान पर बवाल

Jammu Kashmir Election 2024 जम्मू-कश्मीर में चुनावी सरगर्मियों के बीच उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने बयान दिया कि जम्मू-कश्मीर सरकार का अफजल गुरु (Afzal Guru) की फांसी से कोई लेना-देना नहीं था। यदि सरकार की अनुमति से ऐसा करना पड़ता तो हम कभी ऐसा नहीं करते। संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 में फांसी की सजा दी गई थी।

By naveen sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 07 Sep 2024 08:53 PM (IST)
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अफजल गुरु की फांसी पर बयान देकर घिरे उमर अब्दुल्ला

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। संसद हमले में शामिल आतंकी अफजल गुरू को फांसी हुए 11 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अफजल गुरू अभी भी जम्मू कश्मीर की राजनीति में एक मुद्दा बना हुआ है।

उसकी फांसी को लेकर शनिवार को भाजपा ने नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर पलटवार करते हुए कहा कि नेकां नेता अफजल गुरू का नाम लेकर आतंकियों और पूर्व आतंकियों का समर्थन जुटा चुनाव जीतने का प्रयास कर रहे हैं।

गौरतलब है कि गत शुक्रवार को उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर सरकार का अफजल गुरु की फांसी से कोई लेना-देना नहीं था। अगर होता तो राज्य सरकार की अनुमति से ऐसा करना पड़ता, जिसके बारे में मैं आपको स्पष्ट शब्दों में बता सकता हूं कि ऐसा नहीं होता। हम ऐसा नहीं करते।

11 साल पहले दी गई थी फांसी

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि उसे फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा हुआ है। केंद्र सरकार ने अफजल गुरू को फांसी देने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की अनुमति या सहमति नहीं ली थी।

संसद हमले में शामिल अफजल गुरू को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने नौ फरवरी 2013 को फांसी दी थी। उस समय जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला ही मुख्यमंत्री थे।

भाजपा ने की बयान की आलोचना

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने कहा कि उमर अब्दुल्ला का अफजल गुरु को लेकर दिया गया बयान उनके इरादों को साफ कर देता है।

उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला का यह कहना कि गुरु की फांसी से कोई लाभ नहीं हुआ। आखिर वह क्या साबित करना चाहते हैं।अगर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले राष्ट्रविरोधी तत्वों को मौत की सजा दी जाती है, तो उन्हें इस पर आपत्ति क्यों है?

कवींद्र ने कहा कि वह आतंकियों से समर्थन लेकर मौजूदा चुनाव प्रक्रिया में अपनी स्थिति मजबूत बनाना चाहते हैं। वह आतंकियों ,पूर्व आतंकियों से समर्थन ले रहे हैं। इसलिए ऐसी भाषा बोल रहे हैं।

पूर्व उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस एक बार फिर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को जिंदा करना चाहती है, इसलिए उसके नेता इस तरह के आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। कश्मीर की जनता उनके इरादों को समझ चुकी है और वह अपने वोट के जरिए उन्हें इसका जवाब देगी।

साल 2001 में हुआ था संसद पर हमला

13 दिसंबर, 2001 को संसद पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सुरक्षाकर्मियों समेत नौ लोग मारे गए थे और 18 लोग घायल हुए थे। संसद हमले के पांच आतंकियों को भी नेस्तनाबूद कर दिया गया था। इनकी पहचान हमजा, हैदर उर्फ तुफैल, राणा, रणविजय और मोहम्‍मद के तौर पर हुई थी।

वहीं दिल्‍ली पुलिस ने दो दिन बाद यानी 15 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकी और संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को पकड़ा। जिसे नौ फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।

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