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अमरनाथ तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए 'त्रिनेत्र' तैयार, सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से होगी निगरानी; 30 हजार जवान रहेंगे तैनात

अमरनाथ तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे ड्रोन और खोजी कुत्ते सुरक्षा चक्र को अभेद्य बनाने में सहयोग करेंगे। बालटाल-पवित्र गुफा और पहलगाम-पवित्र गुफा मार्ग को 15 जून तक सुरक्षाबल अपनी निगरानी और कब्जे में ले लेंगे। श्री अमरेश्वर धाम जिसे श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा से पुकारा जाता है की इस बार वार्षिक तीर्थयात्रा 29 जून को शुरू हो रही है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 30 May 2024 06:00 AM (IST)
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अमरनाथ तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए 'त्रिनेत्र' तैयार, सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से होगी निगरानी
 राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। श्री अमरेश्वर धाम की तीर्थयात्रा पर श्रद्धालु बिना भय के पूरी करें। उन्हें खुद की सुरक्षा को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं। 'त्रिनेत्र' प्रत्येक श्रद्धालु की सुरक्षा सुनिश्चित बनाएगा। इस रणनीति के तहत सेना, पुलिस और केंद्रीय अर्धसैन्यबलों के लगभग 30 हजार जवान पूरे यात्रा मार्ग की निगरानी और सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे।

सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन और खोजी कुत्ते भी सुरक्षा चक्र को अभेद्य बनाने में सहयोग करेंगे। बालटाल-पवित्र गुफा और पहलगाम-पवित्र गुफा मार्ग को 15 जून तक सुरक्षाबल अपनी निगरानी और कब्जे में ले लेंगे। श्री अमरेश्वर धाम, जिसे श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा से पुकारा जाता है, की इस बार वार्षिक तीर्थयात्रा 29 जून को शुरू हो रही है। यह यात्रा 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी।

हर वर्ष लाखों तीर्थयात्री आते हैं

दक्षिण कश्मीर में समुद्रतल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरेश्वर धाम में भगवान शंकर ने मां पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी। इस वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए हर वर्ष लाखों तीर्थयात्री आते हैं। आतंकियों और अलगाववादियों की आंख में यह तीर्थयात्रा कांटे की तरह चुभती रही है और इसलिए वह हमेशा इसे नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र रचते हैं। कश्मीर में बहाल होती शांति, सुरक्षा एवं विश्वास के वातावरण को ठेस पहुंचाने के लिए आतंकियों द्वारा तीर्थयात्रा को निशाना बनाए जाने की आशंका है।

यात्रा के लिए एक प्रभावी सुरक्षा रणनीति तैयार

सूत्रों के अनुसार सुरक्षित, शांत एवं विश्वासपूर्ण वातावरण में तीर्थयात्रा कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय लगातार प्रदेश प्रशासन व संबंधित सुरक्षा एजेंसियां के साथ समन्वय बनाए है। यात्रा के लिए एक प्रभावी सुरक्षा रणनीति तैयार की गई है, जिसे त्रिनेत्र नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि पूरे यात्रा मार्ग को आतंकी खतरे के आधार के आकलन पर अलग-अलग वर्गों में बांटकर सुरक्षाबलों की तैनाती होगी।

सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी सीआरपीएफ के पास रहेगी। सीआरपीएफ का एक दस्ता जम्मू से पहलगाम और बालटाल आधार शिविर तक श्रद्धालुओं के वाहनों के साथ चलेगा। श्रद्धालुओं के वाहनों के काफिले के बीच भी सुरक्षाबलों का एक वाहन होगा। पूरे यात्रा मार्ग में सिर्फ निर्धारित स्थानों पर ही श्रद्धालुओं के वाहन रुक सकेंगे।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी रहेगी

राष्ट्रीय राजमार्ग पर चिह्नित स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी रहेगी। प्रत्येक आधार शिविर में भी सीसीटीवी कैमरों से हर आने-जाने वाले पर नजर रखी जाएगी। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर ऊधमपुर से आगे काजीगुंड तक सेना के जवान तैनात रहेंगे।

ड्रोन से भी निगरानी, तलाशी अभियान भी चलेंगे

सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में पूरे यात्रा मार्ग की निगरानी में ड्रोन का भी इस्तेमाल होगा। यात्रा मार्ग पर स्थित बाजारों और साथ सटे इलाकों में घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाए जाएंगे। आतंकी किसी भी तरह से ड्रोन के जरिए तीर्थयात्रा मार्ग पर कोई हमला न कर सकें, इसके लिए चिह्नित स्थानों पर एंटी ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। स्टिकी बम के खतरे से निपटने के लिए श्रद्धालुओं के वाहनों और तीर्थयात्रा की सुरक्षा में शामिल जवानों के वाहनों के लिए भी सुरक्षा ड्रिल में आवश्यक बदलाव किया गया है।

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