Amarnath Yatra 2024: अमरनाथ यात्रा आज से शुरू, पवित्र गुफा तक कैसे पहुंचते हैं श्रद्धालु; कहां और कितनी रात गुजारनी पड़ती है? जानिए स्टेप-बाय-स्टेप
Amarnath Yatra 2024 अमरनाथ यात्रा आज से शुरू हो गई है। देश के किसी कोने से आप बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकते हैं। सड़क से लेकर हवाई मार्ग की पूरी व्यवस्था है। आप अपनी यात्रा की शुरुआत पहलगाम या बालटाल से कर सकते हैं। पहलगाम मार्ग बालटाल से थोड़ा लंबा है। बालटाल मार्ग के लिए यात्रा बेस कैंप गांदरबल जिले में सोनमर्ग के पास स्थित है।
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। अमरनाथ यात्रा आज (29 जून) से शुरू हो गई है। इसके लिए 28 जून को पहला जत्था रवाना हो गया था। श्रद्धालु हर-हर महादेव के जयघोष के साथ यात्रा पर निकल गए हैं। अमरनाथ यात्रा को स्वर्ग का द्वार कहा जाता है। हर किसी की इच्छा होती है कि एक बार अमरनाथ यात्रा पर जरूर जाएं। लेकिन कई बार लोगों को स्प्ष्ट जानकारी नहीं होने से यात्रा प्लान नहीं कर पाते हैं।
आप देश के किसी भी कोने में हैं, अब आसानी से अमरनाथ की यात्रा पर जा सकते हैं। बस, ट्रेन या फ्लाइट तीनों मार्ग से बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकते हैं। ट्रेन या बस से आप कहीं से भी आ रहे हैं तो आपको कटरा तक आना होगा, वहीं फ्लाइट से आ रहे हैं तो आपको श्रीनगर आना होगा।
जम्मू के बाद पहले यहां जाना होगा
इसके बाद जम्मू (कटरा) से आपको पहलगाम या बालटाल (कश्मीर) जाना होगा। ठीक उसी तरह श्रीनगर से पहलगाम या बालटाल जाना होगा। पहलगाम मार्ग बालटाल से थोड़ा लंबा है। बालटाल मार्ग के लिए यात्रा आधार शिविर गांदरबल जिले में सोनमर्ग के पास बालटाल स्थित है। श्रीनगर से बालटाल लगभग 95 किमी दूर है।
पहलगाम से पवित्र गुफा कैसे पहुंचे
पहलगाम मार्ग के लिए यात्रा आधार शिविर अनंतनाग जिले में नुनवान (पहलगाम के पास) स्थित है। श्रीनगर से नुनवान लगभग 90 किमी दूर है। बालटाल मार्ग पर यात्रा एक्सेस कंट्रोल गेट डोमेल में स्थित है, जो बालटाल से लगभग 2.5 किमी की दूरी पर है। पहलगाम मार्ग पर यात्रा एक्सेस कंट्रोल गेट चंदनवाड़ी में स्थित है, जो नुनवान से लगभग 12 किमी की दूरी पर है।
पहलगाम
श्रीनगर से 96 किलोमीटर दूर स्थित पहलगाम अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। लिद्दर और अरु नदियां और ऊंचे पहाड़ घाटी को चूमते हैं। पहलगाम में स्थित नुनवान यात्री शिविर में गैर सरकारी संगठनों द्वारा मुफ्त लंगर की व्यवस्था की जाती है। तीर्थयात्री पहली रात के लिए पहलगाम में डेरा डालते हैं।
चंदनवाड़ी
पहलगाम से चंदनवाड़ी की दूरी 16 किलोमीटर है। चंदनवाड़ी तक पहुंचने के लिए पहलगाम से मिनी बसें चलती हैं। यह रास्ता शानदार प्राकृतिक दृश्य के साथ लिद्दर नदी के किनारे-किनारे चलता है।
पिस्सू टॉप
जैसे-जैसे यात्रा चंदनवाड़ी से आगे बढ़ती है, ऊंचाई पर चढ़ते हुए पिस्सू टॉप तक पहुंचना पड़ता है। कहा जाता है कि भोलेनाथ के दर्शन के लिए सबसे पहले पहुंचने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ था। शिव की शक्ति से देवता इतनी बड़ी संख्या में राक्षसों को मार सके कि उनके शवों का ढेर इस ऊंचे पर्वत पर लग गया।
शेषनाग
शेषनाग एक पर्वत है जिसका नाम इसकी सात चोटियों के कारण पड़ा है, जो पौराणिक सांप के सिर से मिलती जुलती हैं। श्रद्धालु दूसरी रात शेषनाग शिविर में बिताते हैं। एक बार जब आप स्नान कर लेते हैं और प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेते हैं, तो जीवन बिल्कुल नया अर्थ ले लेता है।
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पंचतरणी
शेषनाग से 4.6 किमी तक 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित महागुणस दर्रे पर चढ़ना पड़ता है और फिर 12000 फीट की ऊंचाई पर पंजतरणी की घास वाली भूमि पर उतरना पड़ता है। ठंडी कठोर हवाओं के कारण यह दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है कि यात्रियों को ऊनी कपड़े और वैसलीन अपने साथ रखना चाहिए। कुछ यात्रियों को यहां ऑक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है। तीसरी रात के लिए तीर्थयात्री पंजतरणी में डेरा डालते हैं।
बालटाल से पवित्र गुफा तक कैसे पहुंचे
जम्मू से सड़क मार्ग से श्रीनगर जाना होता है। इसके बाद सोनमर्ग होते हुए बालटाल पहुंचना होता है। बालटाल से पवित्र गुफा की दूरी 14 किमी है। यह खड़ी चढ़ाई है। केवल बहुत फिट लोग ही जा सकते हैं और 28 किलोमीटर की ट्रैकिंग के बाद उसी दिन वापस आ सकते हैं। टट्टू या पालकी किराये पर ले सकते हैं। बालटाल अपनी कम दूरी के कारण अधिक लोकप्रिय है।
पवित्र गुफा श्री अमरनाथ नाथ
पवित्र गुफा के रास्ते में अमरावती और पंजतरणी नदियों का संगम आता है। कुछ तीर्थयात्री दर्शन के लिए जाने से पहले अमरावती में पवित्र गुफा के पास स्नान करते हैं। यहां दो छोटे-छोटे शिवलिंग हैं एक मां पार्वती का और दूसरा श्री गणेश का। पवित्र गुफा में शिव लिंग के दर्शन करने के बाद व्यक्ति उसी दिन समय से पहले पंजतरणी लौट सकता है।