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कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर दिखी लोकतंत्र की ताकत, आतंकियों के परिजनों ने भी डाले वोट

अनंतनाग राजौरी सीट पर मतदान खत्म हो चुका है। (Anantnag Rajouri Lok Sabha Election) इस सीट पर 51.35 फीसदी मतदान हुआ है। कश्मीर संभाग की यह अंतिम सीट थी। इससे पूर्व चरणों में दो सीटों बारामूला और श्रीनगर सीट पर मतदान हो चुका था। जहां श्रीनगर सीट पर रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ। वहीं अनंतनाग सीट पर भी मतदाताओं ने जमकर वोट किया है

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 25 May 2024 07:34 PM (IST)
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Anantnag Rajouri Lok Sabha Seat: कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर दिखी लोकतंत्र की ताकत
पीटीआई, शोपियां। Anantnag Rajauri Lok Sabha Election: लोकतंत्र की मजबूती और सटीकता का बेहतरीन उदाहरण लोकसभा चुनाव के छठे चरण में अनंतनाग-राजौरी सीट पर देखने को मिला। इस सीट पर 51.35 फीसदी मतदान हुआ है। आतंकी धमकियों और डर के चलते लंबे समय से मतदान के अभाव में रहे लोगों ने भी आज मतदान कर लोकतंत्र को मजबूत करने में खास भूमिका अदा की।

चिलचिलाती धूम और लंबी कतार की नहीं कोई चिंता

चिलचिलाती धूप और लंबी कतार, बावजूद इसके अनंतनाग के मतदाता धैर्यपूर्वक खड़े होकर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का इंतजार कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर से साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। जिसके बाद शोपियां अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बना।

इस चुनाव में दिलचस्प बात यह रही कि लोकतंत्र के इस पर्व में आतंकवादियों के परिवार के सदस्यों ने भी वोट किया। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी जुनैद रेशी के पिता मुश्ताक अहमद रेशी को शोपियां के बेमिनपुरा के पोलिंग बूथ पर वोट किया।

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उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने देश के विचार और लोकतंत्र की शक्ति पर भरोसा जताया है। इन गांवों में हुए मतदान ने न केवल आतंकवाद के बढ़ते खतरे को चुनौती दी, बल्कि लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए लोगों के बीच एक बेहतरीन मिसाल पेश की।

दिव्यांगों ने मतदान केंद्र पर जाकर दिया वोट

मतदाताओं में उत्साह इतना था कि दिव्यांग लोग भी घर पर मतदान की सुविधा का लाभ उठाने के बजाय वोट करने के लिए मतदान केंद्रों पर पहुंचे। अब्दुल अहद (72) ने नादिमर्ग में एक मतदान केंद्र पर समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि मतदान हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है और हम इस उम्मीद के साथ मतदान प्रक्रिया में उत्सुकता से भाग ले रहे हैं ताकि हमारे प्रतिनिधि हमारी समस्याओं को सुनें और उनका समाधान करें।

एक बुजुर्ग मतदाता मोहम्मद सुल्तान ने घोड़े पर सवार होकर मतदान केंद्र पहुंचे। उन्होंने कहा कि मैं एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हूं और चल नहीं सकता। वोट कर मैंने अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर ली है। अब यह हमारे प्रतिनिधि का कर्तव्य है कि वह हमारी जरूरतों का ख्याल रखे।

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