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मजबूत हो रही आतंक की जड़ें? गांदरबल आतंकी हमले में कुलगाम का युवक शामिल, टेलीग्राम की मदद से युवाओं की हो रही भर्ती

कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों ने स्थानीय युवाओं के आतंकी समूहों में शामिल होने पर चिंता जताई है। गांदरबल हमले (Ganderbal terrorist attack) में एक स्थानीय युवक की पहचान हुई है। सुरक्षा अधिकारी ऐसे युवाओं की पहचान करने के लिए बेहतर मानव खुफिया क्षमताओं की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से स्थानीय युवाओं की भर्ती तेजी से हो रही है।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Mon, 28 Oct 2024 12:31 PM (IST)
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गांदरबल आतंकी हमले में कुलगाम का एक युवक भी शामिल है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। गांदरबल जिले के गगनगीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले की जांच में एक साल में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर महत्वपूर्ण खुफिया कमियों का पता चला है। इस वारदात ने क्षेत्र में स्थानीय युवाओं के आतंकी समूहों में शामिल होने की चिंता जताई है।

ऐसे में अब कश्मीर में गुमराह हुए युवाओं को चिह्नित किया जा रहा है। गांदरबल हमले में दो आतंकी शामिल थे, जिनमें से एक की पहचान दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के स्थानीय युवक के रूप में हुई। यह युवक वर्ष 2023 में एक आतंकी समूह में शामिल हुआ था। माना जा रहा है कि दूसरा पाकिस्तान से आया था।

स्थानीय युवाओं के आतंकी बनने पर चिंता

सुरक्षा अधिकारियों ने स्थानीय युवाओं के तेजी से कट्टरपंथी बनने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने ऐसे युवाओं की पहचान करने के लिए बेहतर मानव खुफिया क्षमताओं की आवश्यकता पर जोर दिया। पुलिस व सेना की 15वीं कोर में हाल ही में हुए नेतृत्व परिवर्तनों के बाद स्थानीय युवाओं को आतंक की तरफ जाने से रोकने के लिए नए सिरे से ध्यान दिया जा रहा है।

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बता दें कि 20 अक्टूबर को आतंकी निर्माण स्थल में घुसे आतंकियों ने 10 मिनट तक गोलीबारी की। स्थानीय हमलावर एके राइफल से लैस था। उसके साथी के पास अमेरिकी एम-4 राइफल थी। अधिकारियों के अनुसार स्थानीय आतंकी अपने समूह के साथ दूसरे हमलावर की घुसपैठ को सुविधाजनक बनाने में शामिल हो सकता है जिसने संभवत इस साल मार्च में तुलैल सेक्टर से एलओसी पार की थी।

पाकिस्तान से आदेश मिलते ही हो जाते हैं सक्रिय

पिछले साल दिसंबर से उत्तरी कश्मीर के तुलैल, गुरेज, माछिल और गुलमर्ग समेत विभिन्न इलाकों से घुसपैठ की कोशिशों की खुफिया रिपोर्टें आ रही हैं लेकिन पुष्टि नहीं होने के कारण सेना इन्हें नकारती रही है।

अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार को गुलमर्ग के बोटा पथरी हमले में शामिल आतंकवादी अगस्त की शुरुआत से ही अफरावत के ऊंचे इलाकों में छिपे हुए थे। यह रणनीति घुसपैठियों को स्थानीय आबादी के बीच तब तक निष्क्रिय रहने की अनुमति देती है, जब तक कि उन्हें पाकिस्तान में अपने आकाओं से निर्देश नहीं मिलते।

ऑनलाइन प्लेटफार्म से ही हो रही आतंकियों की भर्ती

सुरक्षाबलों ने यह नोटिस किया है कि ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से स्थानीय युवाओं की घुसपैठ और भर्ती तेजी से हो रही है। आतंकी अब गुप्त संचार और परिचालन समन्वय के लिए टेलीग्राम और मास्टोडन जैसी एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सेवाओं पर भरोसा कर रहे हैं, जो राजौरी और पुंछ जैसे कुछ जिलों में पहले से ही प्रतिबंधित हैं।

चूंकि अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं, इसलिए कार्रवाई योग्य जमीनी स्तर की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की चुनौती बनी हुई है, जो क्षेत्र में आतंकवाद से निपटने के लिए दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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