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कश्मीरी हिंदुओं की सूनी गलियों में गूंज रहा ‘घर वापसी’ का नारा, इस बार का चुनाव दे रहा बदलाव का संकेत

Jammu Kashmir Election 2024 हब्बाकदल में इस बार चुनावी सरगर्मी कुछ अलग ही है। कश्मीरी हिंदू मतदाता उत्साहित हैं। भाजपा इस सीट पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। नेकां भी अपना गढ़ बताने के लिए संघर्ष कर रही है। इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। में 16 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें तीन कश्मीरी हिंदू हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 17 Sep 2024 10:23 AM (IST)
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तीन दशक पहले तक कश्मीरी हिंदुओं से गुलजार था हब्बाकदल

नवीन नवाज, श्रीनगर। झेलम किनारे बसा हब्बाकदल तीन दशक पहले तक कश्मीरी हिंदुओं से गुलजार था। अचानक धर्मांध जिहादियों ने कश्मीरी हिंदुओं पर ऐसा कहर बरपाया आज तक वे अपनी माटी से जुड़ नहीं पाए हैं। मोहल्ले की सूनी गलियां आज भी उनकी राह ताक रही हैं। कश्मीरी हिंदुओं के प्रभाव वाले हब्बाकदल में पहली बार भाजपा कमल खिलाने के लिए उत्साह के साथ सक्रिय है तो नेकां गढ़ बचाने के लिए लड़ रही है।

चुनाव को लेकर कश्मीरी हिंदू उत्साहित

भाजपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीडीपी के झंडे व पोस्टर बता रहे हैं कि इस बार यहां चुनाव एकतरफा नहीं है। पीडीपी और अन्य निर्दलीय भी जीत की उम्मीद लेकर स्थानीय मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं।

सभी उम्मीदवारों की नजर कश्मीरी हिंदू मतदाताओं पर टिकी है। इस बार न तो चुनाव बहिष्कार है और न कश्मीरी हिंदू चुनाव के प्रति उदासीन हैं। कुल मिलाकर मतदाताओं का बढ़ता उत्साह बदलाव के संकेत दे रहा है।

हब्बाकदल में 25 हजार हिंदू मतदाता

हब्बाकदल में 95546 मतदाताओं में 47404 पुरुष और 48133 महिला और नौ ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। इनमें 25 हजार कश्मीरी हिंदू मतदाता हैं। लेकिन, परिवार सिर्फ 100 हैं। बाकी मतदाता जम्मू की जगटी बस्ती या दूसरे राज्यों में बसे हैं, जो वहीं बने बूथों में वोट डालेंगे।

हब्बाकदल क्षेत्र में 16 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें तीन कश्मीरी हिंदू हैं। इनमें भाजपा के अशोक भट्ट और लोक जनशक्ति पार्टी के संजय सर्राफ के नाम उल्लेखनीय है। यहां दूसरे चरण 25 सितंबर को मतदान होने हैं।

हैट्रिक के प्रयास में शमीमा

पिछले चुनाव में संजय सराफ को सिर्फ 830 वोट मिले थे। नेकां की शमीमा फिरदौस इस सीट पर जीत की हैट्रिक दर्ज करने की कोशिश में है। वह वर्ष 2008 और 2014 में उन्होंने सीट जीती थी। पीडीपी ने आरिफ इरशाद लायगुरू को मैदान में उतारा है।

अवामी नेकां के कार्यवाहक अध्यक्ष मुजफ्फर शाह इसी सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। मुजफ्फर शाह पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जीएम शाह के पुत्र और नेकां के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के भांजे हैं।

कश्मीरी हिंदुओं का वोट बंट सकता है

स्थानीय निवासी बिलाल बशीर ने कहा कि हब्बाकदल में विस्थापित कश्मीरी हिंदू मतदाताओं की भूमिका अहम है। इस बार यहां तीन कश्मीरी हिंदू उम्मीदवार हैं। भाजपा के अशोक भट्ट को सबसे ज्यादा प्रभावी माना जाएगा। तीन हिंदू उम्मीदवार होने के कारण कश्मीरी हिंदुओं का वोट बंटेगा।

भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता जिस तरह से हब्बाकदल में घर घर जाकर प्रचार कर रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं, उससे पता चलता है कि भाजपा यह सीट जीतने की कोशिश में है। वह कश्मीर में जिन चार सीटों पर ज्यादा उम्मीद लगाए हैं, उनमें एक हब्बाकदल ही है।

यहां राज्यपाल व उपराज्यपाल का प्रशासन आया, उसने भी स्थानीय विकास की उपेक्षा की। सड़कों को चौड़ा करने की परियोजना शुरू की थी जिस बाद में तत्कालीन सरकार ने रोक दिया। हिंदू समुदाय के लिए तीन मंदिरों का निर्माण किया गया है।

- शमीमा फिरदौस, उम्मीदवार नेकां

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मतदान के लिए विस्थापित कश्मीरी हिंदू भी उत्साहित

कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि 1987 के बाद जब भी विधानसभा चुनाव हुआ है हब्बाकदल में बहिष्कार का असर यहां साफ नजर आता था। मतदान का प्रतिशत लगभग आठ से नौ प्रतिशत तक रहा है। विस्थापित कश्मीरी हिंदू मतदाता भी मतदान को लेकर कभी ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आए।

इस बार यहां स्थिति अलग नजर आ रही है। अब यह सीट नेकां के लिए आसान सीट नहीं है। विस्थापित कश्मीरी हिंदू उत्साहित हैं। भाजपा ने न सिर्फ विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के साथ स्थानीय मुस्लिम मतदाताओं में भी पहुंच बनाई है। परिसीमन प्रक्रिया के दौरान छत्ताबल, कानी मजार,खानकाह के अलावा कर्ण नगर के कुछ हिस्से भी इसमें जोड़े गए हैं। इसका असर भी मतदान में होना तय है

हब्बाकदल में लोग बदलाव चाहते हैं। नेकां की यहां से दो बार विधायिका रही शमीमा फिरदौस जनता की विकास के प्रति आकांक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ रही हैं। रोजगार का भी संकट है। नशाखोरी की बड़ी प्रवृत्ति से स्थानीय लोग तंग हैं।

- आरिफ लायगुरू, उम्मीदवार पीडीपी

नेकां ने छह बार जीती सीट

1977 से 2014 तक हुए विभिन्न विधानसभा चुनाव के दौरान नेकां ने छह बार यह सीट जीती है। 2002 में यह सीट निर्दलीय रमन मट्टू ने जीती थी जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2014 के पिछले चुनाव में शमीमा फिरदौस को इस सीट पर 4955 वोट मिले थे।

भाजपा के मोती कौल को 2596 वोट मिले थे। पीडीपी के जफर मेहराज को 992 वोट मिले थे। इस सीट पर सिर्फ चार ही कश्मीरी हिंदू निर्वाचित हुए हैं। इनमें डीपी धर, प्यारे लाल हांडू, एसके कौल और रमन मट्टू हैं। डीपी धर और एसके कौल ने यह सीट कांग्रेस के टिकट पर क्रमश: 1962 और 1977 में जीती थी।

उसके बाद यह सीट नेकां के पास ही रही जबकि 2002 में रमन मट्ट ने बतौर निर्दलीय यहां जीत दर्ज की और बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए।

यहां पलायन कर चुके हिंदुओं के खाली व टूटे-फूटे घरों और तंग गलियां में खामोशी पसरी रहती है। मेरा सपना कि फिर से हब्बाकदल क्षेत्र को गुल-ओ-गुलजार बनाना है। जाहिर है एक ही रात में नहीं होगा, लेकिन एक दिन जरूर होगा।

-अशोक भट्ट, प्रत्याशी भाजपा

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