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बीजेपी का पीडीपी-नेकां और कांग्रेस को खुला चैलेंज, कहा- जम्मू-कश्मीर में आतंक, हत्याएं और पथराव की घटनाओं पर करे बहस

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करीब है। सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इसी क्रम में भाजपा के प्रभारी तरुण चुघ ने जम्मू-कश्मीर में विपक्षी नेताओं को चुनौती दी है। तरुण चुघ ने कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर में विपक्षी पार्टियों के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा के मुद्दे पार्टी नेताओं को खुली बहस करने के लिए न्योता देता हूं।

By Agency Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 29 Aug 2024 06:23 PM (IST)
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Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर में भाजपा प्रभारी तरुण चुघ

पीटीआई, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस को आतंकवाद, हिंसा और सार्वजनिक सुरक्षा पर खुली चर्चा के लिए चुनौती दी।

इसके साथ ही पार्टी ने 1990 के दशक में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में अशांत अवधि के लिए तीनों दलों की आलोचना की। पार्टी आतंकवाद और नागरिक हताहतों के लिए जीरो टॉलरेंस रखती है।

बीजेपी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी तरुण चुघ ने प्रेसकर्मियों से वार्ता करते हुए कहा कि मैं नेहरू, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद, सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा की स्थिति और अनुच्छेद 370 और 35 ए के बारे में उनके भ्रामक दावों और साजिशों पर खुली बहस के लिए पार्टी नेताओं को चुनौती देता हूं।

जम्मू-कश्मीर प्रभारी ने कहा...

हम कहीं भी खुली बहस के लिए तैयार हैं, जिसमें एक पत्रकार मध्यस्थता करेगा और एक टीवी चैनल इसे प्रसारित करेगा।  5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से आतंकवाद और कानून व्यवस्था के मुद्दों में  कमी आई है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, 5 अगस्त, 2019 से हमने आतंकवादियों को बेअसर किया है और आतंकवाद को कम किया है। हमारे शासन में नागरिक हताहतों, सुरक्षा बलों के हताहतों और हिंसा की घटनाओं में भी भारी कमी आई है।

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भाजपा प्रभारी ने कहा, एनसी-कांग्रेस-पीडीपी कार्यकाल के दौरान, नागरिक हताहतों की घटनाएं सालाना औसतन 60-70 थीं, जो 2018 में घटकर 55, साल 2023 में 24 और इस साल 14 हो गईं। आतंकी घटनाएं 2018 में 228 और 2023 में 46 से घटकर इस साल सिर्फ 11 रह गईं। मुठभेड़ें 2018 में 189 से घटकर 2023 में 48 और इस साल 24 हो गईं।

पथराव की घटनाओं पर भी दिया जोर

इसी तरह, सुरक्षाबलों की हताहतों की संख्या 2018 में 91 से घटकर 2023 में 23 हो गई और अब 14 हो गई है। जान-माल की सुरक्षा के लिए हमारे प्रयास जारी हैं।

चुघ ने कहा कि स्थानीय राजनीतिक परिवारों पर अपने शासन में कश्मीर में पथराव को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि उनके शासन में सालाना पथराव की लगभग 1,328 घटनाएं होती थीं, जो 2023 में घटकर शून्य हो गईं और इस साल कोई भी रिपोर्ट नहीं हुई। 

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