पाकिस्तान में बाकी देशों से ज्यादा सख्त है 'ईशनिंदा' कानून, कई धार्मिक दलों को मिली खोई हुई राजनीतिक जमीन
पाकिस्तान समेत कई देशों में “ईशनिंदा” काफी चर्चित है। यह एक भाषण व धार्मिक अपराध है। इसके खिलाफ सख्त कानून भी बनाए गए हैं। इसको अपराध मानने वाले 71 देशों में से 32 मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र हैं जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है।
By AgencyEdited By: Versha SinghUpdated: Thu, 29 Dec 2022 11:33 AM (IST)
श्रीनगर, एजेंसी। पाकिस्तान समेत कई देशों में 'ईशनिंदा' काफी चर्चित है। यह एक भाषण व धार्मिक अपराध है, जिसमें देवता का अपमान व पवित्र मानी जाने वाली वस्तु का अनादर जैसी चीजें जुड़ीं होती हैं। कुछ धर्म ईशनिंदा को एक धार्मिक अपराध मानते हैं, खासकर इब्राहीमी धर्म। वहीं, इसके खिलाफ सख्त कानून भी बने हैं। इसको अपराध मानने वाले 71 देशों में से 32 मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र हैं। हर जगह ईशनिंदा कानून की सजा अलग-अलग हैं। ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ब्रुनेई, मॉरिटानिया और सऊदी अरब में इस कानून के तहत मौत की सजा है।
मुस्लिम बहुल देश में इस तरह का कानून
वहीं, गैर-मुस्लिम देशों की बात करें तो इटली में भी ईशनिंदा कानून हैं, जहां इसके लिए अधिकतम सजा तीन साल की जेल है। इसके अलावा दुनिया के 49 मुस्लिम बहुल देशों में से आधे में धर्मत्याग पर प्रतिबंध लगाने वाले भी कानून हैं, जिसका मतलब है कि लोगों को इस्लाम छोड़ने के लिए दंडित किया जा सकता है। धर्मत्याग और ईशनिंदा कानूनों वाले सभी देश मुस्लिम बहुल हैं। इसमें भारत शामिल नहीं है क्योंकि हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में ईशनिंदा की कोई अवधारणा नहीं है, इसलिए यहां इसको लेकर कोई सजा नहीं है।
ब्रिटिश शासकों से विरासत में मिला कानून
बता दें कि पाकिस्तान और भारत दोनों को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासकों से विरासत में मिले, जिन्होंने 1860 में भारतीय उपमहाद्वीप में हिंदू-मुस्लिम हिंसा को दबाने के लिए धर्म से संबंधित कानूनों का एक सेट पेश किया। 1927 में इस कानून में कई चीजों को जोड़कर और मजबूत किया गया था। इसमें किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर अपराध व दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से धार्मिक विश्वासियों को ठेस पहुंचाने जैसे अपराध शामिल थे। उसी दौरान एक ऐसे हिंदू की हत्या हुई, जिसने कुछ मुसलमानों द्वारा "ईशनिंदा" समझा जाने वाला एक पैम्फलेट प्रकाशित किया था।पाकिस्तान में कानून ज्यादा सख्त
धार्मिक दक्षिणपंथ के दबाव के कारण पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों को मजबूत किया गया। बात दें कि सऊदी अरब, ईरान, मलेशिया, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान और अन्य देशों की तुलना में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून सबसे सख्त हैं। हाल के वर्षों में, इस कानून के तहत रिकॉर्ड संख्या में मामले दायर किए गए हैं, जिनमें अदालत के अंदर या बाहर मौत की सजा हो सकती है।
हक की सैन्य सरकार ने कानून को किया और सख्त
पाकिस्तान में 1980 और 1986 के बीच, जनरल जिया-उल-हक की सैन्य सरकार ने कानून को और मजबूत किया। उन्होंने इसमें पांच नए खंड जोड़े, जिसमें कुरान को अपवित्र करने जैसी भाषा या कृत्य, इस्लाम के पैगंबर का अपमान करने या उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का उपयोग करने जैसे अपराधों को शामिल किया। 1977-1988 तक हक के शासन के दौरान, देश में ईशनिंदा मामलों की संख्या आसमान छू गई, उस अवधि में 80 से अधिक मामले दर्ज किए गए। पाकिस्तान की स्थापना के बाद यह आकड़ा सबसे अधिक था। इससे पहले 1977 तक ऐसे केवल 10 मामले सामने आए थे।1991 से मौत की गई सजा अनिवार्य
इसके बाद 1991 में अदालत ने इस्लाम के पैगंबर का अपमान करने के अपराध के लिए मौत की सजा को अनिवार्य कर दिया। 2011 और 2015 के बीच, पाकिस्तान में ईशनिंदा के 1,296 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। कानून को अब पवित्र माना जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस्लामी न्यायशास्त्र में “ईशनिंदा” की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है और न ही इसके लिए सजा पर सहमति है। उन्होंने कहा कि हत्याएं और बाद में ईशनिंदा कानून के नाम पर हिंसा के समर्थन में सार्वजनिक लामबंदी ने देश के बहुसंख्यक सुन्नी मुस्लिम बरेलवी संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले धार्मिक दलों को खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल करने का अवसर दिया।
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