J&K: आतंकी और आतंकवाद अब कोई सराहना या गर्व का विषय नहीं, शोपियां में बोले CRPF के अतिरिक्त महानिदेशक नलिन प्रभात
सोमवार को अतिरिक्त महानिदेशक सीआरपीएफ नलिन प्रभात ने कहा कि कश्मीर में आतंकी और आतंकवाद अब कोई सराहना या गर्व का विषय नहीं रहा है और इसे अब एक भद्दी गाली माना जाता है। यह बात बहुत मायने रखती है। ये बातें इमाम साहब शोपियां में खुले मैदान में बोल रहे थे। इमाम साहब शोपियां शुरु से ही दक्षिण कश्मीर में आतंकियों विशेषकर लश्कर-तैयबा का एक मजबूत गढ़ रहा है।
By naveen sharmaEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Mon, 18 Dec 2023 10:39 PM (IST)
नवीन नवाज, श्रीनगर। कश्मीर में आतंकी और आतंकवाद अब कोई सराहना या गर्व का विषय नहीं रहा है और इसे अब एक भद्दी गाली माना जाता है। यह बात सोमवार को अतिरिक्त महानिदेशक सीआरपीएफ नलिन प्रभात ने कही।
यह बात बहुत मायने रखती है, क्योंकि वह इमाम साहब शोपियां में खुले मैदान में बोल रहे थे। इमाम साहब शोपियां शुरु से ही दक्षिण कश्मीर में आतंकियों विशेषकर लश्कर-तैयबा का एक मजबूत गढ़ रहा है। अब इस क्षेत्र में स्थानीय आतंकियों की संख्या इकाई में रह गई है और उन्हें भी अब अपने लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं मिलता।
सुरक्षाबलों के आयोजनों में जानें से बचते थे लोग
बदलते हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग पांच वर्ष पहले तक इमाम साहब में सुरक्षाबल जब कभी कोई स्वास्थ्य शिविर, खेल प्रतियोगिता या कोई सामाजिक गतिविधि का आयोजन करते थे, तो स्थानीय लोग उसमें शामिल होने से बचते थे। सिर्फ चंद लोग आते थे और वह भी डरे सहमे, क्योंकि शाम होते ही उनके घर आतंकी आ सकते थे या फिर उनके ओवरग्राउंड वर्कर व अलगाववादी तत्व उनके सामाजिक बहिष्कार का फरमान सुना सकते थे।स्थानीय पुलिस संगठन, सेना या सीआरपीएफ के साथ समन्वयस में कोई कार्यक्रम आयोजित करने से बचते थे। आज इमाम साहब शोपियां में एक स्थानीय क्लब ने सीआरपीएफ की 178वीं वाहिनी के साथ मिलकर स्के मार्शल आर्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इसमें स्थानीय और आस पास के इलाकों में स्के खिलाड़ी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। प्रतियोगियों में 22 लड़कियां भी शामिल थी।
प्रतियोगिता स्थल पर मौजूद स्थानीय व्यक्ति ने ये कहा
प्रतियोगिता स्थल पर मौजूद एजाज अहमद नामक एक स्थानीय युवक ने कहा कि मेरी उम्र 33 वर्ष है और मैने पहली बार यहां बिना किसी तामझाम के इस तरह की एक प्रतियोगिता का आयोजन देखा है। आप खुद देख लिजिए, यहां बहुत कम सुरक्षाबलों ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी रखी है, लोग यहां पूरे उत्साह के साथ इस प्रतियोगिता का आंनद ले रहे हैं।पहले यहां सुरक्षाबल जब भी अपने शिविर से बाहर निकलते थे तो ऐसे निकलते थे जैसे किसी जंग के लिए जा रहे है, बुलेट प्रूफ जैकेट और बुलेट प्रूफ वाहन के बिना वह बाहर नहीं आते थे। आम लोग भी उनसे दूर रहते थे। आज यहां कोई तनाव, भ्य और झिझक नहीं है,क्योंकि आतंक और अलगाववाद , आजादी के नारे की हकीकत सब जान चुके हैं।
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