कश्मीर में इस साल बने 10 स्थानीय लोग आतंकी, कार्यक्रम में DGP दिलबाग सिंह बोले- 'नौजवान समझ चुका हिंसा और जिहाद का सच'
शांति और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया की वार्ता में पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने आतंकी बने स्थानीय युवाओं से घर वापसी की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि कश्मीर में इस साल सिर्फ 10 लड़के आतंकी बने हैं। वहीं आतंकी सरगनाओं की ये कोशिशें चल रही हैं कि कश्मीर में मरती आतंकी हिंसा को फिर जिंदा किया जा सके।
राज्य ब्यूरो श्रीनगर। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने शनिवार को आतंकी बने स्थानीय युवाओं से घर वापसी की अपील करते हुए आज शांति और राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया की वार्ता के बारे में बात की। आज यहां जेवन में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि कश्मीरी नौजवान अब आतंकी हिंसा और जिहाद का सच समझ चुका है। इस वर्ष सिर्फ 10 स्थानीय आतंकी बने हैं।
उन्होंने बीते एक सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर जंगबंदी के उल्लंघन की दो घटनाओं की पुष्टि करते हुए कहा कि सरहद पार सियालकोट से लेकर गुरेज तक कुछ आतंकी लांचिग पैड सक्रिय हैं, जहां से जम्मू कश्मीर में मरती आतंकी हिंसा को फिर से जिंदा रखने के लिए घुसपैठ की कोशिशें होती हैं।
आतंकी हिंसा को फिर से जिंदा रखने के लिए घुसपैठ की कोशिश
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि अरनिया सबसेक्टर और केरन सेक्टर में जंगबंदी की दो घटनाएं हुई हैं। इनमें बीएसएफ और सेना के दो लोग जख्मी हुए हैं। इन दोनों घटनाओं की विस्तृत जांच की जा रही है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर नियंत्रण रेखा पर स्थिति लगभग शांत और पूरी तरह हमारे नियंत्रण मे है। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार सियालकोट और एलओसी पर गुरेज सेक्टर के पार कई जगह आतंकी कैंप और लांचिंग पैड हैं। उनमे से अधिकांश को हमने नष्ट कर दिया है, लेकिन कुछ अभी भी सक्रिय हैं, जहां से जम्मू कश्मीर में मरती आतंकी हिंसा को फिर से जिंदा रखने के लिए घुसपैठ की कोशिशें होती हैं।
पिछले साल की तुलना में केवल 10 ही बने आतंकी
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि इस वर्ष अब तक हुई घुसपैठ की 90 प्रतिशत कोशिशों को अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर ही विफल कर दिया गया। अधिकाशं घुसपैठिए वहीं पर मार गिराए गए हैं, जो थोड़े बहुत जिंदा बचने और जम्मू कश्मीर में दाखिल होने में कामयाब रहे हैं, उनमें से भी अधिकांश मारे गए हैं। अब यहां शांति और सुरक्षा का वातावरण बहाल हो चुका है। पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों के बहकावे में अब स्थानीय नौजवान नहीं आते। पिछले वर्ष 110 लड़के आतंकी बने थे जबकि इस वर्ष सिर्फ 10 स्थानीय आतंकी बने हैं और उनमें से भी छह मारे जा चुके हैं। चार ही जिंदा बचे हैं जो बंदूक उठाकर घूम रहे हैं।
10 आतंकी न बनते तो दुनिया को बताते कश्मीर में है शांति
उन्होंने आगे कहा कि उनके लिए घर वापसी का रास्ता खुला है। मैं बहके हुए नौजवानों से कहना चाहता हूं कि अब यह सिलसिला बंदकर देना चाहिए, हम नहीं चाहते कि आपकी जान जाए। जो भी पाकिस्तान के इशारे पर बंदूक उठाएगा, यहां निर्दोष लोगों को कत्ल करेगा,उसकी अपनी जान भी खतरे मे है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में अब शांति और स्थिरता का माहौल बन चुका है,इसे और ज्यादा मजबूत बनाने की प्रक्रिया है। कितना अच्छा होता कि अगर यह 10 बच्चे भी आतंकी न बने होते तो हम पूरी दुनिया को खुलकर बताते कि आज कश्मीर का एक-एक बच्चा पूरी तरह कश्मीर में शांति और खुशहाली के वातावरण के साथ है।
नार्को टेरेरिज्म पर कसी जा रही नकेल
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने बीते 30 वर्ष से भी ज्यादा समय से हम पर जो आतंकी हिंसा थोपी है, वह अब अंतिम सांसे ले रही है और जम्मू कश्मीर पुलिस जल्द ही इन अंतिम सांसों को बंद कर देगी। पाकिस्तान के इशारे पर यहां निर्दोष लोगों की हत्या, बम विस्फोट, हड़ताल और बंद अब बीते दिनों की बात हो चुकी है। आज यहां हरेक सुरक्षित है। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने इस अवसर नार्को टेरेरिज्म का जिक्र करते हुए बताया कि इसकी भी नकेल कसी जा रही है।
आतंकियों की गिरफ्तारी के साथ की जा रही संपत्ति जब्त
बीते कुछ वर्ष में नार्को टेरेरिज्म के 39 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनकी एनआइएस,एसआइए और एसआईयू द्वारा जांच की जा रही है। हाल ही में रामबन में कोकेन पकड़ी गई थी,इस मामले की जांच कुपवाड़ा, पंजाब से होते हुए अब उत्तराखंड तक जा पहुंची है। ड्रग कारोबारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है,उनकी गिरफ्तारियों के साथ-साथ उनकी संपत्ति को जब्त करने का सिलसिला भी शुरु किया गया है। पाकिस्तान ने यह हम पर एक नयी जंग थोपी है, हम इसका पुरजोर मुकाबला करते हुए इसे भी जीतेंगे। इसमें जनता और समाज को पूरा सहयेाग करना होगा।
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